पुरोला: नगर पंचायत चुनाव को लेकर बुना गया ‘लव जिहाद’ का ताना बाना
– पुरोला में पीड़ित परिवार के विरोध के बावजूद लव जिहाद का नाम देकर पुरोला को अशांत करने की हुई कोशिश
– नगर पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे एक स्थानीय पत्रकार की ओर से बाहरी इलाकों के मतदाताओं नाम हटाने की थी
PEN POINT, DEHRADUN : करीब 20 दिनों तक हिंदू मुस्लिम विवाद में सुलग रहे पुरोला में अब शांति लौट आई है। बीती 25 मई को एक नाबालिग किशोरी को भगाकर ले जाने का प्रयास कर रहे एक मुस्लिम व्यवसायी उबैद खान और जितेंद्र सैनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था उसके बाद पुरोला नगर व्यापार मंडल की ओर से बाहरी व्यवसायियों को निकालने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। बाद में यह विरोध ‘लव जिहाद’ के खिलाफ आंदोलन के रूप में प्रचारित किया गया। कई मुस्लिम व्यवसायियों को पुरोला छोड़ना पड़ा, तो अन्य ने 20 दिन बाद शनिवार को अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोलने की हिम्मत जुटाई।
इस पूरे प्रकरण को मुस्लिमों द्वारा हिंदू युवतियों को प्रेम जाल में फंसा कर धर्म परिर्वतन का रूप दिया गया। लिहाजा मुस्लिम व्यवसायियों के खिलाफ पूरे उत्तरकाशी जनपद में विरोध प्रदर्शन हुए। लेकिन, पुरोला की स्थानीय राजनीति को समझने की कोशिश करें तो असल में यह मामला आने वाले नगर निकाय चुनाव से जुड़ा हुआ नजर आता है। यह एक स्थानीय पत्रकार की बुनी हुई कहानी थी जिसे लव जिहाद का रूप देकर व्यापक रूप से प्रचारित प्रसारित किया गया और इसका खामियाजा पुरोला की शांति व्यवस्था को चुकाना पड़ा।
असल में इस पूरे विवाद को हवा देने और इसे लव जिहाद का नाम देने में नगर पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे नेताओं का बड़ा हाथ रहा। नेताओं की मानें तो पुरोला में 700 से भी अधिक ऐसे मतदाता शामिल है जो बाहरी इलाकों से आए हैं। जब यहां बाहरी इलाकों का मतलब जानने की कोशिश करते हैं तो राज्य के बाहरी हिस्सों से लंबे समय से यहां निवासरत मतदाताओं के साथ पुरोला के इर्द गिर्द गांवों के लोग जो अब पुरोला में बस गए हैं, हालांकि, ऐसे लोगों को पुरोला नगर पंचायत का मतदाता बनने का संवैधानिक हक है अगर वह अपने पूर्व के निवास की मतदाता सूची से अपना नाम हटा चुके हों।
नगर पंचायत चुनाव पर नजर गड़ाए और वर्तमान में एक न्यूज पोर्टल चलाने वाले स्थानीय पत्रकार व व्यवसायी की ओर से ही इस मामले में थाने में तहरीर दी गई थी। स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि जब पुलिस की ओर से उक्त नाबालिग लड़की को एक हिंदू और एक मुस्लिम युवक के साथ बरामद किया गया तो नाबालिग लड़की के मामा को थाने बुलाया गया। लड़की अनाथ है और उसके मामा ही उसकी देखभाल करते हैं। सरकारी शिक्षक मामा की ओर से थाने में तहरीर देने से मना कर दिया गया और वह अपनी भांजी को लेकर वापिस घर आ गए।
लड़की के मामा से बातचीत करने पर वह बताते हैं कि स्थानीय व्यापारी व एक न्यूज पोर्टल चलाने वाले स्थानीय पत्रकार की ओर से उनकी तरफ से एक शिकायत लिखकर उनसे उस पर हस्ताक्षर करने को कहा। इस पत्र में लिखा गया था कि आरोपी उबैद खान ने अंकित नाम से पीड़ित लड़की से फोन पर बात कर उसे अपने प्रेम जाल में फंसाया। उक्त पत्रकार के द्वारा ही पूरे मामले को लव जिहाद का नाम देकर पुरोला में माहौल को सांप्रदायिक बनाया गया। उक्त शिकायत को लेकर जब पत्रकार पुलिस के पास पहुंचे तो लड़की के मामा ने उक्त शिकायत को फर्जी करार देते हुए खुद इस मामले में शिकायत दी।
उसके बाद पत्रकार और भाजपा से जुड़े व्यापार मंडल के कुछ पदाधिकारियों की ओर से पुरोला बाजार में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया और मुस्लिम व्यवसायियों से जबरन दुकानें बंद करवाई गई।
मामले ने तूल पकड़ा तो जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में नगर व्यापार मंडल के पदाधिकारी और पत्रकार की ओर से ऐसे 700 से अधिक लोगों की सूची जिलाधिकारी को सौंपी गई जिनके बारे में उनका आरोप था कि यह पुरोला के मूल निवासी न होकर भी इनका नाम मतदाता सूची में है। जबकि, मामला अब तक लव जिहाद पर चल रहा था अचानक इसमें मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप शामिल हो गया।
हालांकि, मतदाता सूची के मुताबिक पुरोला नगर पंचायत में करीब 104 मुस्लिम मतदाताओं के नाम शामिल है जो करीब चार दशकों से पुरोला में निवास व व्यापार कर रहे हैं। जबकि, जिन 700 लोगों का जिक्र व्यापार मंडल के पदाधिकारी और पत्रकार करते हैं उन में से ज्यादातर पुरोला के नजदीकी गांवों के निवासी हैं तो पुरोला में आकर बस गए हैं।
