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अग्निवीर नेता : इस लोकसभा चुनाव में मिला ‘दल-बदलू’ नेताओं को नया नाम

-चुनाव से पहले कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेताओं को भाजपाईयों ने नाम दिया अग्निवीर नेता, माना जा रहा लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के कठोर अनुशासन के साथ लंबा सफर तय नहीं कर सकेंगे हालिया शामिल हुए नेता
Pen Point, Dehradun : राज्य में लोक सभा चुनाव संपन्न हो चुका है। लोकसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा से कुछ हफ्ते पहले और चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस व अन्य दलों के नेता अपनी पार्टी को अलविदा कह भाजपा के साथ शामिल हो गए। देर शाम तक कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की तारीफों के गीत गाते हुए सुबह होते ही देहरादून स्थित बलबीर रोड में भाजपा में शामिल होते नेता खूब चर्चाओं में रहे। जहां एक ओर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भारतीय सेना में अग्निवीर योजना को केंद्र में रखकर अपना प्रचार अभियान चलाया तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेताओं को भी इस लोकसभा चुनाव में एक नया नाम मिला ‘अग्निवीर नेता’। अब तक चुनाव के दौरान एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामने वाले नेताओं को ‘दलबदलू’ नाम दिया जाता था लेकिन इस लोकसभा चुनाव में उन्हें नया नाम मिला। कांग्रेस छोड़ भाजपा का हिस्सा बने नेताओं को अग्निवीर का नाम भी भाजपाईयों ने ही दिया है। भाजपाईयों की माने तो पार्टी के कठोर अनुशासन और नेताओं की लंबी कतार के चलते हालिया पार्टी में शामिल नेता लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी में लंबा नहीं टिक सकेंगे।

भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती में केंद्र सरकार ने एक नई योजना लागू की जिसे नाम दिया गया अग्निपथ और इस योजना के तहत भर्ती सैनिकों को नाम दिया गया अग्निवीर। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती अग्निवीर को केवल चार साल की सेवा के बाद हटाए जाने का नियम है। लिहाजा, इस योजना को लेकर कांग्रेस पूरे चुनाव अभियान में भाजपा पर हमलावर रही। इस योजना को प्रदेश के युवाओं के साथ धोखा बताया गया। लेकिन, सेना के अग्निवीर से ज्यादा इस चुनाव में राजनीतिक दलों के ‘अग्निवीर’ चर्चाओं में रहे। दरअसल भाजपा ने चुनाव कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं को तोड़ अपने दलों में शामिल करने का ‘मेगा अभियान’ शुरू कर दिया था। कांग्रेस के पूर्व विधायकों, विधायक प्रत्याशियों, पार्टी पदाधिकारियों, निकाय, पंचायत प्रतिनिधियों समेत गांव कस्बों, वार्ड के कार्यकर्ताओं को भी बड़े पैमाने पर भाजपा ने पार्टी में शामिल करवाया। आलम यह था कि पहले दिन कांग्रेसी कार्यकर्ता कांग्रेस के कार्यक्रमों में दिखता तो दूसरी सुबह भाजपा के प्रदेश कार्यालय में भाजपा का पटका पहन पार्टी में शामिल होने की तस्वीरे सोशल मीडिया पर दिखती।
बड़े पैमाने पर कांग्रेस से नेताओं, कार्यकर्ताओं के आयात से भाजपा के पुराने कार्यकर्ता भी असहज दिखे। प्रदेश अध्यक्ष तक से शिकायत की गई कि कांग्रेस से बड़े पैमाने पर आयातित नेता, कार्यकर्ता पार्टी के भीतर शक्ति के नए केंद्र बन जाएंगे और भाजपा के पुराने कार्यकर्ता किनारे लगा दिए जाएंगे। लेकिन, बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि कांग्रेस से आयातित नेताओं, कार्यकर्ताओं से सिर्फ लोकसभा में काम लिया जाएगा उसके बाद उन्हें रिटायर, जबरन रिटायर या फिर अलग थलग कर दिया जाएगा। ऐसे में दल बदल कर भाजपा का हिस्सा बने नए-नए नेताओं और कार्यकर्ताओं को नाम मिला ‘अग्निवीर नेता’। भाजपा के पुराने नेता, कार्यकर्ता सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन आपस में कांग्रेस से आए नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी के अग्निवीर बुलाने लगे। अब तक अपनी मूल पार्टी छोड़ अन्य पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को दल बदलू का तमगा दिया जाता था लेकिन इन चुनावों में ऐसे नेताओं को नया नाम मिला। दरअसल यह नाम भाजपा की उस नीति से भी मेल खाता है जो पार्टी ने इन लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए विशेष तौर पर बनाया गया। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के एक पदाधिकारी बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर से निर्देश मिले थे कि पूरी कोशिश की जाए कि कांग्रेस के पास प्रचार के लिए भी एक नेता कार्यकर्ता न बचे लिहाजा अधिकतम कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल किया जाए और चुनाव निपटने के बाद उन्हें किनारे लगाया जाए जिसके बाद उनकी मर्जी कि वह या पार्टी छोड़ दे या फिर किनारे पर रहना ही नियति मान लें।
आलम यह था कि आम मतदाता भी पार्टी बदलकर भाजपा का हिस्सा बने नेताओं को प्रचार में आते देख उन्हें अग्निवीर नेताओं के नाम से बुलाने लगे।
हालांकि, कांग्रेस की पूरे चुनाव अभियान में कोशिश रही कि अग्निवीर योजना के नाम पर बेरोजगार युवाओं और आम मतदाताओं को अपनी तरफ मोड़ा जाए लेकिन पार्टी से बड़े पैमाने पर इस्तीफा देने वाले नेताओं को ही अग्निवीर का तमगा मिल गया। आलम यह है कि कांग्रेस भी पार्टी छोड़ चुके नेताओं को अग्निवीर नेता बुलाने से परहेज नहीं कर रही है।

आया कहां से अग्निवीर नेता शब्द प्रचलन में
हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। भाजपा के मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने तो जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले ही हरियाणा में भाजपा का जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पद से इस्तीफा दे दिया। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले साढ़े चार साल में दुष्यंत चौटाला को पद और सरकार से हाथ गंवाना पड़ा तो उनके ज्यादातर विधायकों ने भी पार्टी और पद से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। दुष्यंत चौटाला को 4 साल उपमुख्यमंत्री पद से हाथ धोने के साथ ही सरकार से बाहर होने की घटना को को सोशल मीडिया पर अग्निवीर योजना के तहत पहला ‘रिटायर अग्निवीर’ के नाम पर ट्रोल किया जाने लगा और यह खूब वायरल भी हुआ। उसके बाद से ही दल बदलू नेताओं और तुरंत पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी का हिस्सा बनने वाले नेताओं को भी ‘अग्निवीर नेता’ के नाम से मजाकिया तौर पर बुलाया जाने लगा।

 

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