Search for:
  • Home/
  • उत्तराखंड/
  • बागेश्वर उपचुनाव में क्या भाजपा को चंपावत जैसी बड़ी जीत मिल पाएगी ?

बागेश्वर उपचुनाव में क्या भाजपा को चंपावत जैसी बड़ी जीत मिल पाएगी ?

Pen Point, Dehradun : बागेश्वर उपचुनाव के लिये मतदान का दिन नजदीक आने के साथ चुनाव प्रचार भी जोरों पर है। प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज मैदान में उतरे हुए हैं। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार चुनावी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। चंपावत सीट पर भारी मतों से उपचुनाव जीते मुख्यमंत्री की कोशिश है कि उस प्रदर्शन को बागेश्वर में भी दोहराया जाए। वहीं कांग्रेस इस उपचुनाव के जरिए चंपावत उपचुनाव की करारी हार का बदला लेने की फिराक में दिख रही हैं। कांग्रेस के सभी बड़े नेता बागेश्वर पहुंच रहे हैं। बीजेपी ने जहां इस सीट से विधायक चुने गए दिवगंत चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास पर दांव खेला है। वहीं कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी छोड़कर आए बसंत कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसंत कुमार दूसरे नंबर पर रहे थे। जाहिर है कि उनके पास कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम पहले से मौजूद है। अब कांग्रेस में आने के बाद पिछले प्रदर्शन के आधार पर उनकी स्थिति बेहतर कही जा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि सत्ताधारी दल भाजपा क्या पार्वती दास को चंपावत चुनाव जैसी बड़ी जीत दिलाने में कामयाब रहेगी, या फिर मुकाबला कांटे का होने जा रहा है।

भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास की स्थिति पर नजर डालें तो उनके साथ सत्ताधारी दल के साथ ही सहानुभूति भी है। भाजपा का मजबूत सांगठनिक ढांचा और काम करने का तरीका किसी भी पार्टी प्रत्याशी के लिये हालात को बदलने का दम रखता है। माना जा रहा है कि उनके साथ सहानुभूति की लहर भी उनके पक्ष में रहेगी। भाजपा की ओर से दावा भी यही किया जा रहा है कि उनकी प्रत्याशी को बड़े अंतर से जीत मिलने जा रही है। हालांकि यह राजनीतिक दावा माहौल बनाने के लिये किया जा रहा है। जबकि हकीकत में भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इस बार मेहनत ज्यादा करनी होगी। मुख्यमंत्री धामी की चंपावत में बड़े अंतर से हुई जीत अलग विषय है। धामी लोगों को बतौर मुख्यमंत्री चंपावत के विकास का मैसेज देने में कामयाब रहे थे, जिस पर वो काम भी कर रहे हैं। जबकि पार्वती दास के साथ सहानुभूति के साथ सत्ताधारी दल का प्रबंध तंत्र होने के बावजूद हार जीत के अंतर को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

राजनीतिक अनुभव के नजरिए से पार्वती दास को नौसीखिया नहीं कहा जा सकता है। उनके पति चंदनराम दास लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और कई चुनाव लड़े। जिनमें पार्वती दास काफी सक्रिय रही हैं और उन्हें चुनाव प्रबंधन की बारीकियां भी मालूम हैं।

इन सबके बावजूद उनके सामने बसंत कुमार को एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। बागेश्वर में आम चुनावी चर्चा में अधिकांश लोग परिणाम को लेकर अभी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है। यह इसी बात का संकेत है कि इस उपचुनाव में कांग्रेस ताल ठोक कर खड़ी है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आखिर में जीत भाजपा की होगी। जिसके पीछे दलील यही है कि उपचुनाव का परिणाम सत्ताधारी दल के पक्ष में ही जाता है। लेकिन चंपावत जैसी बड़ी जीत को भाजपा यहां शायद ही दोहरा पाए।

 

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required