चिंताजनक : हर दिन 6 सौ से ज्यादा भारतीय छोड़ रहे देश की नागरिकता
– 12 सालों में 16 लाख से अधिक भारतीय छोड़ चुके हैं नागरिकता, 135 अलग अलग देशों की ली नागरिकता
– वहीं, पिछले पांच सालों में पांच हजार से अधिक विदेशी नागरिकों को मिली भारतीय नागरिकता, नागरिकता पाने वालों में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी
PEN POINT, DEHRADUN : बीते साल हर दिन करीब 6 सौ से भी ज्यादा भारतीय नागरिक भारत को छोड़ विदेशों में जा बसे। पिछले 12 सालों में 2022 में सबसे ज्यादा भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ विदेशी नागरिकता को प्राथमिकता दी। वहीं, पिछले पांच सालों में पांच हजार से अधिक विदेशी नागरिकों ने अपने देश की नागरिकता छोड़ भारतीय नागरिकता हासिल की जिसमें करीब 87 फीसदी पाकिस्तानी मूल के हैं जबकि बाकी अन्य अफगानिस्तान और बांग्लादेश मूल के हैं। हालांकि, विदेशी मूल के लोगों को भारत की भूमि नहीं भा रही है लेकिन भारतीयों को विदेशी जमीन खूब पसंद आ रही है। इसलिए बीते सालों में हर साल भारतीय नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों की संख्या में हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है।
विदेशों में रोजगार के बेहतर मौके और गुणवत्तापूर्ण लाइफस्टाइल के मोह में हर दिन औसत 600 से भी अधिक भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ विदेशों में बस रहे हैं। 2022 में ही 2,25,620 भारतीय विदेशों में जाकर बस गए और उन्होंने अपनी नागरिकता छोड़ विदेश की नागरिकता ली। यह आंकड़े खुद केंद्र सरकार ने संसद में दिए हैं। हालांकि, पिछले पांच सालों में करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों को भारतीय नागरिकता भी दी गई जिसमें से 87 फीसदी पाकिस्तानी मूल के नागरिक थे जिन्हें भारतीय नागरिकता दी गई। साल 2021 में 1745 विदेशी मूल के नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गई थी जिसमें से 1580 पाकिस्तानी मूल के थे, उसके अलावा अफगानिस्तान, बांग्लादेश मूल के नागरिक थे जिन्हें भारतीय नागरिकता दी गई।
हालांकि, भारत में पैदा हुए लोगों को अपना मुल्क नहीं भा रहा है। 2011 से लेकर 2022 तक ही 16 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ विदेशी नागरिकता ली। यानि पिछले 12 सालों में हर दिन करीब 400 भारतीय नागरिक भारत को छोड़ विदेशों में बस गए लेकिन 2022 यानि कोरोना के बाद भारत को छोड़ विदेशों में बसने वालों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हो गई। 11 सालों में सबसे ज्यादा 2022 में भारतीय विदेशों में जाकर बसे। भारत की नागरिकता छोड़ भारतीय दुनियाभर के 135 देशों में जाकर बसने के साथ ही उन देशों की नागरिकता ले चुके हैं। हालांकि, देश से बड़े पैमाने पर लोगों के विदेश जाकर बसने को विशेषज्ञ देश का ‘ब्रेन माइग्रेशन’ मानते हैं। विशेषज्ञों की माने तो विदेशों में अच्छी गुणवत्तापूर्ण जिंदगी, बेहतर अवसर के लिए विदेशों को अपनी कर्मभूमि के साथ ही वहां की नागरिकता लेकर भारतीय नागरिकता को छोड़ देना का नुकसान भारत को ही हो रहा है। इससे वह लोग जो भारत में अपनी कुशलता, बौद्धिक क्षमता के जरिए देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते थे वह विदेशों में जाकर उन देशों के विकास के साझीदार बन रहे हैं।
Sr. | वर्ष | नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय |
1 | 2011 | 1,22,819 |
2 | 2012 | 1,20,923 |
3 | 2013 | 1,31,405 |
4 | 2014 | 1,29,328 |
5 | 2015 | 1,31,489 |
6 | 2016 | 1,41,603 |
7 | 2017 | 1,33,049 |
8 | 2018 | 1,34,561 |
9 | 2019 | 1,44,017 |
10 | 2020 | 85,256 |
11 | 2021 | 1,63,370 |
12 | 2022 | 2,25,620 |