चुनावी माहौल के बीच लद्दाख से हिमालय बचाने की अपील, देखें वीडियो
Pen Point, Dehradun : देश में चुनावी बयार है और पहले चरण का मतदान चल रहा है। इस माहौल में हर राजनीतिक दल अपनी रणनीति के तहत मुद्दों को भुनाने के कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी अप्रैल में जून जैसी गर्मी का अहसास कराता मौसम मुद्दा नहीं है। यानी पर्यावरण पर कोई बात नहीं हो रही और चुनावी शोर में लद्दाख में आंदोलित लोगों की बात नहीं हो रही है। जहां आज स्थानीय लोगों की भूख हड़ताल का 44वां दिन है। इंजीनियर, शिक्षक और पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की अगुआई में लद्दाख से आ रही ये आवाज पूरे हिमालय का दर्द है।
उल्लेखनीय है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने बीते मार्च महीने में 21 दिन का उपवास किया था। इसके बाद आंदोलन अब भी जारी है। अब इसने रिले उपवास का रूप ले लिया है। जिसमें युवा, बौद्ध भिक्षु, बुजुर्ग और चेंग्पा चरवाहे भी शामिल हो रहे हैं। दरअसल यह मांग सिर्फ लद्दाख तक ही नहीं बल्कि पूरे हिमालयी इलाके को बचाने की अपील है। जिसके तहत वांगचुक और अन्य लोग सिंधु, सुरु, श्योक, नुब्रा और लद्दाख की अन्य नदियों के अस्तित्व को लेकर चिंतित हैं। वे सियाचिन ग्लेशियर, त्सो मोरीरी और पैंगोंग त्सो झीलों, चांगपा चरवाहों, बकरियों की पश्मीना नस्ल, लद्दाखी बौद्ध धर्म और इस्लाम की अनूठी परंपराओं और नीली आंखों वाले ड्रोकपा लोगों के समुदायों की सुरक्षा चाहते हैं। आंदोलन ऐसे वक्त में जोर पकड़ रहा है जब देश में लोकसभा चुनाव का मौसम है। लेकिन हकीकत यह है कि राजनीतिक चर्चाओं और वायदों से पर्यावरणीय संकट का मुद्दा नदारद है।
आज 19 अप्रैल को देश के विभिन्न हिस्सों में पहले चरण के मतदान के साथ ही चुनाव आगे बढ़ रहा है। इन चुनावों में लोगों से सोनम वांगचुक ने अपने फेसबुक पेज के जरिए लोगों से खास अपील की है। जिसमें उन्होंने वोट डालने की अपील करते हुए बैलेट और बटुए की ताकत का इस्तेमाल करने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन को लकर अपडेट भी दिया है और हिमालय और संस्कृतियों को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों का बहिष्कार करने की अपील भी की है। चुनावी माहौल के बीच लद्दाख से हिमालय बचाने की अपील, देखें वीडियो-