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देहरादून नगर निगम के मेयर पद के लिए नहीं दिख रहा कोई दावेदार

– देहरादून नगर निगम में बीते सालों के उलट इस बार अब तक सामने नहीं आया कोई भी प्रत्याशी, पार्षद पदों पर ही चल रही खूब जोर आजमाइश
Pen Point, Dehradun : प्रदेश में निकाय चुना का काउंटडाउन भी शुरू हो गया है। शासन ने दावा किया है कि वह अगले कुछ दिनों में ही निकाय चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने जा रहा है। लेकिन, प्रदेश के सबसे बड़े नगर निकाय में अब तक मेयर पद की दावेदारी करने वाले नजर नहीं आ रहे हैं। राज्य की राजधानी देहरादून में फिलहाल मेयर पद के लिए दावेदारी करता कोई नजर नहीं आ रहा है। जबकि, इसके उलट पिछली बार भाजपा की ओर से दावेदारी करने वाले और बाद में मेयर पद पर जीत दर्ज करने वाले सुनिल उनियाल गामा लंबे समय से तैयारियों में जुटे हुए दिख रहे थे। लेकिन, इस बार माहौल पूरी तरह से खामोश है।
नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना कुछ ही दिनों में जारी होने वाली है लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण निकाय नगर निगम देहरादून में इस बार चुनाव से पहले कोई राजनीतिक हलचल होती नहीं दिख रही है। बीते सालों के मुकाबले इस बार अब तक मेयर पद का कोई भी दावेदार नहीं दिखा है। हालांकि, पिछले तीन कार्यालय से नगर निगम देहरादून का पद अनारक्षित रहा है लिहाजा ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार आरक्षण रोस्टर के तहत मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। लिहाजा, अब तक कोई भी दावेदार नगर निगम मेयर पद के लिए दावेदारी करता नजर नहीं आ रहा है। जबकि, इसके उलट पिछली बार मौजूदा मेयर सुनिल उनियाल गामा ने चुनाव से काफी पहले ही दावेदारी पेश कर चुनावी तैयारियां शुरू कर दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी होने के चलते गामा नगर निगम क्षेत्र में होने वाले राजनीतिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री के साथ हर जगह दिखने लगे। ऐसे में तब कयास लगाए जाने लगे कि मेयर पद के लिए भाजपा की ओर से गामा ही प्रत्याशी होंगे और मुख्यमंत्री उन्हें जितवाने के लिए पूरी जोर आजमाइश करेंगे और हुआ भी यही। लेकिन, इस बार कहानी कुछ और है। आरक्षण पर तस्वीर साफ न होने से कोई भी नेता खुलकर दावेदारी पेश नहीं कर रहा है। बीते सालों तक पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी सोनिया आनंद ने मेयर पद पर अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन हाल ही में हरक सिंह रावत के करीबी लोगों पर ईडी की छापेमारी के बाद जिस तरह से उनसे जुड़े लोगों ने या तो भाजपा का दामन थामा या फिर खामोशी से किनारे हो गए। उससे आशंका जताई जा रही है कि सोनिया आंनद भी किसी भी तरह की मुसीबत में उलझने की बजाए खामोशी से अलग हो जाएंगी। हालांकि, सोशल मीडिया पर सोनिया आनंद नगर निगम और निर्वतमान मेयर पर लगातार सवाल उठाती रहती हैं। वहीं, भाजपा की ओर से फिलहाल किसी भी नेता ने दावेदारी पेश नहीं की है। ऐसे में आरक्षण पर तस्वीर साफ होने के बाद ही शायद कोई नेता दावेदारी करते हुए देखा जाए। यदि, आरक्षण रोस्टर के मुताबिक देहरादून नगर निगम मेयर पद महिला के लिए आरक्षित हुआ तो माना जा रहा है कि भाजयुमो की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री की पुत्री नेहा जोशी भी दावेदारी कर सकती है। नेहा जोशी ने टिहरी संसदीय सीट से भी टिकट के लिए दावेदारी पेश की थी लेकिन उन्हें यहां निराशा ही हाथ लगी थी।

तो 15 मई को जारी होगा चुनावी कार्यक्रम
प्रदेश में पिछले छह महीनों से नगर निकायों का प्रशासन प्रशासकों के हवाले है। बीते दिनों नैनीताल हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने जून से पहले निकाय चुनाव करवाने का हलफनामा दिया था। इस लिहाज से देखा जाए तो इसी महीने शासन को राज्य में नगर निकाय चुनाव करवाने हैं। हालांकि, शहरी विकास निदेशालय भी साफ कर चुका है कि मई जून में प्रदेश में नगर निकाय चुनाव संपन्न किए जाएंगे। प्रदेश के 102 निकायों में से 93 निकायों में चुनाव की अधिसूचना 15 मई तक जारी होने की संभावनाएं जताई जा रही है। जबकि नगर निगम रुड़की और नगर पालिका परिषद बाजपुर में पूर्व में परिसीमन संबंधी विवाद, हाईकोर्ट के आदेश के बाद देरी से चुनाव हुआ था। अब अन्य निकायों के चुनाव के समय नगर निगम रुड़की का कार्यकाल बचा है। निर्वाचन आयोग का कहना है कि यहां कार्यकाल पूरा न होने से फिलहाल निकाय चुनाव नहीं हो सकते हैं। वहीं, नगर पालिका हर्बटपुर, नगर पालिका नरेंद्र नगर और नगर पंचायत कीर्तिनगर में भी अभी तक परिसीमन ही नहीं हो पाया है। लिहाजा, यहां भी फिलहाल चुनाव होने की संभावना नहीं दिख रही है। जबकि, नगर पंचायत बदरीनाथ, नगर पंचायत केदारनाथ और नगर पंचायत गंगोत्री में चुनाव नहीं होते हैं और यह तीनों निकाय प्रशासक के जरिए चलते हैं।

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