केदारनाथ उपचुनाव से दूर रहेंगे हरक सिंह रावत !!!
Pen Point, Dehradun : केदारनाथ उपचुनाव कब होंगे यह तो फिलहाल साफ नहीं हो सका है लेकिन अब तक उपचुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से मजबूत चेहरा माने जाने वाले डॉ. हरक सिंह रावत को लेकर आशंका जताई जा रही है कि वह केदारनाथ उपचुनाव से उचित दूरी बतरेंगे। लोकसभा चुनाव के दौरान हरिद्वार से दावेदारी करने वाले डॉ. हरक सिंह रावत पूरे चुनाव के दौरान चुनावी अभियान और प्रचार प्रसार से दूर रहे थे ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि उन्हें केदारनाथ उपचुनाव से भी दूरी बरतने को मजबूर किया जा सकता है। बीते दिनों से जांच एजेंसियों की सक्रियता ने इस आशंकाओं को बल भी दिया है।
बीते सोमवार को ईडी ने कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को बुलावा भेजा। उनसे देर रात तक पूछताछ जारी रही। तकरीबन 10 घंटों से भी ज्यादा वक्त तक हरीश रावत ईडी के सवालों का जवाब देते रहे। माना जा रहा है कि पोखरो रेंज मामले में उनकी मुसीबतें बढ़ने वाली है। 2016 में कांग्रेस में कद्दावर काबिना मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर भाजपा का दामन थामा था। 2017 में भाजपा से विधानसभा चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री भी बने और वन जैसा भारी महकमा मिला। लेकिन, भाजपा के साथ उनका सफर लंबा नहीं चला और 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा को अलविदा कर फिर से कांग्रेस का दामन थामा लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। भाजपा का साथ छोड़ते ही उनके खिलाफ जांच एजेंसियां भी सक्रिय हो गई। मामला असल में पाखरो रेंज घोटाले मामले में वर्ष 2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में तत्कालीन कुछ अधिकारियों (जिनमें पूर्व डीएफओ किशनचंद भी शामिल थे) को गिरफ्तार भी किया गया था। बीते साल लोकसभा चुनाव से पहले ही डॉ. हरक सिंह रावत ने हरिद्वार संसदीय सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। वह हरिद्वार संसदीय सीट से दावेदारी कर रहे थे लेकिन चुनाव से पहले ही एन मौके पर उनके आवास और उनके स्वामित्व वाले संस्थानों पर ईडी ने छापे मारे। उसके बाद उनसे जुड़े लोगांे पर भी लगातार छापेमारी की गई। इसके बाद हरक सिंह रावत की बहू समेत ईडी की रडार पर आए उनके अन्य परिचितों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा लेकिन डॉ. हरक सिंह रावत कांग्रेस में ही जमे रहे। लेकिन, लोकसभा चुनाव के प्रचार और पार्टी के चुनावी अभियान से उन्होंने खासी दूरी बनाए रखी। माना जा रहा था कि ईडी की कार्रवाई के जरिए भाजपा उन्हें चुनाव से दूर रहने का संदेश भेजा था।
वहीं, बीते दिनों केदारनाथ भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई तो कांग्रेस की ओर से माना जाने लगा कि डॉ. हरक सिंह रावत केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे। खुद पार्टी के एक बड़े वर्ग ने उनकी दावेदारी का समर्थन किया। माना जा रहा था कि बदरीनाथ उपचुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को हर हाल में जीतकर अपनी मजबूत होती स्थिति का संदेश देना चाहती है। इसके लिए उन्हें जिताऊ प्रत्याशी की जरूरत होगी और हरक सिंह रावत फिलहाल कांग्रेस के पास सबसे मजबूत चेहरा हैं। लेकिन, लग रहा है कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही ईडी उन्हें विधानसभा चुनाव से भी दूर रखना चाहती है। बीते महीने भर में ही उन्हें दो बार ईडी का बुलावा आ चुका है। सोमवार को भी ईडी ने हरक सिंह रावत को पूछताछ के लिए बुलावा भेजा था। हो सकता है कि आने वाले दिनों में हरक सिंह रावत के खिलाफ जांच एजेंसियां ज्यादा सक्रिय हो जाएं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह रावत शायद ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लें।