पुरोला में बुना गया यह ताना बाना असल में अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर बुना गया था। उक्त पत्रकार समेत अन्य को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि यह मामला इतना ज्यादा उछल जाएगा।
एक स्थानीय पत्रकार नाम न छापने की शर्त पेन प्वाइंट से बातचीत में कहते हैं कि उक्त पत्रकार पिछले पांच सालों से पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं और यहां मतदाताओं की संख्या को लेकर लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि बाहरी मतदाताओं को लाकर बसाया गया है। वह संघ और भाजपा से जुड़े रहे हैं लिहाजा यहां 100 से अधिक मुस्लिम मतदाता भी उनकी आंख में चुभते रहे हैं क्योंकि अब तक यह मतदाता कांग्रेस के साथ खड़े दिखते रहे हैं।
अब तक यह मामला पुरोला में स्थानीय स्तर पर ही विरोध प्रदर्शन तक चल रहा था। लेकिन, इसमें 28 और 29 मई को एंट्री होती है स्वामी दर्शन भारती की। प्रदेश में मुस्लिमों के खिलाफ विवादित बयानों को लेकर विवाद मंे रहने वाले स्वामी दर्शन भारती के आने के बाद यह आंदोलन और उग्र हो जाता है। रही सही कसर महासू रूद्र सेना के नाम से संगठन चलाने वाले और पिछले कुछ महीनों से मुस्लिम विरोधी अभियानों में हिस्सा लेने वाले राकेश तोमर उत्तराखंडी ने पूरी कर दी। जब पुरोला में विरोध प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम व्यवसायियों की दुकानों के बोर्ड तोड़ने के वीडियो सामने आए तो स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि राकेश तोमर उत्तराखंडी के साथ आए युवाओं ने प्रदर्शन में शामिल होकर यह बोर्ड तोड़े। ाथ ही दर्शन भारती के देवभूमि रक्षा अभियान की ओर से मुस्लिम व्यवसायियों की दुकानों पर 15 जून से पहले दुकानें खाली करने के पोस्टर चिपकाए गए। ध्यान देने वाली यह बात है कि न तो दर्शन भारती पुरोला से तालुक्क रखते हैं न ही राकेश तोमर उत्तराखंडी।
आंदोलन में बाहरी लोगों की संलिप्तता को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी भी हैरानी जताते हैं और उन्हें ही पुरोला की शांति व्यवस्था को भंग करने का दोषी मानते हैं। वह कहते हैं कि पुरोला के स्थानीय लोगों की अपनी मांगे थी और अपने हितों को लेकर वह आगे बढ़ रहे थे लेकिन बाहरी व्यक्तियों की ओर से आंदोलन में शामिल होकर इसे सांप्रदायिक रूप देने के साथ ही पुरोला की छवि को पूरी देश दुनिया में तार तार कर दिया गया।
अपने उपर लगे आरोपों को लेकर उक्त पत्रकार से जब पेन प्वाइंट संवाददाता ने बात की तो वह कहते हैं कि मैंने एक पत्रकार के तौर पर सवाल उठाए और उसे प्रकाशित किया। जब उनसे लव जिहाद वाले एंगल से हटकर मतदाताओं की सूची वाले सवाल उठाने पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह स्थानीय लोगों का सवाल था जो मेरे द्वारा जिलाधिकारी से पूछा गया कि पुरोला में अवैध मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं जिस पर जिलाधिकारी की ओर से जवाब दिया गया।
हालांकि, उक्त पत्रकार एक न्यूज पोर्टल चलाते हैं जिस पर इस प्रकरण के बाद दो से तीन खबरें लगातार प्रकाशित की गई जबकि उससे पहले यह पोर्टल पिछले काफी लंबे समय से संचालित नहीं किया गया था।
वहीं, अब इस पूरे मामले में जिस नाबालिग को लेकर यह विरोध प्रदर्शन किया गया अब उसके मामा की ओर से विभिन्न मीडिया माध्यमों के जरिए बताया कि उक्त मामलें में उन्हें और उनकी भांजी के नाम का प्रयोग कर इसे पूरे मामले को सांप्रदायिक बना दिया गया है। उनकी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पुरोला निवासी पत्रकार और संघ भाजपा से जुड़े कुछ लोगों ने इस सामान्य से अपराध को लव जेहाद का एंगल देकर मुस्लिमों के खिलाफ एक ऐसा अभियान चलाया जिसने पुरोला की छवि को नुकसान पहुंचाया।
पुलिस क्षेत्राधिकारी बड़कोट एसएस भंडारी कहते हैं कि मामले में पीड़ित लड़की के मामा की ओर से एक प्रार्थना पत्र दिया गया था जिसमें दोनों आरोपियों के खिलाफ अपहरण का आरोप लगाया था जिस पर संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया, किशोरी नाबालिग थी तो पोक्सो के तहत भी मामला दर्ज किया, मामले की जांच चल रही है। वह कहते हैं कि लव जिहाद या मुस्लिम युवक का हिंदू नाम बदलकर किशोरी से बात करने जैसा कोई आरोप नहीं है, हालांकि स्थानीय लोगांे द्वारा अलग अलग शिकायतें दी गई लेकिन मामला पीड़िता के मामा की शिकायत पर ही दर्ज किया गया था। वहीं, पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी अपर्ण यदुवंशी ने बताया कि पुरोला में स्थिति अब सामान्य हो गई है, जो दुकानें 20 दिन से बंद थी वह वापिस खुल गई है, नगर क्षेत्र में शांति व्यवस्था स्थापित हो गई है, अब किसी तरह के तनाव या विवाद की स्थिति रह नहीं गई है।