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परमाणु बम के जनक पर बनी हॉलीवुड फिल्म, जानिए इसमें क्यों खास है भगवदगीता !

Pen Point, Dehradun : दुनिया का पहला परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपनहाइमर पर फिल्‍म बन चुकी है। हॉलीवुड में ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍में बनाने वाले क्रिस्‍टोफर नोलान की यह फिल्‍म 21 जुलाई को रिलीज होगी। रिलीज से पहले ही यह फिल्‍म सुर्खियों में है। फिल्‍म का ट्रेलर आ चुका है और इसे खूब देखा जा रहा है। दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराये गए थे। इस त्रासदी में दो लाख से ज्‍यादा लोग मारे गए थे। कई सालों तक दोनों शहर में जीवन सामान्‍य नहीं हो सका। इस बमबारी से हुई विनाशलीला को देखते हुए जापान ने सरेंडर कर दिया था। इस तरह दूसरे विश्‍वयुद्ध का अंत हुआ। फिल्‍म ओपनहाइमर की जिंदगी के साथ युद्ध की त्रासदी के दृश्‍य भी समेटे हुए है।

कौन हैं ओपनहाईमर ?

परमाणु बम जैसा घातक अविष्‍कार करने वाले वैज्ञानिक जे राबर्ट ओपहाइमर जन्‍म से यहूदी थे। एक भौतिक विज्ञानी के तौर पर उन्‍होंने अमेरिका के परमाणु प्रोजेक्‍ट का नेतृत्‍व किया। हिरोशिमा और नागा‍शाकी में बम गिराए जाने से पहले मैनहट्टन में उनकी अगुआई में ही परमाणु बम का परिक्षण किया गया था। खास बात यह है कि यह भौतिकविद श्रीमदभगवद गीता से बहुत प्रभावित थे। इसके अध्‍ययन के लिए उन्‍होंने अलग से संस्‍कृत शिक्षा ली थी। यहूदी होने के बावजूद जीवनभर गीता से ही उन्‍होंने मार्गदर्शन लिया।

मैं अब संसार को नष्‍ट करने वाली मृत्‍यू बन गया हूं !

ओपेनहाइमर के बारे में कहा जाता है कि जब भी वे मानसिक द्वंद में होते तो श्रीमदभगवद गीता की शरण लेते थे। एक टीवी साक्षात्‍कार में उन्‍होंने पहला परमाणु विस्‍फोट देखने के क्षण को साझा किया। उनके साक्षात्‍कार का वह अंश आज भी काफी चर्चित है, जिसमें वह गीता का उल्‍लेख करते हैं। उस क्षण को याद करते हुए ओपनहाईमर बताते हैं कि उन्‍हें याद आया कि विष्‍णु ने अर्जुन को अपना दिव्‍य रूप दिखाया। कहा कि अब में संसार का नाश करने वाला काल बन गया हूं। युद्ध की विभिषिका को समझते हुए ओपनहाइमर ने यहां खुद की तुलना अर्जुन से की है। अर्जुन की तरह ही वे युद्ध से विरक्‍त हो रहे थे, फिर गीता में कृष्‍ण के उपदेशों से उन्‍होंने समझा कि योद्धा का धर्म और कर्तव्‍य ही लड़ना है। शरीर तो नष्‍ट हो जाते हैं लेकिन आत्‍मा अजर और अमर है। परमाणु बम बनाना और उसे गंतव्‍य तक पहुंचाना ही उनका कर्तव्‍य था।

उनकी शख्‍सियत ने गीता से ही आकार पाया

गीता को ओपनहाइमर ने संस्‍कृत में पढ़ा था। इतिहासकार बताते हैं कि उनकी शख्‍सियत ने गीता से ही आकार पाया। बर्कले में उन्‍होंने संस्‍कृत सीखी थी और कई बार इस बात को बताते भी थे। उनके लिये गीता किसी ज्ञात भाषा में मौजूद सबसे सुंदर दार्शनिक गीत था। गीता की एक प्रति वो हमेशा अपने साथ रखते। वहीं अक्‍सर अपने दोस्‍तों और परिचितों को भी उपहार में इस महान किताब को भेंट करते। उस दौर में दुनिया के पश्चिमी देश जिस तरह जंग की आग में जल रहे थे, ओपनहाइमर उन्‍हें भारत के दर्शन की ओर देखने को प्रेरित करते।

उनके मुताबिक इस सदी में अगर ऐसा कुछ था जो पश्चिम के देश भारत से सीख सकते थे तो यह गीता का अध्ययन था। उन्‍होंने गीता में उल्‍लेखित ब्रहमास्‍त्र को भी रेखांकित किया। परमाणु बम के समान ही विनाशक माना जाता है। उन्‍हें इसकी संभावना पर विश्‍ववास था।

एक बार रोचेस्‍टर विश्‍वविद्यालय में व्‍याख्‍यान के दौरान एक छात्र ने उनसे पूछा कि मैनहट्टन प्रोजेक्‍ट में जिस बम का परीक्षण किया गया था, क्‍या वह दुनिया का पहला परमाणु विस्‍फोट था?  इसके जवाब में ओपनहाइमर ने कहा कि आधुनिक युग में जरूर पहला था। उनकी ओर से यह इस बात का संकेत था कि ब्रह्मास्त्र रूपी परमाणु बम का विस्फोट पहले भी हो चुका है।

ऐक्‍टर मर्फी ने भी पढ़ी गीता

फिल्‍म में ओपनहाइमर की भूमिका निभा रहे हॉलीवुड ऐक्‍टर सिलियन मर्फी ने भी श्रीमदभगवद गीता का अध्‍ययन किया। इंडियन ऐक्‍सप्रेस में प्रकाशित एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने इस बात का खुलासा किया है। उन्‍होंने बताया कि ओपनहाइमर की भूमिका में गीता को समझना बहुत जरूरी है। जिसमें बेहद प्रेरक और पवित्र ज्ञान है। ओपनहाइमर के जीवन में गीता एक भरोसे की तरह थी, जो जीवन भर उनके साथ रहा।

परमाणु हथियारों के खिलाफ हो गए

हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु हमले के बाद बम बनाने और उसे इस्‍तेमाल करने के फैसले का शुरुआत में बचाव किया गया। लेकिन ज्‍यादा समय तक ओपनहाइमर ऐसा नहीं कर सके। उन्‍होंने तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्‍ट से मुलाकात की और कहा कि हम दोनों के हाथ खून से रंगे हैं। इसके बाद वे दुनिया दुनिया में परमाणु प्रसार रोकने के अभियान में जुट गए। उन्‍होंने कई मौकों पर परमाणु बम की कट्टर आलोचना की। 18 फरवरी 1967 मं 62 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्‍यू हो गई।

 

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