इंस्टाग्राम पोस्ट पर हुए विवाद में छात्र की गर्दन पर ब्लेड मार दी
Pen Point, Almora : सोशल मीडिया का इस्तेमाल दोधारी तलवार की तरह है। खा़स तौर पर नई पीढ़ी जिस तरह इस तलवार की धार से खेल रही है, वह चिंताजनक है। अल्मोड़ा के खूंट गांव में स्कूली छात्रों के बीच हुई एक घटना इस बात की तस्दीक करने को काफी है। बीती 6 जून को एक इंस्टाग्राम पोस्ट को लेकर हुए झगड़े में एक स्कूली छात्र की गर्दन ब्लेड से चीर दी गई। हालांकि घायल छात्र बच गया, लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक महज दो मिमि कट और होता तो उसकी जान चली जाती।
हुआ यूं कि गोविंद बल्लभ पंत राजकीय इंटर कॉलेज में बारहवीं के छात्र 16 वर्षीय रितिक भोज ने खूंट गांव के ही कमलेश और करन की इंस्टाग्राम पोस्ट पर हंसने की इमोजी चस्पा की थी। इस बात को लेकर कमलेश और करन रितिक से गुस्सा हो गए। उन्होंने उसे मैसेज कर स्कूल के पास किसी जगह पर मिलने के लिए बुलाया। जब रितिक वहां पहुंचा तो दोनों में से एक से उसकी बहस होने लगी। तभी दूसरे ने पीछे से झपटकर उसकी गर्दन पर ब्लेड से लंबा चीरा मार दिया। उसकी गर्दन से खून का फव्वारा फूटा और वह वहीं गर्दन पकड़कर बैठ गया, इसके बावजूद उसने किसी तरह अपने भाई को फोन लगया दिया। तुरंत ही रितिक के भाई समेत गांव के अन्य लोग वहां पहुंचे और दोनों हमलावर छात्रों को दबोच लिया। घायल रितिक को इलाज के लिए बेस अस्पताल अल्मोड़ा पहुंचाया।
गौरतलब है कि दोनों हमलावर छात्र नाबालिग हैं, जिससे उन पर कानूनी कार्रवाई किशोर न्याय समिति के प्रावधानों के तहत होगी। लेकिन चिंता की बात है कि एक इंस्टाग्राम पोस्ट को लेकर किशोर इतना बड़ा कदम कैसे उठा गए। ब्लेड से गर्दन जैसी संवेदनशील जगह पर हमला करने का मकसद सीधे तौर पर जान लेना ही कहा जा सकता है। इस घटना से स्थानीय लोग भी स्तब्ध हैं। अल्मोड़ा के वरिष्ठ अधिवक्ता चामु सिंह गस्याल के मुताबिक आजकल सोशल मीडिया समेत मोबाइल पर ओटीटी प्लेफॉर्म वो सबकुछ दिखा रहे हैं, जिससे बच्चों के मन में बुरा असर पड़ रहा है। अपराध और अपराधियों को महिमामंडित करते वीडियो आम चलन में हैं। जिसका सीधा असर नई पीढ़ी और उसकी सोच पर पड़ता है।
अपराधी तक बन जाते हैं गलत यूजर्स
सोशल मीडिया में फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत अन्य माध्यम कई बार खूनी झगड़ों का सबब बन चुके हैं। एक अध्ययन के मुताबिक स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच होने वाले 25 फीसदी झगड़े और मारपीट के पीछे सोशल मीडिया कंटेट ही रहता है। ऐसे मामलों दो फीसदी घटनाएं इसमें शामिल लोगों को अपराध की राह पर ले जाते हैं। जबकि मारपीट और अन्य खूनी झड़पों में पांच फीसदी में कहीं न कहीं सोशल मीडिया का गलत उपयोग शामिल है। वहीं सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने में अब सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑनलाइन ठगी के लिए सोशल मीडिया का मंच ठगों के लिए लोगों तक पहुंचने का आसान माध्यम बन गया है।