ढाई सौ हेक्टेयर वन भूमि हुई अतिक्रमणमुक्त
– वन भूमि पर अवैध कब्जा कर बनाए चार सौ से भी अधिक धार्मिक स्थल तोड़े गए
PEN POINT, DEHRADUN : देर से ही सही लेकिन उत्तराखंड में वन भूमि पर कब्जा कर अवैध रूप से बनाए गए 400 से भी अधिक धार्मिक स्थलों को हटाकर वन विभाग ने अपनी 252 हेक्टेयर भूमि अतिक्रमणमुक्त करवाई है। राज्य भर में वन भूमि पर बने 500 धार्मिक स्थलों की पहचान कर विभाग ने अब तक 430 अवैध निर्माण तोड़कर वन भूमि कब्जे से मुक्त करवाई है।
इन दिनों उत्तराखंड में वन विभाग का बुल्डोजर वन भूमि पर कब्जा कर बनाए गए मजार, मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारों पर गरज रहा है। वन भूमि पर अवैध कब्जा कर धार्मिक स्थल का निर्माण करने का खेल लंबे समय से चलता आ रहा है। बीते दिनों सोशल मीडिया पर जब ऐसे कई मजारों की फोटो वायरल हुई जो वन भूमि पर रातों रात बना दिए गए थे तो राज्य सरकार ने भी ऐसे अवैध कब्जों को हटाने का फैसला लिया। वन विभाग की ओर से ऐसे 500 धार्मिक स्थलों की पहचान की गई जो वन भूमि पर अवैध कब्जा कर निर्मित किए गए थे। इसके बाद इन्हें हटाने का काम शुरू हुआ। अब तक 388 ऐसी मजारे हटाई गई हैं जो हाल के वर्षों में अवैध रूप से वन भूमि, पार्क क्षेत्र, वन्य जीव विहार क्षेत्रों में बना दी गई थी जबकि 41 मंदिरों को भी तोड़ा गया जिन्हें वन भूमि पर कब्जा कर हाल के वर्षों में बनाया गया था। भारतीय वन अधिनियम (उत्तराखंड संशोधन -2002) के सुसंगत प्रावधानों के अनुसार वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने के काम में जुटे वन विभाग के अधिकारी इन दिनों रोजाना ही किसी न किसी अवैध निर्माण को ध्वस्त करने में जुटे हैं। प्रदेश में वन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में धार्मिक गतिविधियों के जरिये अवैध अतिक्रमण किए गए हैं, जिससे वन्यजीवों के वासस्थानों में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ा है। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं वृद्धि हुई है।
वन विभाग की माने तो कॉर्बेट नेशनल पार्क को इस अभियान के तहत पूरी तरह से अतिक्रमणमुक्त की दिया गया है। बाघ समेत विभिन्न प्रजातियों के जंगली जानवरों के प्रसिद्ध बसेरे के रूप में प्रख्यात कार्बेट नेशनल पार्क के भीतर भी कई धार्मिक स्थलों का निर्माण रातों रात किया गया था। जिसके बाद पार्क के भीतर इंसानी चलहकदमी ने वन्यजीव मानव संघर्ष की आशांकाओं को बढ़ा दिया था।
हाईकोर्ट ने लगाई मुहर
वन विभाग की ओर से वन भूमि पर कब्जा कर बनाई गई मजारों को तोड़ने पर रोक लगाने के लिए हमजा राव की ओर से नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए अतिक्रमणमुक्त अभियान को जरूरी बताया। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की ओर से कहा गया कि अवैध धार्मिक निर्माण ध्वस्त होने चाहिए और इसमें धर्म के आधार कोई भेद नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ऐसी याचिका दाखिल करने पर फटकार लगाते हुए एक लाख जुर्माने की भी चेतावनी दी।