बड़ा सवाल : कैसे संभव हैं बीकेटीसी के दो पैन नंबर ?
आस्था की आड़ में क्यूआर कोड के जरिए चढ़ावा मांगने के मामले में बीकेटीसी निशाने पर है। जिस तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं उससे बड़े स्कैम की बू जरूर आ रही है। जांच के बाद पूरे मामले से पर्दा उठेगा। इस मामले को करीबी से जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार दीपक फरस्वाण की पड़ताल भी इसकी तस्दीक करती है। पढ़ें ये रिपोर्ट-
PEN POINT, DEHRADUN : श्रीबदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मंदिरों में क्यूआर कोड लगाकर डोनेशन मांगे जाने के मामले में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। बदरीनाथ–केदारनाथ मंदिर समिति की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद अकाउण्ट और क्यूआर कोड वाला अकाउण्ट दोनों ही समिति के नाम पर हैं लेकिन दोनों अकाउण्ट अलग अलग पैन नम्बर से लिंक हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मंदिर समिति के नाम पर दो पैन नम्बर कैसे हो सकते हैं। यदि ऐसा है तो यह आयकर अधिनियम का उल्लंघन है। ऐसा भी संभव है कि फर्जी पैन नम्बर के आधार पर बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के नाम पर फर्जी बैंक अकाउण्ट खोला गया हो। यह माजरा पुलिस की जांच से साफ होगा लेकिन आने वाले दिनों में यह एक बड़े स्कैम के रूप में भी सामने आ सकता है। सम्बंधित बैंक खातों से लिंक पैन नम्बर और बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे इस पूरे रहस्य से पर्दा उठाने में अहम साबित होंगे।
श्रीबदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समित की अधिकृत वेबसाइट में दर्ज बैंक खाता पैन नम्बर AAETS8361E से तथा मंदिरों में लगाए गए क्यूआर कोड में दर्ज खाता पैन नम्बर AAAGU0772Q से लिंक है। जबकि नियम के मुताबिक किसी व्यक्ति या संस्था के पास एक से अधिक पैन नम्बर नहीं हो सकते। यदि किसी के पास दो पैन नम्बर पाए गए तो उस पर आयकर अधिनियम 1961 की धारा 272 बी के तहत कार्रवाई की जाती है। जिसमें उसे 10 हजार रूपए का जुर्माना हो सकता है।
ऐसे में सवाल यह है कि मंदिर समिति के नाम पर दो अलग अलग पैन नम्बर कैसे हो सकते हैं और उनके आधार पर दो अलग अलग बैंक खाते कैसे खोले जा सकते हैं। साफ है कि इसमें कहीं न कहीं जालसाजी हुई है। वहीं दूसरी ओर MINDWAVE MEDIA नाम के एक एडवरटाइजिंग एजेंसी ने अपने फेसबुक पेज में दावा किया गया है कि उसने ही केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में क्यूआर कोड के साइन बोर्ड लगाकर श्रृद्धालुओं को डिजिटल दान देने की सुविधा मुहैया करवाई है। पेज में दावा किया गया है कि वो paytm की एक्टिवेशन एजेंसी है। एजेंसी का कहना है कि श्रृद्धालुओं की सहूलियत के लिए उन्होंने बदरी केदार मंदिरों में साइजेबल क्यूआर कोड लगाए हैं। इस फेसबुक पेज का आईपी एड्रस भी जांच में पुलिस के लिए एक अहम कड़ी साबित हो सकता है। दूसरी ओर बदरी–केदार मंदिर समिति की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। मंदिर परिसर में लगे क्यूआर कोड के साइन बोर्ड दो दिन तक समिति के कार्मिकों को क्यों नजर नहीं आए यह आश्चर्य का विषय है। मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में दर्ज वीडियो फुटेज पुलिस को इस जालसाजी के असली दोषियों तक पहुंचा सकती है।