बड़े नेताओं का चेहरा देखने को तरस गए टिहरी-उत्तरकाशी के मतदाता
– 2024 के लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय सीट पर राष्ट्रीय पार्टियों के राष्ट्रीय नेताओं ने आने से किया परहेज, एक तरफा मुकाबले के चलते उत्तरकाशी टिहरी में नहीं आयोजित हुई कोई बड़ी सभा
Pen Point, Dehradun : लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार बुधवार शाम थम गया और अब शुक्रवार को प्रदेश के 85 लाख के करीब मतदाता पांच सांसदों को चुनने के लिए मतदान करेंगे। प्रदेश भर में चुनावी प्रचार के दौरान अलग अलग जगहों पर राष्ट्रीय नेताओं ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में रैलियां की लेकिन टिहरी संसदीय सीट के 15 लाख के करीब मतदाता इस बार भाजपा और कांग्रेस के किसी भी राष्ट्रीय नेता के दीदार को तरसते रहे। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में से सिर्फ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ही मसूरी में एक जनसभा करने पहुंचे और चुनावी प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को छोड़ कोई भी स्टार प्रचारक टिहरी संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार को नहीं पहुंचा। खासकर उत्तरकाशी और टिहरी जनपद में फैली विधानसभाओं में मुख्यमंत्री ने भी गिनी चुनी जगहों पर ही मतदाताओं को रिझाने को अपील की। जबकि, कांग्रेस के नेताओं ने भी टिहरी संसदीय सीट से दूरी ही बनाए रखी। माना जा रहा है कि टिहरी संसदीय सीट पर किसी भी बड़े नेता ने जनसभा न कर यह भाजपा के एक तरफा मुकाबले के संदेश देने की कोशिश की।
टिहरी संसदीय सीट में हमेशा एक दूसरे को मजबूत टक्कर देने वाले भाजपा कांग्रेस के बीच की चुनावी लड़ाई बेहद फीकी रही। हालांकि, इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार ने जरूर चुनावी लड़ाई में रौचकता पैदा की है लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं ने इस बार टिहरी संसदीय सीट पर चुनावी अभियान से दूरी बनाई रखी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ कोई भी बड़ा नेता टिहरी संसदीय सीट पर प्रचार अभियान को नहीं पहुंचा। तो यही हाल कांग्रेस के भी रहे। शुरूआती दौर में जब कांग्रेस की ओर से जोत सिंह गुनसोला को भाजपा में लगातार तीन बार सांसद रह चुकी माला राज्यलक्ष्मी शाह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा तो उससे पहले ही कांग्रेस नेताओं के बड़े हिस्से को भाजपा अपने साथ शामिल कर चुकी थी लिहाजा हालात यह हो चुके थे कि टिहरी संसदीय सीट के गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला संसदीय सीटों पर कांग्रेस के पास प्रचार के लिए मौजूदा तो क्या कोई पूर्व विधायक तक नहीं था। शुरूआती दौर में यह चुनाव भाजपा के एक तरफा साबित होने लगा। लेकिन, 26 वर्षीय निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के चुनावी मैदान में आने के बाद हालात बदलने लगे। बेरोजगारों के आंदोलन का मुख्य चेहरा बने बॉबी पंवार के साथ बड़ी संख्या में युवाओं का हुजूम जुटने लगा तो तब तक भाजपा के लिए एक तरफा रही इस लड़ाई मुकाबले के लिए मजबूत प्रतिद्वंदी सामने आ गया था। जबकि, कांग्रेस इस लड़ाई को शुरूआती दौर में ही हार चुकी थी। लेकिन, बॉबी पंवार के बढ़ते समर्थन के बावजूद भी भाजपा के बड़े नेताओं ने टिहरी संसदीय सीट में चुनावी अभियान से दूरी बनाए ही रखी। पूरा चुनावी अभियान बुधवार शाम को खत्म हुआ लेकिन भाजपा का कोई भी बड़ा राष्ट्रीय नेता चुनाव प्रचार को टिहरी संसदीय क्षेत्र में नहीं पहुंचा। जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूद्रपुर, ऋषिकेश में चुनावी रैली करने आए, अमित शाह, राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी समेत अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने भी राज्य के अलग अलग हिस्सों में जनसभाएं कर संबंधित संसदीय सीटों से भाजपा प्रत्याशियों के लिए समर्थन मांगा। लेकिन, राष्ट्रीय नेता टिहरी संसदीय सीट से दूरी बनाए रखे। हालांकि, बीते बुधवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का टिहरी संसदीय सीट के अंतर्गत चकराता में जनसभा का आयोजन प्रस्तावित था लेकिन अनुराग ठाकुर वहां नहीं पहुंचे।
माना जा रहा है कि भाजपा ने रणनीति के तहत टिहरी संसदीय सीट से दूरी बनाए रखी। टिहरी संसदीय सीट पर मुकाबले के कांग्रेस के पहले ही बाहर हो जाने के बाद मुख्य मुकाबला अब भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह और निर्दलीय बॉबी पंवार के बीच माना जा रहा था। भाजपा नेताओं का मानना था कि अगर राष्ट्रीय नेता टिहरी संसदीय सीट पर चुनावी सभा करते हैं तो माना जाएगा कि भाजपा भी बॉबी पंवार को मुख्य मुकाबले में मान रही है जिसका संदेश मतदाताओं के बीच जाएगा लिहाजा भाजपा ने बड़े नेताओं के किसी भी कार्यक्रम का आयोजन टिहरी संसदीय सीट पर नहीं किया। लिहाजा, 14 विधानसभा में फैली टिहरी संसदीय सीट के 15 लाख से अधिक मतदाताओं को इस बार किसी बड़े राष्ट्रीय नेता के दीदार नहीं हो सके।
भाजपा संगठन से जुड़े एक नेता बताते हैं कि चुनाव की शुरूआत में योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर समेत अन्य स्टार प्रचारकों की रैलियों के आयोजन का कार्यक्रम फाइनल हो चुका था। जिसमें से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 16 अप्रैल को एक रैली पुरोला में प्रस्तावित थी तो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की रैली 14 अप्रैल को उत्तरकाशी में प्रस्तावित थी जबकि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की रैली 17 अप्रैल को चकराता में प्रस्तावित थी लेकिन संसदीय सीट पर चुनावी माहौल को देखते हुए इन कार्यक्रमों को रद किया गया और कार्यकर्ताओं के जरिए ही डोर टू डोर जनसंपर्क अभियान पर ही ध्यान केंद्रित रखा गया।