उत्तरकाशी : संगठन में दबदबा लेकिन क्षेत्र में पिछड़ रहे भाजपा के यह नेता
– लोकसभा चुनाव परिणाम में टिहरी संसदीय सीट पर यमुना घाटी में दो साल में भी भाजपा नहीं सुधार पाई अपना प्रदर्शन, संगठन के शीर्ष पर बैठे क्षेत्र के नेताओं के बावजूद घटा पार्टी का वोट बैंक
Pen Point, Dehradun : बीते मंगलवार को घोषित लोकसभा चुनाव में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर भले ही भाजपा ने बड़े अंतर से जीत की हैट्रीक लगाई हो लेकिन सीमांत जनपद उत्तरकाशी में भाजपा को इस बार मुंह की खानी पड़ी। खासकर लंबे समय से भाजपा के संगठन में दबदबा बनाए यमुना घाटी के नेताओं के क्षेत्र में भाजपा को निर्दलीय प्रत्याशी के मुकाबले आधे वोट मिले। भाजपा को जनपद की यमुना घाटी में मुंह की खानी पड़ी। यह हाल तब है जब प्रदेश से लेकर जनपद में भाजपा संगठन के जिलाध्यक्ष समेत प्रमुख पदों पर यमुना घाटी का लंबे समय से दबदबा है। यमुना घाटी में 2022 विधानसभा चुनाव के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के घटते वोट बैंक 2027 के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं।
प्रदेश की पांचों संसदीय सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रीक लगाई है। प्रदेश के मतदाताओं ने साबित किया कि तमाम आलोचनाओं के बाद भी मोदी लहर फीकी नहीं पड़ी है। भारी मतों से विजयी होने के बावजूद भाजपा संगठन के लिए उत्तरकाशी जनपद ने खासकर यमुना घाटी में प्रदर्शन ने मुश्किलें खड़ी कर दी है। उत्तरकाशी जनपद के भाजपा संगठन में पिछले दशक भर से यमुना घाटी के भाजपा नेताओं का दबदबा है तो वहीं प्रदेश संगठन भी यमुना घाटी के भाजपा नेता लंबे समय से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं ऐसे में यमुना घाटी में भाजपा के खराब होते प्रदर्शन से यमुना घाटी के भाजपा नेताओं की नेतृत्व क्षमताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में यमुनोत्री विधानसभा ने खासा निराश किया था। तत्कालीन भाजपा के मौजूदा विधायक केदार सिंह रावत तीसरे नंबर पर रहे थे और यमुनोत्री में भाजपा का प्रदर्शन प्रदेश भर में सबसे बुरा रहा। तो अब 2024 के नतीजों के बाद फिर से यमुनोत्री विधानसभा में भाजपा नेताओं के नेतृत्व और मतदाताओं व क्षेत्र के साथ उनके जुड़ाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठने लाजमी भी है। यमुना घाटी की यमुनोत्री और पुरोला विधानसभा के भाजपा नेता लंबे समय से भाजपा के उत्तरकाशी जनपद संगठन में सर्वोच्च पदों पर काबिज हैं। यमुना घाटी के भाजपा नेता श्याम डोभाल के जिलाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद यमुना घाटी के ही रमेश चौहान को भाजपा के जिलाध्यक्ष की कमान मिली थी, उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद यमुना घाटी के ही भाजपा नेता सत्येंद्र राणा को जिलाध्यक्ष की कुर्सी मिली। इसके साथ ही अन्य आनुशांगिक संगठनों में भी इसी घाटी के नेताओं का दबदबा है।
गंगा और यमुना घाटी में फैली यमुनोत्री विधानसभा के 118 बूथ गंगा घाटी में स्थित हैं जबकि 60 बूथ यमुना घाटी में स्थित हैं। यमुना घाटी के भाजपा नेताओं के लंबे समय से संगठनों के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज होने के बावजूद इस लोकसभा चुनाव में यमुना घाटी के 60 बूथों पर भाजपा को सिर्फ 5349 वोट मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को इन बूथों पर 10505 वोट मिले यानि भाजपा से लगभग दोगुने। जबकि, गंगा घाटी के 118 बूथों पर भाजपा को 9128 वोट मिले जबकि निर्दलीय बॉबी पंवार को 10737 वोट मिले यानि भाजपा यहां भी दूसरे नंबर पर रही लेकिन बेहद मामूली अंतर से। हालांकि, गंगा घाटी में भी भाजपा की चन्यालीसौड़ ग्रामीण मंडल ने बचाई। दिचली गमरी पट्टी वाले सुदूर चिन्यालीसौड़ ग्रामीण मंडल में भाजपा को 3906 वोट मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को 2677 वोट मिले। वहीं, यमुना घाटी से ताल्लकु रखने वाले भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान के बूथ पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। यमुना घाटी के नगाड़गांव स्थित बूथ पर भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह को केवल 123 वोट पड़े जबकि निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को 341 मत मिले। हालांकि, यमुना घाटी के सभी बूथों में से भाजपा सिर्फ अपने पूर्व विधायक केदार सिंह रावत के बूथ यमुना घाटी में स्थित नारायणपुरी में ही आगे रह पाई। यहां भाजपा प्रत्याशी को 169 मत मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के हिस्से सिर्फ 69 मत आए। लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने में गंगा घाटी के नेताओं ने खूब मेहनत की। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे रामसुंदर नौटियाल के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी मालाराज्य लक्ष्मी शाह मतदाताओं पहली पसंद रही। पूर्व जिलाध्यक्ष रामसुंदर नौटियाल के गांव जगड़गांव में भाजपा प्रत्याशी को 172 मत मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी को केवल 42 मत ही मिले। पूर्व जिलाध्यक्ष रामसुंदर नौटियाल को अपने क्षेत्र के जिन 17 बूथों की जिम्मेदारी मिली थी वहां भाजपा के पक्ष में ज्यादा मतदान हुआ। दिचली गमरी क्षेत्र के 17 बूथों में भाजपा को 2426 मत मिले जबकि निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को सिर्फ 1193 मत मिले। जबकि, यमुना घाटी में पूर्व विधायक केदार सिंह रावत के मूल गांव नारायणपुरी को छोड़ भाजपा को किसी भी बूथ पर इतने मत नहीं मिले कि वह पहले नंबर पर आए।
यमुना घाटी से ही भाजपा के एक बड़े नेता परिणामों को लेकर निराशा जताते हुए कहते हैं कि यमुना घाटी के भाजपा नेता जमीन पर काम करने की बजाए बड़े नेताओं की परिक्रमा कर पद पाने की जुगत में जुटे रहते हैं जिसके चलते पार्टी और ग्रामीणों के बीच एक दूरी पैदा हुई है जो 2022 में तो दिखी ही लेकिन 2024 में भी खुलकर सामने आई। वह बताते हैं कि जहां पूरा प्रदेश भाजपा के समर्थन में खड़ा दिखा वहीं जिस इलाके से भाजपा संगठन में सबसे मजबूत नेता बैठे हैं उस इलाके में भाजपा का प्रदर्शन बुरी तरह बिगड़ रहा है।
जिले के संगठनों में दबदबा बनाए रखने के साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी में जमे यमुना घाटी के नेताओं चमकती राजनीति में यमुना घाटी में पार्टी का खराब होते प्रदर्शन पर प्रदेश संगठन ने आंखें तरेरी तो संभव है कि यमुना घाटी के भारी भरकम भाजपा नेताओं को हल्का किया जा सकता है। वहीं, भाजपा को मजबूत करने के लिए खप रहे गंगा घाटी के नेताओं के शायद अच्छे दिन आएं।