रूद्रपुर में ठगों ने सरकारी खाते से निकाल लिए 13 करोड़ रूपए
– विशेष अध्याप्ति अधिकारी के खाते में जमीन के मुआवजे के लिए रखे 13 करोड़ रूपए फर्जी चेकों के जरिए निकाले ठगों ने, पुलिस जांच में जुटी
Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में हर दिन कुछ न कुछ गजब घोटाले की खबर सामने आती ही रहती है। बीते साल फरवरी महीने में देहरादून के शराब व्यापारियों ने यूपीसीएल के खाते से 10 करोड़ रूपए निकालकर शराब के व्यापार में लगा दिए थे, मामला खुला तो व्यापारियों ने सारा पैंसा खाते में वापिस लौटा दिया। अब रूद्रपुर से खबर आ रही है कि जमीन मुआवजे के लिए सरकारी खाते में जमा 13 करोड़ रूपए फर्जी चेक लगाकर निकाल दिए। यह रकम सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग अलग शहरों में स्थित बैंक शाखाओं से निकाली गई। अब जब मामला खुल गया है तो पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए हैं।
रूद्रपुर में विशेष अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) के खाते से फर्जी हस्ताक्षरों से चेकों से 13 करोड़ रुपये निकालने का मामला सामने आया है। मामला सोमवार को जिला प्रशासन की समीक्षा बैठक में खुला। जांच में पता चला कि रुद्रपुर के अलावा यूपी के बागपत के एसएलओ के खाते से चार करोड़ रुपये निकाले गए हैं।
पुलिस ने छानबीन कर विभिन्न खातों में डाली गई करीब छह करोड़ रुपये की रकम को तो फ्रीज कर दिया है लेकिन बाकी की रकम कहां कहां निकाली गई इसकी अभी जांच चल रही है। सोमवार को कलक्ट्रेट स्थित एसएलओ कार्यालय में एनएच 74 के मुआवजे को लेकर एनएचएआई और एसएलओ की ओर से समीक्षा की जा रही थी। जब निजी बैंक में मुआवजे की रकम का सरकारी खाता जांचा गया तो उसमें से करोड़ों रुपयों का अंतर आया था। इससे अधिकारियों में खलबली मच गई। इसकी सूचना डीएम और एसएसपी को दी गई। इसके बाद पुलिस ने बैंक पहुंचकर जांच की तो पता चला कि एसएलओ ऊधमसिंहनगर के फर्जी हस्ताक्षर से तीन अवैध चेकों के माध्यम से 13 करोड़ 51 लाख रुपये की धनराशि निकाली गई थी। इसके अलावा बागपत के एसएलओ के फर्जी हस्ताक्षर से एक अवैध चेक से चार करोड़ 41 लाख रुपये इसी बैंक के जरिए निकाली गई थी। कुछ चेक 28 अगस्त और कुछ 31 अगस्त को लगाए गए हैं।
एसएलओ कार्यालय की ओर से बताया गया कि जिन तीन चेकों से यह 13 रुपये निकाले गए हैं, वे तीनों वास्तविक चेक कार्यालय में रखी चेक बुक में सुरक्षित हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इन चेकों की डुप्लीकेट कापी बनाकर बैंक में भुगतान के लिए लगाया गया है। सरकारी चैकों की डुप्लीकेट कॉपी बनाकर बैंकों से भुगतान लेना और विभाग को जानकारी भी न होना कई सवाल खड़े कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि विभाग से जुड़े किसी व्यक्ति की मिलीभगत से ही ठगों ने इस बड़े कारनामें को अंजाम दिया।