नूंह: सांप्रदायिक आग में जल रहे इस जिले के बारे में जानिए
– मेवात नाम से बने इस जिले का नाम 7 साल पहले बलकर किया गया था नूंह, हरियाणा का सबसे अधिक मुस्लिम बाहुल्य जिला है नूंह
PEN POINT, DEHRADUN : हरियाणा का नूंह जिला, बीते सोमवार से सांप्रदायिक आग में जल रहा है। राज्य सरकार के आंकड़ों की माने तो यहां जारी हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है और पुलिस करीब 116 उपद्रवियों को भी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। नूंह जिले में धारा 144 लागू है और इंटरनेट आज भी यानि बुधवार को भी बंद है। नूंह से शुरू हुई यह नफरती हिंसा गुड़गांव समेत चार जिलों तक पहुंच चुकी है। हिंदू संगठन की ओर से धार्मिक शोभा यात्रा निकाले जाने और उससे पहले विवादित मोनू मानेसर और बिट्टू बजंगरी की ओर से इस शोभा यात्रा में आने का एलान करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को यात्रा में शामिल होने की अपील के बाद नूंह में सोमवार को हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक दूसरे के सामने आ गए थे। हालांकि, यहां नफरती की आग सुलगाने वाले मोनू मानेसर और बिट्ट बजरंगी तो रैली में नहीं पहुंचे लेकिन उनके आने को लेकर शुरू हुआ विवाद नूंह समेत चार जिलों को अपनी चपेट में ले चुका है।
हरियाणा का इकलौता मुस्लिम बाहुल्य जनपद नूंह 2016 से पहले मेवात जिले के नाम से जाना जाता था। नूंह को हरियाणा का काफी संवेदनशील जिला माना जाता है। नूंह जिला भारत के हरियाणा राज्य के 22 जिलों में एक है। 1,860 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले नूंह की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 10 लाख से ज्यादा है, जिसमें 79 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है। इस जिले के उत्तर में गुरुग्राम पूर्व का गुड़गांव, पूर्व में पलवल और दक्षिण व पश्चिम में राजस्थान के अलवर जिले से घिरा है। पृथक जनपद की मांग पर हरियाणा सरकार ने 4 अप्रेल 2005 को मेवात जिले का गठन किया था। 2016 में इस जिले का नाम मेवात से बदलकर नूंह कर दिया गया। मुस्लिम बाहुल्य इस जिले को ईश्वर के पैंगबंरों में से एक नूंह के नाम से जाना जाने लगा।
देश में कोरोना के समय चर्चाओं में रहने वाले तब्लीगी जमात की शुरूआत भी इस जिले से हुई है। मेवाती मुस्लिम शुरूआत से हिंदू मुस्लिम की मिली जुली रवायतों को मानते और ज्यादातर पूजा पद्धति के तरीकों में भी एक दूसरे से जुड़े थे। साल 1920 में इस्लाम के सुधारवादी आंदोलन की शुरूआत तक मुहम्मद इलियास के नेतृत्व में यहां इस्लामिक आंदोलन ‘तब्लीगी जमात’ की शुरूआत की गई। उसके बाद यहां मुस्लिम भी पूरी दुनिया भर में चल रहे इस्लामिक बदलावों का हिस्सा बनकर इस्लाम के उस धारा के साथ शामिल हो गए जो आज प्रचलन में है।
इस्लाम में नूह कौन थे
नूह को इस्लाम में ईश्वर के पैगंबर और दूत के रूप में माना जाता है। वह ईश्वर के पैगबंरों में से एक थे।नूह पाप में डूबे हुए लोगों को चेतावनी देते थे. ईश्वर ने नूह को अपने लोगों को उपदेश देने का काम सौंपा था। नूह ने लोगों को मूर्तिपूजा छोड़कर एक भगवान की पूजा करने और अच्छा व शुद्ध जीवन जीने की सलाह दी. हालांकि, लोगों ने अपने तरीके सुधारने से इनकार कर दिया. माना जाता है कि इसी वजह से जलप्रलय आई। कुरान के अनुसार नूह का उपदेश और भविष्यवाणी 950 साल तक चली। नूह का जिक्र कुरान में कई बार आता है. यहां तक कि उनका नाम नूह रखने वाला एक पूरा सूरा भी है।