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मणिपुर घटना : NCW ने शिकायत मिलने के महीने भर बाद भी नहीं की कार्रवाई

– मणिपुर में महिलाओं के यौन उत्पीड़न मामले में नया खुलासा, महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायत महिला आयोग को 12 जून को भेजी गई थी
– घटना के ढाई महीने और शिकायत मिलने के महीने भर बाद भी राष्ट्रीय महिला आयोग ने नहीं की कोई कार्रवाई, अब लिया है मामले का स्वतः संज्ञान
PEN POINT, DEHRADUN : बीते बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में मणिपुर में भीड़ द्वारा दो कुकी महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाते हुए देखा जा सकता है। भीड़ द्वारा महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया, उनमें से एक महिला के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था। हालांकि, बताया जा रहा है कि यह घटना 4 मई की लेकिन वीडियो बुधवार को वायरल हो गया। वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार पर मणिपुर हिंसा को रोकने में नाकमयाब होने के साथ ही मणिपुर हिंसा की उपेक्षा का भी आरोप लगाया गया। साथ ही महिलाओं के साथ हुई इस क्रूरता को लेकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार की भी खूब ओलचना की गई।
बुधवार को वीडियो वायरल होने के बाद गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार ढाई महीने से जारी मणिपुर हिंसा मामले में सार्वजनिक रूप से अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बयान दिया। हालांकि, उससे पहले महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़े इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय केंद्र सरकार को फटकार लगा चुकी थी कि अगर सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की तो सुप्रीम कोर्ट को खुद कार्रवाई करनी पड़ेगी। उसके बाद प्रधानमंत्री ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि वह महिलाओं के इस यौन उत्पीड़न की घटना से दुखी हैं और उन्होंने सभी राज्यों को अपने यहां महिला सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाने की नसीहत दी। हालांकि, पूरे मामले में उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों पर भी महिला सुरक्षा में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट की फटकार और प्रधानमंत्री की ओर से जारी बयान के बाद आखिरकार इस घटना के ढाई महीने बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले का स्वतःसंज्ञान लेने की घोषणा की। हालांकि, राष्ट्रीय महिला आयोग के इस रवैये को लेकर लोगों ने सवाल उठाने भी शुरू कर दिए हैं। 4 मई को घटी इस घटना के ढाई महीने बाद वीडियो वायरल होने के बाद दो दिन बाद राष्ट्रीय महिला आयोग मामले का स्वतः संज्ञान लेने का फैसला तब लेता है जब सर्वोच्च न्यायालय तक इसका स्वतः संज्ञान ले चुका है।
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब न्यूजलांड्री में छपे एक लेख में दावा किया गया कि मणिपुर में 4 मई को महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न और सामूहिक बलात्कार की इस घटना की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग के पास 12 जून को कर दी गई थी लेकिन आयोग ने शिकायत के 38 दिनों बाद भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। यह शिकायत आयोग को दो मणिपुरी महिलाओं और मणिपुर आदिवासी संघ की ओर से दी गई थी। इस संगठन का मुख्यालय विदेश में है। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने 12 जून को इस घटना की शिकायत आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा को ईमेल के जरिए भेजी थी। शिकायत में लिखा गया था कि कि 4 मई को, कांगपोकपी जिले के एक गांव की दो महिलाओं को “निर्वस्त्र किया गया, उन्हें नंगा कर घुमाया गया, पीटा गया और फिर दंगाई मैतेई भीड़ ने सार्वजनिक रूप से सामूहिक बलात्कार किया।“ शिकायती पत्र में आयोग से “तत्पर अपील“ की गई थी कि “बलात्कार, अपहरण, सार्वजनिक हत्या, जलाने और हत्या सहित यौन हिंसा के क्रूर और अमानवीय कृत्यों के माध्यम से कुकी-ज़ोमी स्थानीय आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न का तत्काल आकलन करें।“
शिकायत में कुकी-ज़ोमी महिलाओं के खिलाफ “टकराव के हथियार के रूप में“ इस्तेमाल किए जा रहे बलात्कार, यौन उत्पीड़न और हत्या के अन्य उदाहरणों का हवाला दिया।
वहीं, इस मामले में नया मोड़ आया है। पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि मणिपुर पुलिस की ओर से उन्हें भीड़ के हवाले किया गया। पीड़ित महिलाओं और चश्मदीदों ने दावा किया है कि मणिपुर पुलिस के जवानों से महिलाएं सुरक्षा की गुहार लगाती रही लेकिन पुलिस ने महिलाओं को दंगाईयों के हाथों सौंप दिया और खुद मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही।
हालांकि, घटना का वीडियो जारी होने के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री की नींद भी खुली और उन्होंने पुलिस को आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए। गुरूवार को मणिपुर पुलिस ने भीड़ में शामिल 4 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है।

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