ज्वलंत मुद्दा: क्या चौंकाने वाले चुनाव नतीजों की वजह बनेंगे बेरोजगार युवा
Pen Point, Dehradun : देश के साथ ही उत्तराखण्ड में लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। इण्डिया गठबंधन के अलावा अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं। देश में विभिन्न राज्यों में सरकारी नौकरियों को लेकर काफी लम्बे वक्त से बेरोजगार आंदोलित नजर आए। सरकारी आंकड़ों ने ही देश में बेरोजगारी की दर को रिकॉर्ड 45 साल में सबसे अधिक बताया। इस पर मोदी सरकार पर तेज हमले भी हुए। इस बीच सरकारी नौकरियों की भर्तियों में गड़बड़ियों का भी बहुत शोर सामने आया। जिससे खफा बेरोजगार युवा सड़कों पर उतर आए। सरकारों ने युवाओं पर लाठियां चलवाई और मुकदमें दर्ज किये। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में भी बीते सालों में देखा गया। यहां युवाओं का बड़ा तबका नौकरियों को लेकर आंदोलित हुआ और उत्तराखंड बेरोजगार संगठन भी अस्तित्व में आया।
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर भी बेरोजगारी का मुदा विपक्ष के प्रत्याशियों और नेताओं की तरफ से उठाया जा रहा है। टिहरी सीट पर से चर्चित निर्दलीय उम्मीदवार बॉबी पंवार इस आंदोलन से ही निकले हुए हैं। बॉबी को इस सीट पर युवाओं का बड़ा समर्थन भी मिलता दिख रहा है। इस नौजवान के साथ सभी पार्टियों से जुड़े हुए युवा बड़ी संख्या में राजनीति से इतर जुड़ रहे हैं और खुलकर सोशल मीडिया पर अपना समर्थन जाहिर कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी लोग पंचायतो के जरिये बेरोजगारों की आवाज के साथ खड़े हो रहे हैं।
वहीं पौड़ी गढ़वाल सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने युवाओं के साथ अग्निवीर और सरकारी नौकरियों की भर्ती घोटालों को आधार बनाकर प्रदेश की धामी और केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमला बोला है। यही हाल अल्मोड़ा, नैनीताल और हरिद्वार, सीट पर भी देखने को मिल रहा है। जबकि सत्ता पक्ष के प्रत्याशी और मुख्यमंत्री उत्तराखंड में पिछले एक वर्ष में बेरोजगारी की दर 3.5 प्रतिशत घटने वाले आंकड़े सामने रख कर अपनी सरकार की पीठ थपथपा रहे हैं। बीजेपी के नेता चुनवी मंचों पर बता रहे हैं कि वर्ष 2021-22 में बेरोजगारी की दर 8.4 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी अच्छी-खासी बढ़ी है। ऐसे में महिलाओं के वोटो पर ही बीजेपी का बड़ा भरोसा बना हुआ है।
दूसरी ओर, बीजेपी नेताओ का कहना है कि राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए धामी सरकार के प्रयास सफल रहे हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। हालाँकि चुनाव के दौरान सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था की चमकती तस्वीर पेश करना राजनीति का तकाजा ही कहा जाएगा। लेकिन जमीनी स्तर पर चुनाव के दौरान युवाओं का रूझान इस तस्वीर को झुठलाता दिख रहा है।
बहरहाल शुक्रवार 19 अप्रैल को उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग होंनी है, ऐसे में अग्निवीर, सहित राज्य सरकार के विभिन्न पदों पर होने वाली भर्तियों और बेरोजगारी की बात और आन्दोलन का हिस्सा बनने वाले युवाओं और उनके परिवारों की बड़ी संख्या क्या रुख दिखाती है। इसका पता 4 जून को आने वाले चुनाव परिणाम के बाद ही सामने आएगा कि पक्ष और विपक्ष में से किसके चुनावी मुद्दों पर जनता ने भरोसा जताया है।