Search for:
  • Home/
  • उत्तराखंड/
  • अमेरिका ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर चिंता जताई

अमेरिका ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर चिंता जताई

Pen Point, Dehradun :  बीते मंगलवार को अमेरिका में दुनिया भर के देशों में धार्मिक उत्पीड़न से संबंधित रिपोर्ट में उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता कानून पर भी चिंता जताई गई है। जहां रिपोर्ट में भारत की अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा, भेदभाव पर चिंता जताई है। हालांकि, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे द्वेषपूर्ण बताया है।
उत्तराखंड में हाल ही में लागू हुए समान नागरिकता संहिता ने देश दुनिया भर में 2022 में हुई इसकी घोषणा के साथ ही खूब सुर्खियां बटोरी थी। यूसीसी को लेकर तकरीबन दो साल तक चली मशक्कत के बाद सात फरवरी 2025 को इसे प्रदेश में लागू कर दिया गया था। इस कानून के बनने के दौरान ही इसमें अंतरधार्मिक विवाह, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर किए गए प्रावधानों पर सवाल उठते रहे थे। इस कानून के तहत विवाह और लिव इन रिलेशनशिप के अनिवार्य पंजीकरण को लेकर अंतरधार्मिक जोड़ों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
अब बीते मंगलवार को अमेरिका के यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ़) ने साल 2025 की वार्षिक रिपोर्ट में भी इस कानून को लेकर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार ख़राब हो रही है क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले और भेदभाव के मामले बढ़ रहे हैं। इस रिपोर्ट में उत्तराखंड सरकार की ओर से हाल ही में लागू किए गए समान नागरिकता कानून यूसीसी पर भी चिंता जताई है। रिपोर्ट में इस कानून को जरिए अंतरधार्मिक विवाहित जोड़ों की निगरानी की अनुमति देने वाला बताया गया है। हालांकि, भारत ने यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ’पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित’ बताया है। बात दें कि यूएससीआईआरएफ साल 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के जरिए बनाया गया एक अमेरिकी संघीय आयोग है। इसका मुख्य काम अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर शोध और निगरानी करना है।
अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की 2025 की वार्षिक रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों का भारतीय विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया को बताया कि हमने अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की हाल ही में जारी 2025 की वार्षिक रिपोर्ट देखी है, जो एक बार फिर पूर्वाग्रह से भरी हुई और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित लगती है। उन्होंने कहा कि यूएससीआईआरएफ़ बार-बार कुछ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है और भारत के बहुसांस्कृतिक समाज को गलत तरीके से दर्शाने की कोशिश करता है और यह धार्मिक स्वतंत्रता की चिंता से ज्यादा एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required