पुण्यतिथि : मौत या हत्या- पांच दशक से रहस्य बनी हुई है जनसंघ के संस्थापक की मौत
-आज पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि, 55 साल पहले संदिग्ध अवस्था में रेलवे पटरी पर मिला था शव
पेन प्वाइंट, देहरादून। आज भारतीय जनता पार्टी अपने जनसंघ के संस्थापक पूर्व अध्यक्ष पं. दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि मना रही है। संघ विचारक और आज की भाजपा के पूर्व स्वरूप जनसंघ की स्थापना करने वाले पं. दीनदयाल उपाध्याय को गुजरे हुए 55 साल हो चुके हैं, लेकिन 55 साल पहले संदिग्धावस्था में पटरियों पर मिली दीनदयाल की लाश के बाद उनकी हत्या या स्वाभाविक मृत्यु पर सवाल अभी भी अनसुलझा रह गया है। हालांकि, इस बीच भाजपा ने तीन बार केंद्र में शासन किया, उत्तर प्रदेश में चार बार से ज्यादा सत्ता संभाली लेकिन अपने अग्रपुरूष की अस्वाभाविक मौत की गुत्थी सुलझा नहीं सकी या फिर सुलझाने में रूचि नहीं ली।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय की आज 55वीं पुण्यतिथि है। 25 सितंबर 1916 को मथुरा के नगला चंद्रबन में जन्मे दीनदयाल उपाध्याय को भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा के चलते याद किया जाता है। पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। माता रामप्यारी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के पिता पेशे से एक ज्योतिषी थे। जब वह सिर्फ तीन वर्ष के थे, तब उनकी माता का देहांत हो गया था। उसके कुछ वर्ष बाद ही जब उनकी उम्र आठ वर्ष थी तब पिता का साया भी सिर से उठ गया।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय का शव आज के ही दिन 11 फरवरी 1968 को मुगल सराय रेलवे स्टेशन (अब दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन) के पास मिला था। दीन दयाल उपाध्याय की मौत हुई थी या फिर हत्या यह रहस्य उनकी मौत के 55 साल बाद भी सुलझ नहीं सका है। 11 फरवरी, 1968 को सुबह तकरीबन 3.30 बजे के प्लेटफॉर्म से करीब 150 गज पहले रेलवे लाइन के दक्षिणी ओर के बिजली के खंभे से लगभग तीन फीट की दूरी पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय शव मिला था। लोहे और कंकड़ों के ढेर पर दीनदयाल उपाध्याय पीठ के बल सीधे पड़े हुए थे और कमर से मुंह तक का भाग दुशाले से ढका हुआ था। उनकी जेब से प्रथम श्रेणी का टिकट नं 04348 रिजर्वेशन रसीद नं 47506 और 26 रुपये बरामद हुए। उनके दाएं हाथ में एक घड़ी बंधी हुई थी, जिस पर ’नानाजी देशमुख’ लिखा था। उस दौरान उनके हाथ में एक पांच रुपया का नोट भी था।
जौनपुर के महाराज दीनदयाल के दोस्त थे, तो उन्होंने अपने सेवक कन्हैया के हाथों एक पत्र दीनदयाल उपाध्याय को भिजवाया और रात को 12 बजे उन्हें यह पत्र मिला। उसके बाद रात 2.15 बजे गाड़ी मुगलसराय स्टेशन पर पहुंची और पठानकोट-सियालदह एक्सप्रेस पटना नहीं जाती थी, इसलिए बोगी काटकर दिल्ली-हावड़ा ट्रेन से जोड़ दी गई। इसमें करीब आधे घंटे का वक्त लगा और दो बजकर 50 मिनट पर ट्रेन फिर से पटना के लिए चल पड़ी और उसके बाद 3 बजे उनका शव ट्रेन की पटरियों पर मिला। वहीं दूसरी ओर ट्रेन 6 बजे ट्रेन पटना स्टेशन पर पहुंची, जहां बिहार जनसंघ के नेता उनका इंतजार कर रहे थे। इस बीच जब सुबह करीब 9.30 बजे दिल्ली-हावड़ा एक्सप्रेस मुकामा रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां गाड़ी की प्रथम श्रेणी बोगी में चढ़े यात्री ने सीट के नीचे एक लावारिस सूटकेस देखा। उसने इसे उठाकर रेलवे कर्मचारियों के सुपुर्द कर दिया। बाद में पता चला कि यह सूटकेस पंडित उपाध्याय का था।
बिहार प्रदेश के जनसंघ के तत्कालीन संगठन मंत्री अश्विनी कुमार के आग्रह पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय पटना में बिहार प्रदेश भारतीय जनसंघ की कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे। उन्होंने पठानकोट-सियालदह एक्सप्रेस में प्रथम श्रेणी की टिकट करवा ली और गाड़ी का समय शाम 7 बजे था और पंडित जी सही वक्त पर स्टेशन पर पहुंच गए। लेकिन, अल सुबह साढ़े तीन बजे के करीब उनका शव मुगलसराय की रेल पटरियों पर मिला। इसके बाद पुलिस ने इस संबंध में विस्तृत जांच भी की लेकिन जांच का कोई परिणाम सामने नहीं आ सका। हां, उस दौरान उनकी बोगी में एक चाय का कप और फिनाइल जरूर मिला था साथ ही उनके शॉल के साथ पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार भी किया था। जनसंघ के अध्यक्ष प. दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी के जनसंघ की कमान संभालने के बाद से ही पं. उपाध्याय की मौत की जांच भी ठंडी पड़ने लगी। उसके बाद अगले चार दशक तक जनसंघ और जनसंघ से बनी भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का एकछत्र राज रहा। भाजपा ने इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाई, इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी राम लहर में सत्ता संभाली लेकिन पं. दीन दयाल उपाध्याय की मौत के रहस्य का पर्दा कभी नहीं उठ सका। हालांकि, 2018 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने नए सिरे से पं. दीनदयाल उपाध्याय की मौत की जांच दोबारा शुरू करने का फैसला लिया था लेकिन जांच अब तक कहां पहुंची है इसकी जानकारी बाहर नहीं आ सकी।