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52 वर्षीय शख्स 145 बार कर चुका है कैलाश मानसरोवर यात्रा, 150 का है संकल्प

Pen Point Dehradun : कैलाश पर्वत हिमालय के चीनी-नियंत्रित तिब्बत क्षेत्र में स्थित है। हिंदू मान्यताओ के अनुसार यह भगवान शिव का निवास है। इसी पर्वत के समीप मानसरोवर झील समुद्र तल से 22,000 फीट की ऊंचाई पर समीप मौजूद है।

न केवल हिंदू, बल्कि बौद्ध और जैन भी कठिन कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा करते रहे हैं। भारत और चीन के बीच एक समझौते के अनुसार 1981 में शुरू हुई तीर्थयात्रा को 2020 में कोरोना वायरस महामारी और भारत-चीन सीमा तनाव के कारण रोक दिया गया था।

इसके बाद, 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के प्रमुख क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला लिया। इसके बाद पांच साल बाद अगले महीने कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने वाली है। कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथू ला दर्रे से होकर की जाती है।

लिपुलेख दर्रे से पहाड़ी रास्ते से 200 किमी की यात्रा करनी पड़ती है। एक यात्रा पर 1.74 लाख रुपये का खर्च आता है और यात्रा पूरी होने में 22 दिन तक लग सकते हैं।

नाथू ला दर्रे से यात्रा करने वालों के लिए लागत 2.83 लाख रुपये है। इसमें से 36 किलोमीटर की यात्रा पहाड़ी रास्ते से करनी होगी।

अत्यधिक गर्मी से लेकर अत्यधिक ठंड तक की चरम मौसम स्थितियों में चलना तथा लंबे, कठिन और ऊंचे पर्वतीय मार्ग पर चलना कोई आसान काम नहीं है।

लेकिन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के पहाड़ी गांव धारचुला के 52 वर्षीय जितेंद्र सिंह रौतेेला अब तक 145 बार सफलतापूर्वक यह तीर्थयात्रा कर चुके हैं।

1998 में अपनी पहली यात्रा पर निकले रौतेला कहते हैं, जब मैं पहली बार कैलाश मानसरोवर गया था, तो मैं आध्यात्मिक प्रकाश से मोहित हो गया था। मैंने शिव के मंत्र से बंधे हुए आगे-पीछे जाने के बारे में सोचा।

बकौल रौतेला शुरू में उन्होंने 10, फिर 21, उसके बाद 51 और अंततः 108 तीर्थयात्राओं का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा, अब 145 तीर्थयात्राएं पूरी करने के बाद मैं 150 बार तीर्थयात्रा करने का संकल्प ले चुका हूं।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत रौतेला जैसे लोगों के लिए खुशी की बात है। हालांकि, वह अपनी तीर्थयात्रा तभी बढ़ा सकते हैं जब भारत और चीन के बीच सीमा पार व्यापार हो। ताकलाकोट एक बाज़ार है जहां चीन और भारत के बीच स्थल व्यापार होता है।

पिथौरागढ़ जिले के व्यापारी आमतौर पर जून से अक्टूबर तक पांच महीने के व्यापार परमिट के तहत तकलाकोट में रहते हैं।

भारत से नमक, बर्तन, ऊनी कपड़े, जूते आदि का व्यापार होता था, तथा तिब्बत से खाल, मसाले और वस्त्रों का भी भारत में व्यापार होता था। कोरोना वायरस महामारी के बाद इसे रोक दिया गया था।

हाल ही में भारत-चीन चौंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव दौलत रायपा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि उस समय पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें सीमा व्यापार पुनः शुरू करने के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया था।

ऐसी आध्यात्मिक यात्रा के साथ ही यदि तिब्बत सीमा क्षेत्र में व्यापार पुनः शुरू हो जाता है तो जितेंद्र सिंह रौतेला कैलाश मानसरोवर यात्रा की अपनी 150वीं यात्रा पूरी कर लेंगे।

By राजू गुसांई (वरिष्ठ पत्रकार)

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