Big Initiative : उत्तराखंड वन विभाग ने किया राज्य का पहला साइकैड गार्डन स्थापित
Pen Point, 19 मई 2025
विशेष संवाददाता | हल्द्वानी : 19 मई 2025 उत्तराखंड वन विभाग ने जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए हल्द्वानी में राज्य का पहला साइकैड गार्डन स्थापित किया है। यह गार्डन लगभग 0.75 हेक्टेयर (करीब दो एकड़) क्षेत्र में फैला है और इसमें साइकैड की 31 अलग-अलग प्रजातियाँ संरक्षित की गई हैं, जिनमें से 17 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है।
इस महत्वपूर्ण परियोजना को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) की आर्थिक सहायता से विकसित किया गया है। मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने जानकारी दी कि, “साइकैड पौधों का वह प्राचीन समूह है जो मेसोज़ोइक युग से अस्तित्व में हैं। इन्हें ‘जीवित जीवाश्म’ माना जाता है। यह गार्डन न केवल जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि यह पौधों के विकास और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर अध्ययन का केंद्र भी बनेगा।“
क्या हैं साइकैड, और क्यों हैं ख़ास?
साइकैड एक प्रकार के लंबे जीवन वाले, धीमी गति से बढ़ने वाले पौधे हैं जिनकी प्रजनन दर भी कम होती है। इन्हें अत्यधिक सजावटी मूल्य के कारण व्यापक रूप से शोषित किया गया है। साथ ही, इनके पारंपरिक उपयोग भोजन, औषधि और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में भी किए जाते रहे हैं। यही कारण है कि ये प्रजातियाँ आज विलुप्ति के कगार पर हैं।
इन पौधों की एक अनूठी विशेषता इनकी कोरलॉइड जड़ों में रहने वाले साइनोबैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध है, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करने में मदद करता है — यह जैविक उर्वरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में केवल 14 मूल प्रजातियाँ
हालांकि भारत में साइकैड की केवल 14 मूल प्रजातियाँ ही पाई जाती हैं, लेकिन इस गार्डन में इन प्रजातियों के अलावा दुनिया भर की संकटग्रस्त प्रजातियों का भी समावेश किया गया है। यहाँ पाई जाने वाली कुछ प्रमुख देशी प्रजातियों में साइकस अंडमानिका, साइकस बेडोमी, साइकस ज़ेलेनिका, साइकस पेक्टिनाटा और साइकस सर्किनेलिस शामिल हैं। इनकी उत्पत्ति अंडमान-निकोबार, दक्षिण भारत और पूर्वी भारत के जंगलों से हुई है।
गार्डन में केरल की स्थानिक प्रजाति साइकस एनाइकलेंसिस, ओडिशा की साइकस ओरिक्सेंसिस, और आंध्र प्रदेश की साइकस बेडोमी जैसे दुर्लभ पौधे भी देखने को मिलते हैं।
संरक्षण के साथ जनजागरूकता भी उद्देश्य
इस गार्डन की स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य शोधकर्ताओं को इन संकटग्रस्त प्रजातियों पर और गहराई से अध्ययन करने का अवसर देना है, साथ ही आम लोगों में भी इन प्राचीन पौधों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। साइकैड गार्डन अब स्कूली बच्चों, वनस्पति वैज्ञानिकों, पर्यावरण प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक अनोखी शिक्षण और अनुभव की जगह बनता जा रहा है।
कहा जा सकता है कि हल्द्वानी स्थित यह साइकैड गार्डन न केवल भारत में जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है, बल्कि यह विश्व स्तर पर विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों में उत्तराखंड की अग्रणी भूमिका को भी दर्शाता है। यह गार्डन आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक धरोहरों से जोड़ने की एक सुंदर और वैज्ञानिक पहल है।