लंबा होता न्याय का इंतजार, देश की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित
– देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 5 करोड़ से अधिक, उत्तराखंड में ही जिला अदालतों में सवा तीन लाख से अधिक मामले लंबित
– एक लाख से ज्यादा मामले 30 साल से भी ज्यादा समय से लंबित, पांच लाख मामलों को लंबित हुए दो दशक से भी ज्यादा समय हुआ
PEN POINT, DEHRADUN : देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ से अधिक हो चुकी है। अकेले एक लाख से ज्यादा ऐसे मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें आखिरी फैसले के इंतजार को 30 साल से भी अधिक समय हो चुका है। वहीं, उत्तराखंड की जिला अदालतों समेत निचली अदालतों में भी लंबित मामलों की संख्या सवा तीन लाख से अधिक पहुंच चुकी है।
देश की न्यायपालिका पर मामलों को लंबे समय तक लटकाए रखने के आरोप लगते रहते हैं। न्याय की आस में अदालत के चक्कर काटते पीड़ितों को दशकों लग जाते हैं लेकिन उनके हिस्से के न्याय का फैसला नहीं आ पाता। आमतौर पर धारणा है कि देश के न्यायालयों में न्याय का इंतजार कभी न खत्म होने वाला इंतजार बन जाता है। अब केंद्र सरकार की ओर से पेश किए आंकड़े भी इन धारणाओं को और मजबूत करते है। राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि जुलाई महीने तक ही देश के सभी निचली अदालतों में ही 4 करोड़ 41 लाख 97 हजार 115 मामले लंबित हैं। इसमें अगर उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों को जोड़ दिया जाए तो लंबित मामलों की संख्या तो यह संख्या करीब 5 करोड़ पहुंच जाती है।
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी लंबित मामलों के मामले में नंबर वन बना हुआ है। उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों में ही 18,66,208 दीवानी मामले और 97,43,124 आपराधिक मामले लंबित हैं। वहीं अपराधों के लिहाज से बेहद शांत माने जाने वाले उत्तराखंड में भी 3,35,397 मामले जिला न्यायालय समेत निचली अदालतों में लंबित हैं। जिसमें से 2,90,164 आपराधिक मामले और 45,233 दीवानी के मामले हैं। अदालतों में लंबित मामलों के लिहाज से उत्तराखंड की अदालतें देश में 21वें नंबर पर हैं।
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड की रिपोर्ट के मुताबिक देश की अदालतों में ही 1 लाख से ज्यादा ऐसे मामले हैं जो पिछले तीस सालों से ज्यादा समय से लंबित हैं जिनमें 70 हजार से ज्यादा आपराधिक मामले हैं, तो 31 हजार से ज्यादा दीवानी मामले ऐसे हैं जिन्हें अदालतों में लटके हुए तीस साल से ज्यादा हो चुके हैं।
खुद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में बताया कि केवल हाईकोर्ट में ही 76 हजार से ज्यादा ऐसे मामले लंबित हैं जिन्हें 30 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है। ऐसे में ज्यादा संभावनाएं है कि आरोपी और पीड़ित दोनों ही इन मामलों के आखिरी फैसले सुनने के लिए जीवित भी बचे हों।
कितने मामले लंबित
निचली अदालतें – 4,41,97,115
उच्च न्यायालय – 60,62,000
सर्वोच्च न्यायालय – 69,776