एक मैच में 10 विकेट लेकर चर्चा में आई दून की बेटी ‘स्नेह राणा’
Pen Point, Dehradun : भारतीय क्रिकेट टीम के टी 20 विश्व कप जीतने का खुमार अभी उतरा नहीं था कि चेन्नई में खेले गए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की दक्षिण अफ्रीका टीम पर बड़ी जीत ने क्रिकेट को धर्म की तरह मानने वाले भारतीयों की खुशी दोगुनी कर दी। चेन्नई में खेले गए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस जीत में सबसे ज्यादा चर्चा देहरादून निवासी स्नेह राणा के रेकार्ड की रही। पहली पारी में दक्षिण अफ्रीका के 8 खिलाड़ियों को वापिस पवेलियन भेजने के बाद दूसरी पारी में 2 खिलाड़ियों को आउट कर एक ही मैच में दस विकेट लेने वाली स्नेह राणा ऐसा कारनामा करने वाली दूसरी भारतीय गेंदबाज बनी।
कभी नेपथ्य में रहे महिला क्रिकेट को हाल के सालों में खूब प्रसिद्धि मिली है। तो टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल स्नेह राणा कई मैचों में टीम के लिए संकटमोचक बनकर उभरी है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए इकलौते टेस्ट में बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम की ओर से शेफाली वर्मा ने दोहरा शतक मारा। लेकिन, जब गेंदबाजी करते हुए स्पिन गेंदबाज स्नेह राणा ने गेंदबाजी शुरू की तो पूरा मजमा ही लूट लिया। 10 विकेट लेकर वह इस मैच में प्लेयर ऑफ दी मैच के खिताब से नवाजी गई। वहीं, एक मैच में दस विकेट लेने का कारनामा करने वाली स्नेह राणा पहली भारतीय स्पीनर महिला गेंदबाज भी बनी। उन्होंने 188 रन देकर इस मैच में 10 विकेट झटके।
साल 1994 में देहरादून में जन्मी और पली बढ़ी स्नेह राणा ने क्रिकेट में रूचि रखने वाले लोगों का ध्यान अपनी ओर तब खींचा जब वह महज 11 साल की थी। एक रिपोर्ट की माने तो बनारस में चल रहे उस मैच में 11 साल की स्नेह राणा ने अपने बल्ले से खूब तहलका मचाया था। स्नेह राणा को खेल की बारीकियां सिखाने वाले उनके कोच नरेंद्र शाह एक मीडिया संस्थान में यह किस्सा बताते हैं। देहरादून के निकट सिनोला गांव में पैदा हुई स्नेह राणा ने 5 साल की उम्र में बल्ला थाम लिया था और गली मोहल्ले में बाकी बच्चों के साथ क्रिकेट खेलती थी। अपने माता पिता की दूसरी संतान स्नेह राणा ने ऐसे वक्त बल्ला हाथ में थामा था जब क्रिकेट महिलाओं का खेल माना ही नहीं जाता था। गली मोहल्ले में गांव के लड़कों के साथ खेलने वाली स्नेह राणा का यूं खेलना कई लोगों को अटपटा लगता था तो स्नेह के माता पिता को भी हिदायत देने से नहीं चूकते थे कि अपनी बेटी को ऐसे लड़के वाले शौक मत पालने दो। लेकिन, बचपन से ही क्रिकेट में कमाल करने वाली स्नेह राणा के खेल की चर्चा आसपास के इलाकों में भी होने लगी थी। शुरूआती दौर में स्नेह के पिता भी उसके क्रिकेट खेलने के खिलाफ थे क्योंकि पूरे इलाके में महिला का क्रिकेट खेलना अजूबा ही था। लेकिन, कुछ समय बाद पिता ने स्वीकृति दी तो स्नेह ने भी 9 साल की उम्र से क्रिकेट की बारीकियां सीखनी शुरू कर दी। स्नेह ऐसे वक्त क्रिकेट खेल रही थी जब उत्तराखंड का अपना क्रिकेट बोर्ड नहीं था। लेकिन, स्नेह के जुनून और उनके खेल को देखते हुए उनके कोच नरेंद्र शाह ने स्नेह को टीम में शामिल करने के लिए हरियाणा क्रिकेट बोर्ड को तैयार किया लेकिन वहां कुछ बात नहीं बनी तो अंडर-19 के लिए स्नेह को पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन से दरख्वास्त कर टीम में शामिल करवाया गया। पंजाब की ओर से अंडर-19 क्रिकेट में पंजाब की टीम की कप्तानी करते हुए स्नेह राणा ने जो खेल का प्रदर्शन किया उसके बाद उसके लिए क्रिकेट की दुनिया के रास्ते भी खुल गए। पंजाब टीम की कप्तानी करते हुए अपने शानदार खेल के दम पर सीनियर टीम, रेलवे और भारत-ए की कप्तानी करते हुए उन्होंने कई मैच जीते। यह सफर 2016 में अगले पांच सालों के तब थम गया था जब श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए स्नेह राणा के घुटने पर चोट लगी थी। चोट ज्यादा गंभीर थी इसलिए अगले पांच साल स्नेह को मैदान से दूर रहना पड़ा। 2021 में जब स्नेह ने दोबारा मैदान में वापसी की तो परिवार पर एक वज्रपात और गिर पड़ा। 2021 में स्नेह के पिता का निधन हो गया। अब घर में स्नेह की मां और उसकी एक बहन रह गई थी। पिता की मौत का गहरा सदमा तो स्नेह को पहुंचा लेकिन उसने क्रिकेट टीम में फिर वापसी की। वापसी के बाद स्नेह का चयन इंग्लैंड में होने वाले टेस्ट टूर्नामेंट के लिए हुआ जहां उसके प्रदर्शन की खूब तारीफ हुई। इस मैच में स्नेह भारतीय टीम के लिए संकटमोचक बनकर मैदान में उतरी। भारतीय टीम इस टेस्ट में हार की कगार पर पहुंच गई थी और फ़ॉलोऑन खेल रही थी लेकिन बल्ला थामे क्रीज पर उतरी स्नेह ने 154 बॉल पर नाबाद 80 रन बनाए जिसके चलते मैच ड्रॉ हो गया और भारत के हिस्से एक शर्मनाक हार आने से बच गई।
इसके बाद कई मौकों पर स्नेह राणा गेंदबाजी के साथ ही बल्लेबाजी में भी टीम के लिए संकटमोचक बनकर सामने आई। बीते दिनों जब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम खेल रही थी तो पहली पारी में 8 विकेट लेकर स्नेह ने भारतीय टीम के लिए इस मैच को बड़े अंतर से जीतने की राह खोल दी थी।