25 लाख रिश्वत मांगने के आरोप में फंसे रूड़की मेयर ने दिया इस्तीफा
– नगर निगम मेयर रूड़की गौरव गोयल ने 25 जुलाई को किया था इस्तीफा देने का एलान, शुक्रवार को शासन को भेजा इस्तीफा हुआ स्वीकार
– पार्षदों, कर्मचारियों, ठेकेदारों से विवाद के साथ ही भाजपा विधायकों के साथ विवाद भी रही वजह, वहीं, भ्रष्टाचार के भी लगते रहे आरोप
PEN POINT, DEHRADUN : आखिकार इस्तीफे के एलान के चार दिन बाद रूड़की के मयेर गौरव गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नगर निकाय चुनाव से कुछ महीने पहले ही गौरव गोयल के इस्तीफे के पीछे लंबे समय से चले आ रहे विवादों के साथ ही उन पर 25 लाख रूपए रिश्वत के आरोप को कारण माना जा रहा है। वहीं, गौरव गोयल ने भाजपा के पूर्व विधायक समेत भाजपा नेताओं पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया जिसे शासन ने स्वीकार कर नगर निगम रूड़की में प्रशासक बैठा दिया है।
साल 2019 में भाजपा की तत्कालीन सरकार के भरपूर समर्थन के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को हराकर मेयर का चुनाव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीता था। रूड़की क्षेत्र में लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाने वाले गौरव गोयल पर कांग्रेस और भाजपा की बजाए लोगों ने भरोसा जताया लेकिन मेयर के रूप में गौरव गोयल पार्षदों का भरोसा नहीं जीत सके। बोर्ड की पहली बैठक में ही मेयर गोयल और पार्षदों के बीच तनाव का जो सिलसिला शुरू हुुआ उसकी परिणिती गोयल के इस्तीफे के रूप में सामने आई। रूड़की निगम निगम में बतौर मेयर पद संभालने के बाद गौरव गोयल की पार्षदों से तनातनी तो रही लेकिन निगम के कर्मचारियों से लेकर निगम के काम करने वाले ठेकेदारों तक से मेयर गौरव गोयल के संबंध हमेशा तनावपूर्ण ही रहे। कर्मचारी, ठेकेदार लगातार शासन से मेयर के खिलाफ शिकायतें करते रहे। तो पार्षदों के साथ उनके रिश्ते पटरी पर नहीं आ सके और हर बैठकों में हंगामा और बैठकों के रद होने का दौर भी पिछले चार सालों से लगातार चलता आया। हालांकि, पिछले चार साल से युद्धभूमि में तब्दील हो चुके रूड़की नगर निगम को वह जैसे तैसे चला ही रहे थे लेकिन, भाजपा के पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल से विवाद के बाद गौरव गोयल की मुसीबतें बढ़ती ही गई। फरवरी 2020 को नगर निगम रूड़की की बोर्ड की पहली बैठक आयोजन किया गया, उसमें तत्कालीन झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल भी हिस्सा ले रहे थे। इस बीच एक प्रस्ताव पर तत्कालीन विधायक कर्णवाल ने आपत्ति दर्ज की और वह अपनी बात रखने लगे तो मेयर ने नाराज होकर उनसे माईक छीन लिया। तत्कालीन भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने इसे अपने अपमान के तौर पर लिया। उसके बाद लगातार अलग अलग मामलों, लापरवाहियों को लेकर मेयर गौरव गोयल के खिलाफ शासन में शिकायतों का दौर शुरू हो गया।
लेकिन, मेयर गौरव गोयल के लिए मुसीबत तब खड़ी हुई जब जनवरी 2022 को लीज की संपति स्थानातंरण को लेकर सुबोध गुप्ता नाम के व्यक्ति ने एक ऑडियो जारी कर गौरव गुप्ता पर 25 लाख रूपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। इस मामले में गोयल के खिलाफ रूड़की कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज किया। ऑडियो की फॉरेंसिक जांच की गई तो जून महीने में आई रिपोर्ट में 25 लाख रूपए रिश्वत मांगने के इस ऑडियो में गौरव गोयल की आवाज होने की पुष्टि हुई। हालांकि, तब से गौरव गोयल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। वहीं, इनके खिलाफ हाईकोर्ट में भी रूड़की निवासी अमित अग्रवाल की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमें मेयर गौरव गोयल पर लीज संपत्ति हस्तांतरण के नाम पर 25 लाख रुपये रिश्वत मांगे जाने, निगम की पत्रावलियों में छेड़छाड़ करने, ठेकेदारों को परेशान करने व कर्मचारियों से ठीक व्यवहार न करने आदि के आरोप लगाए थे। न्यायायल ने इस पर संज्ञान लिया। जिसके चलते निर्वतमान जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पांडेय ने मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
ऐसे में लगातार यह संभावना बनी हुई थी कि न्यायालय कभी भी मेयर गौरव गोयल के मामले में फैसला दे सकता है या फिर शासन ही इन भ्रष्टाचार के आरोपों पर गौरव गोयल को पद से हटा सकती है। ऐसे मंे उससे पहले ही गौरव गोयल ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, माना जा रहा है कि गौरव गोयल को भनक लग गई थी उन पर लगे आरोपों के मामले में जल्द फैसला आने वाला है जिसमें उनके खिलाफ कार्रवाई भी तय है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि उन पर लगे आरोपों के चलते उन पर छह सालों तक चुनाव लड़ने से भी प्रतिबंध लग सकता है। वहीं, इस्तीफा देने के बाद मेयर गौरव गोयल ने इस्तीफा देने के लिए शहर विधायक प्रदीप बत्रा, पार्षदों और निगम के एक पूर्व अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है। बताया कि त्रस्त होकर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा है। पूर्व नियोजित ढंग से हर बोर्ड बैठक में उन्हें निशाना बनाते हुए पार्षदों ने हंगामा किया। इसके गौरव गोयल ने विधायक प्रदीप बत्रा को जिम्मेदार बताया। वहीं, विधायक प्रदीप बत्रा ने मेयर गौरव गोयल के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन पर जल्दी ही उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कानूनी कार्रवाई होनी तय थी ऐसे में वह पहले ही इस्तीफा देकर जनता से हमदर्दी लेना चाहते हैं जबकि उनका पूरा कार्यकाल अनियमितताओं से भरा रहा।