लद्दाख में हिम तेंदुओं की सबसे घनी आबादी, उत्तराखंड में संरक्षण के प्रयास जारी
Pen Point, 11 May 2025 : भारत के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ने एक बार फिर वैश्विक वन्यजीव संरक्षण मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ताजा अध्ययन के अनुसार, लद्दाख में दुनिया का सबसे अधिक हिम तेंदुए का घनत्व पाया गया है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका PLOS ONE में प्रकाशित हुआ है और इसे भारत में अब तक का सबसे व्यापक हिम तेंदुआ सर्वेक्षण बताया जा रहा है।
अध्ययन के अनुसार, भारत में हिम तेंदुए की कुल अनुमानित संख्या 709 है, जिनमें से 477 अकेले लद्दाख में पाए गए हैं। यानी देश की कुल आबादी का लगभग 68 प्रतिशत। लद्दाख में हिम तेंदुए का प्रसार क्षेत्र 47,572 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
हिमिस नेशनल पार्क बना विश्व का सबसे घना हिम तेंदुआ क्षेत्र
अध्ययन में सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि लद्दाख का हिमिस नेशनल पार्क अब दुनिया में सबसे अधिक हिम तेंदुआ घनत्व वाला क्षेत्र बन चुका है, जहां प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में लगभग 2.07 हिम तेंदुए दर्ज किए गए। यह आंकड़ा अब तक के रिकॉर्ड (तिब्बत में 1.84 प्रति 100 वर्ग किमी) से भी अधिक है।
इसके विपरीत, लद्दाख के चांगथांग हाइ एल्टीट्यूड कोल्ड डेजर्ट वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में हिम तेंदुए का घनत्व सबसे कम पाया गया। अध्ययन के अनुसार, लगभग 39 प्रतिशत हिम तेंदुए संरक्षित क्षेत्रों में अधिक सक्रिय पाए गए, जबकि 57 प्रतिशत ने संरक्षित क्षेत्रों को अपने आवागमन में इस्तेमाल किया।
उत्तराखंड में हिम तेंदुए की उपस्थिति और संरक्षण प्रयास
भारत के अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी हिम तेंदुए की उपस्थिति दर्ज है। यह elusive big cat मुख्य रूप से गंगोत्री नेशनल पार्क, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व, अस्कोट वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, और केदारनाथ वन्यजीव क्षेत्र जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है।
वन विभाग और WWF जैसे संगठनों द्वारा चलाए गए कैमरा ट्रैप सर्वे के मुताबिक, उत्तराखंड में हिम तेंदुए की आबादी का सटीक अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि राज्य में इनकी संख्या 86 से 100 के बीच हो सकती है।
“प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड” और सामुदायिक भागीदारी
उत्तराखंड में वर्ष 2009 से “प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड” के तहत हिम तेंदुए के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय समुदायों को भी इस परियोजना से जोड़ा गया है ताकि पारंपरिक ज्ञान और आजीविका दोनों को संरक्षण के साथ समन्वित किया जा सके।
राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर, हर्षिल एक प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है, जहां युवा वैज्ञानिक, वनकर्मी और स्थानीय लोग हिम तेंदुए की निगरानी और संरक्षण के तरीकों को सीखते हैं।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
-उत्तराखंड में हिम तेंदुए के सामने प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
-जलवायु परिवर्तन के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव
-मानव-वन्यजीव संघर्ष
-चारागाहों में कमी
-अवैध शिकार और पर्यटन दबाव
-हालांकि संरक्षण प्रयासों के चलते इन चुनौतियों से निपटने के प्रयास तेज़ हुए हैं।