झुलघाटा का होटला चाना पकौड़ी, अब मायूस हो रहे हैं इस गीत के बोल
Pen Point (Pushkar Rawat) : पिथौरागढ़ से पैंतीस किलोमीटर दूर काली नदी के दोनों किनारों पर फैला हुआ है झूलाघाट बाजार। इस बाजार को लेकर एक गीत काफी चर्चित है- झुलघाटा का होटला, चाना पकौड़ी। जिससे मालूम होता है कि इस इलाके के लोगों के लिये झूलाघाट की क्या अहमियत रही है। लेकिन अब इस बाजार में अजीब सी मायूसी पसरी हुई है। जबकि भारत नेपाल सीमा पर होने के कारण यह बाजार खास रहा है। काली नदी पर बने ऐतिहासिक झूलापुल से ही इसका नामकरण हुआ लगता है। बाजार से करीब तीन सौ मीटर पहले एसएसबी की चैक पोस्ट है। बाहर से आने वाले लोगों से यहां पर कुछ पूछताछ होती है। भारत की ओर बाजार के बीच तक गाड़ी जाती है। उसके बाद दुकानों के बीच संकरी गली वाला बाजार है। जिसे पार करते हुए पुल तक पहुंचा जाता है। इस बाजार में खाने पीने की चीजों के साथ ही बर्तन, कपड़े, जूते चप्पल जैसे सामान की भरी पूरी दुकानें हैं। पुल पर भी भारत की ओर एसएसबी के जवान तैनात हैं। जो ताकीद करते हैं कि उस पार जाने के बाद सात बजे से पहले वापस आ जाएं। दरअसल शाम सात बजे पुल को आवाजाही के लिये बंद कर दिया जाता है। करीब चालीस मीटर का झूला पुल थोड़ा रोमांच पैदा करता है। अथाह पानी के साथ तेज बहाव वाली काली नदी इस जगह पर सबसे संकरी है। दोनों ओर मजबूत चट़टानें हैं। काली नदी पर इतनी संकरी जगह दूर दूर तक कहीं नहीं दिखती। शायद इसीलिये अंग्रेजों इस जगह को पुल बनाने के लिये चुना था। भारत नेपाल के बीच सिगौली की संधि के बाद 1819 में यह पुल बना था।
पुल की सतह लकड़ी के तख्तों से बनी है, उपर से ब्लैक टॉप पेंटिंग की गई है। पुल पार करते ही नेपाल की ओर बाएं हाथ पर शिवजी का मंदिर है। उसके पास ही नेपाली फौज की चेक पोस्ट है। जहां नीली और ग्रे रंग की वर्दी में दो जवान तैनात हैं। खाली हाथ पुल पार करने वालों से कोई पूछताछ नहीं होती, लेकिन सामान लेकर आने वाले लोगों से पूछताछ की जाती है। पुल के दायीं ओर पहली दुकान कपड़ों की है। दूसरी दुकान को देख हम चौंक गए। ये एक मदिरा मसल यानी शराब की दुकान थी, जिस तरह हमारे यहां किराने की दुकानें होती हैं, उसी तरह नेपाल में शराब की दुकानें हैं। आगे बढ़ने पर इस तरह की कई दुकानें हमें आस पास नजर आई। ज्यादातर दुकानें जैकेट, बैग जूते, कपड़े और खाने पीने की पैक्ड चीजों की हैं। जिन पर चीन की छाप दिखती है। यहां भारत और नेपाल दोनों देशों की करेंसी चलती है। करीब पचास मीटर बाद नेपाल भन्सार विभाग का दफृतर दिखा। पूछने पर पता चला यह कस्टम विभाग का दफ्तर है।
पूरा बाजार वीरान सा दिखता है। अधिकांश दुकानें बंद थी और जो खुली थी उनमें बैठे व्यापारी अनमने से थे। स्थानीय व्यापारी मोहन सिंह खड़ायत बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद यह बाजार उबर नहीं सका है। काफी लोग यहां से दुकानें बंद कर जा चुके हैं, जब ग्राहक ही नहीं है तो दुकान का क्या करेंगे।
पहले इस बाजार में खूब चहल पहल थी। दुकानों का आकार तरतीब से बनी दुकानें इस बात की तस्दीक भी करती हैं। झूलाघाट को लेकर एक गीत भी गाया जाता है- झुलघाटा का होटला, चाना पकौड़ी। किसी भी बाजार पर बना गीत स्थानीय लोगों के भाव को व्यक्त करता है।
मदिरा पसल चलाने वाले भूप्पी का भी ऐसा ही मानना था। वह बताता है कि तीन चार साल पहले एक अर्जुन कपूर और परिणिती चोपड़ा की एक फिल्म की शूटिंग हुई थी, उसी दिन झूलाघाट में मेला सा दिखा था, उसके बाद सब ठप्प पड़ा है। इसकी वजह बताते हैं कि नेपाल की ओर भी अब गांवों तक सड़कें और दुकानें पहुंच चुकी है।
नेपाल का यह इलाका जिला बेतड़ी में आता है, जहां काफी बड़ा बाजार आकार ले चुका है, वहीं जिले के और कस्बों में बाजार विस्तार ले चुके हैं। स्थानीय नजरिये से देखें तो कमाउं की सोर और नेपाल के डोटी इलाके के बीच पहले से ही रिश्तेदारियां होती रही हैं। रोजगार के लिये भी झूलाघाट बाजार से होते हुए कई लोग भारत के शहर कस्बों की ओर आते हैं।
यहां के व्यापारियों के चेहरे पर छायी मायूसी बहुत कुछ बयां करती है। दरअसल, काली नदी पर बन रहे पंचेश्वर बांध के डूब क्षेत्र में ये इलाका भी आता है। बांध के लिये तैयार होने वाली विशाल झील में झूलाघाट भी समा जाएगा। ठीक उसी तरह जैसे टिहरी बांध की झील में ऐतिहासिक टिहरी शहर और सैकड़ों गांव समाए हुए हैं। यही वजह है कि झूलाघाट के व्यापारी मंदी के साथ ही भविष्य को लेकर भी आशंकित हैं।