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अंकिता भंडारी हत्याकांड: अदालत ने सुनाया फैसला, तीनों आरोपी हत्या के दोषी करार

कोटद्वार | 30 मई 2025 : उत्तराखंड की बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को हत्या का दोषी करार दिया है। अदालत ने इनके खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), 354 (छेड़छाड़) समेत अन्य धाराओं में दोष सिद्ध किया है।

फैसले का इंतजार पूरे उत्तराखंड और देश भर में था। अदालत परिसर और कोटद्वार शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग की और अदालत के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू की गई।

तीन दोषी, एक साजिश – कैसे सामने आई सच्चाई?

यह मामला 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या से जुड़ा है, जो 18 सितंबर 2022 को लापता हो गई थी। शुरुआत में रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने खुद ही 20 सितंबर को उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, उसकी कहानी में कई झोल नजर आए।

22 सितंबर को जब मामला राजस्व पुलिस से लेकर लक्ष्मणझूला थाने को सौंपा गया, तब जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए। पूछताछ में तीनों आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने अंकिता पर “गैरकानूनी गतिविधियों” का दबाव बनाया और जब उसने इनकार किया तो उसे चीला नहर में धक्का देकर मार डाला।

मुकदमे का लंबा सफर – SIT जांच से कोर्ट के फैसले तक

  • 24 सितंबर 2022 को अंकिता का शव चीला नहर बैराज इंटेक से बरामद हुआ।

  • एम्स ऋषिकेश की टीम ने उसी दिन पोस्टमार्टम किया।

  • पुलिस ने मामले की जांच के लिए DIG के नेतृत्व में SIT बनाई।

  • 16 दिसंबर 2022 को पुलकित, अंकित और सौरभ के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने, छेड़छाड़ और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई।

  • 30 जनवरी 2023 से कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।

  • अभियोजन पक्ष ने 47 अहम गवाहों को पेश किया, जबकि SIT ने कुल 97 गवाह बनाए थे।

  • 19 मई 2025 को बहस पूरी हुई और 30 मई 2025 को कोर्ट ने फैसला सुनाया।

कोर्ट परिसर बना छावनी, सुरक्षा के व्यापक इंतजाम

फैसले के दिन को देखते हुए पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी से भारी संख्या में पुलिस बल और डेढ़ कंपनी PAC तैनात की गई। कोर्ट परिसर के भीतर आम लोगों की आवाजाही पर रोक रही। चार मजिस्ट्रेट और ड्रोन से निगरानी की व्यवस्था की गई।

एसडीएम कोटद्वार ने आदेश जारी कर 200 मीटर के दायरे में समूह प्रवेश, नारेबाजी और प्रदर्शन पर रोक लगाई। वरिष्ठ अधिकारी खुद मौके पर मौजूद रहे।

जांच में सामने आया कि पुलकित और उसके सहयोगी अंकिता पर रिजॉर्ट में अनैतिक कार्यों के लिए दबाव बना रहे थे। जब उसने इनकार किया और सच सामने लाने की धमकी दी, तो 18 सितंबर की रात उसे चीला नहर में धक्का देकर मार डाला गया।

तीनों दोषियों को लेकर अदालत की ओर से सजा की घोषणा जल्द की जाएगी। इस पर पूरे राज्य और देश की नजरें टिकी हैं। अंकिता को इंसाफ तो मिला, लेकिन उसके साथ हुआ अन्याय समाज के सामने कई सवाल खड़े करता है – क्या महिलाओं की सुरक्षा वाकई प्राथमिकता है? क्या रसूखदारों को अब भी कानून से डर नहीं?

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