ईदगाह मैदान में मनेगी गणेश चतुर्थी !
PEN POINT : कर्नाटक एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यहाँ एक विवादित स्थल पर सांप्रदायिक कार्यक्रम के आयोजन को लेकर फिर बहस छिड़ गयी है। दरअसल कर्नाटक के हुबली जिले के विवादास्पद ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की इजाजत अफसरों ने दी थी। धारवाड़-हुबली शहर निगम आयुक्त ईश्वर उल्लागड्डी ने 3 दिन के उत्सव की अनुमति देने के लिए शुक्रवार देर रात अनुमति पत्र दिया था। लेकिन इसके बाद अंजुमन-ए-इस्लाम संगठन ने इस निरनय के खिलाफ विवादास्पद स्थल पर गणेश उत्सव मनाने की इजाजत देने के हुबली-धारवाड़ सिटी कॉर्पोरेशन के फैसले का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संगठन विशेष के दबाव को देखते हुए पिछले महीने हुई सामान्य सभा की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई थी लेकिन बाद में नगर निगम ने इस आयोजन की इजाजत देने से इनकार कर दिया।
शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने अंजुमन-ए-इस्लाम संगठन की तरफ से दायर विवादास्पद स्थल पर गणेश उत्सव मनाने की इजाजत देने के हुबली-धारवाड़ सिटी कॉर्पोरेशन के फैसले का विरोध वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया। लेकिन इसके बावजूद निगम प्रशासन ने इजाजत देने में देरी की। जिसके विरोध में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और हिन्दू वादी संगठनों ने भगवा पार्टी के विधायक अरविंद बेलाड और महेश तेंगिनाकायी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी अनुमति पत्र नहीं देने के लिए नगर निकाय की निंदा की थी और सड़क को जाम कर दिया था।
पुलिस कमिश्नर उमा सुकुमारन और अतिरिक्त पुलिस बल के मौके पर पहुंचने और प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने के बाद ही जाम खुल सकता। बता दें की इस निर्णय के सामने आटे ही कई पुराने मामले विमर्श के केंद्र में आ गए हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच ने शुक्रवार को ईदगाह मैदान परिसर में गणेश मूर्ति की स्थापना और गणेश चतुर्थी मनाने का विरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यहां समारोह को मनाने का रास्ता साफ हो गया था।
नहीं फहराने दिया था तिरंगा
कर्णाटक के हुबली में ईदगाह विवाद साल 1971 में सामने आया था, तब अंजुमन-ए-इस्लाम ने इस जमीन पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की कोशिश की और कथित तौर पर 1921 के लीज समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बिल्डिंग खड़ी कर दी। बदले दौर में वक्त के साथ ही इस विवाद ने राजनीतिक रूप ले लिया। 1992 में कर्णाटक में कांग्रेस की सरकार काबिज थी तब इस परिसर पर तिरंगा फहराने की कोशिश की गई, लेकिन सरकार ने यह यह तर्क देते हुए कार्रवाई रोक दी कि और आशंका जताई गयी कि इस तरह की किसी भी कार्रवाई से सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। लिहाजा ऐसे में क्षेत्र में कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते तिरंगा फहराने के कार्यक्रम पर रोक लगा दी गयी।
क्यों हुई थी फायरिंग, जिसमें चली गयी थी 6 लोगों जान
कृंतक के इस हुबली में इसी जगह एक बार फिर इस जगह पर माहौल सियासत और साम्प्रदायिकता के साथ गरम किया गया1994 में। तब भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ईदगाह मैदान में झंडा फहराने का ऐलान किया था। हालांकि, तत्कालीन राज्य सरकार ने सांप्रदायिक तनाव के डर से वहां कर्फ्यू लगा दिया। ऐसे में उमा भारती को विवादित स्थल पर पहुंचने रोक दिया गया। लेकिन सर्कार और पुलिस प्रशसन की लाख कोशिशों के बावजूद कुछ अन्य लोगों ने शहर में जबरदस्ती घुसने का प्रयास किया, जिनमें से कुछ को तो गिरफ्तार कर लिया गया। एक पक्ष की तरफ से माहौल को पूरा सियासी और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गयी। इस घटना में पुलिस फायरिंग में 6 लोगों की मौतें हो गई थी।