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उपचुनाव: राजू भंडारी और करतार भड़ाना को मोदी मैजिक का सहारा

Pen Point, Dehradun : बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव का बिगुल बज गया है। दोनों सीटों पर नामांकन हो गए हैं और प्रत्याशियों ने पसीना बहाना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के राजनीतिक मिजाज के मुताबिक एक बार फिर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही नजर आ रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय मुद्दों की उपेक्षा की आशंका बनी रहती है। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय मुद्दों की काट में कांग्रेस क्षेत्रीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश में अब दिखने लगी है।
पहले बात करते हैं भाजपा की। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दम भारने के बावजूद भाजपा को कोई भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिला। लिहाजा पार्टी ने बदरीनाथ और मंगलौर सीट दोनों जगह ही दल बदलुओं को मैदान में उतार दिया। बदरीनाथ सीट पर राजू भण्डारी इस बार भाजपा की ओर से बैटिंग कर रहे हैं। जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को जमकर कोसा और फिर चौबीस घंटे अंदर ही उसमें शामिल भी हो गए।
भाजपा के थिंक टैंक को लग रहा है कि मोदी मैजिक के बूते राजू भंडारी को जीत मिल जाएगी। लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखकर यह बात सही भी साबित हो सकती है। उत्तराखंड में जिस तरह से लोगों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट किये हैं उससे कहा जा सकता है कि यहां अब भी मोदी मैजिक कायम है। हालांकि कांग्रेस की ओर से भले ही रोजगार, महंगाई, जोशीमठ, अग्निवीर, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार, अंकिता भंडारी को न्याय जैसे मुद्दे पुरजोर तरीके से उठाए गए थे। लेकिन इसके बावजूद लोगों ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया।

दूसरी ओर मंगलौर सीट पर भाजपा को पूरे प्रदेश में ही योग्य प्रत्याशी नहीं मिला। लिहाजा हरियाणा से करतार भड़ाना को आयातित किया गया। हालांकि यह सीट भाजपा के लिये आसान नहीं रही है, लेकिन कौन सी रणनीति के तहत भडा़ना को पार्टी ने मैदान में उतारा है इसका खुलासा तो उनकी जीत के बाद ही होगा। सूबे की राजनीति को समझने वाले कई लोगों को भाजपा का यह फैसला रास नहीं आ रहा है। खुद भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी यह अनुमान नहीं था कि मंगलौर सीट पर पार्टी किसी बाहरी राज्य के नेता को चुनाव लड़वा सकती है। भडाना रालोद से बसपा होते हुए भाजपा में आए हैं। हरियाणा सरकार में मंत्री रहे भडाना एक बड़े कारोबारी भी हैं। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है अगर भड़ाना ने मंगलौर सीट जीत ली तो उत्तराखंड में मंत्री भी बनाए जा सकते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के लिए वो भी मोदी फैक्टर के सहारे नजर आ रहे हैं।

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