इंसानियत: सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल कर दो युवाओं ने लापता बुजुर्ग को घर पहुंचाया !
Pen Point Dehradun: आज देश और दुनिया में करोड़ों लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह दोधारी तलवार की तरह है। अगर इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो यह मानवता के लिये वरदान है। वहीं सोशल मीडिया में फैली एक जहरीली बात समाज के लिये कितनी घातक हो सकती है, यह बात कई बार देखने में आई है। उत्तराखंड में ऐसे ही दो मामले आए हैं। जहां पहले मामले में सोशल मीडिया की मदद से दो दोस्तों ने एक गुमशुदा बुजुर्ग को उनके घर पहुंचाया। वहीं दूसरे मामले में हरिद्वार में एक यूट्यूबर ने एक शख्स को मुसलमान बताकर हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करवाई। पुलिस जांच में पता चला कि आग उगलने वाला शख्स हिंदू ही है और हरकी पैड़ी पर भीख मांगता है, जबकि यूट़यूबर फरार है। अगर इस मामले में पुलिस मुस्तैदी ना दिखाती तो कोई भी अनहोनी घटना हो सकती थी।
लेकिन हम यहां बात करेंगे पौड़ी गढ़वाल के उन दो युवाओं की जिन्होंने सोशल मीडिया का शानदार इस्तेमाल किया। इसमें इन्होने सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल को अंजाम दिया। अब तफ्सील से जानिए कि आखिर पूरा माजरा है क्या ?
दरअसल पौड़ी गढ़वाल सतपुली के रहने वाले युवा यशराज के घर में सतपुली के पास ही ओडलसैंण में 18-19 अक्टूबर को बहिन की शादी हो रही थी। इस पर वहीं पास में ही सड़क पर एक बूढ़ा व्यक्ति ग्रामीणों को दिखाई दिया। लोगों ने इस अंजान व्यक्ति को पहले कभी इलाके में नहीं देखा था। इतने पर ग्रामीणों ने चिंता जाहिर करते हुए उनके बारे में युवाओं से बात की। यशराज इस बुजुर्ग के पास पहुँचते हैं और उनसे बातचीत करने की कोशिश करते हैं। यशराज के मुताबिक तब इन बुजुर्ग के हाथ-पैर काँप रहे थे। उन्हें लगा कि शायद उन्हें कोई बीमारी या परेशानी हो। यह बूढा शख्स ठीक से बात नहीं कर पा रहा था। बस इतना ही बता पाया कि वह यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले हैं और वह यहाँ कहीं छूट गए हैं। इतनी बात होने पर बूढ़े ने युवक से कुछ खाने के लिए मांगा। क्योंकि घर के पास थे घर में शादी भी चल रही थी , तो यशराज ने उन्हें खाना खिलाया गया और वे करीब दो वक्त तक उधर ही देखे गए। इस दौरान उनसे नाम पता पूछा तो उनके पास आधार कार्ड मिल गया। यशराज ने उनकी मदद के इरादे से उनका हुलिया और बताई गयी जानकारी के साथ आधार कार्ड सोशल मीडिया पर डाल दिया। अगले दिन सुबह यशराज उन्हें देखने गए तो वे वहां से आगे निकल गए। इन लोगों ने पता किया तो रात के समय करीब 9 किमी आगे कुल्हाड़ बस स्टॉपेज पर इनके सोने की जानकारी मिली। अगली सुबह ये बुजर्ग गुमखाल के पास दिखे, यशराज के भाई इसी रास्ते देहरादून के लिए निकल रहे थे, तो उनकी नजर उन पर पड़ गयी, तो भाई ने इन्हें बताया कि ताऊ जी यहाँ रास्ते में चल रहे हैं। इतने में यशराज ने अपने एक मित्र को उनके बारे में पूरी जानकारी दी और कहा कि तुम गाड़ी लेकर जाओ और जहाँ भी मिले उन्हें अपने साथ ले आओ, हमें मिलकर उनकी मदद करनी है। यशराज के इस दोस्त का नाम आशीष रावत है जो गुमखाल में ही रहते हैं। आशीष पूर्व छात्रनेता रहे हैं और सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहते हैं। आशीष ने अपने स्वभाव के अनुसार दोस्त की बात को संजीदगी से लिया और बुजुर्ग की तलाश में निकल पड़े। तो वे पास में ही डिग्री कॉलेज के गेट के पास एक ढाबे में बैठे हुए मिल गए।
इसके बाद आशीष उन्हें अपने साथ गाड़ी में ले जाकर गुमखाल पुलिस चौकी पहुंचे। जहाँ पुलिस चौकी इंचार्ज वेद प्रकाश को इन बुजुर्ग से अब तक पता चली जानकारी दी। इंचार्ज ने यशराज से संपर्क किया और सारा विवरण जाना। इसके बाद पुलिस के साथ मिलकर यशराज ने इंटरनेट की मदद से गांव शिवनगर, कोतवाली विलरियागंज, आजमगढ़ उत्तर प्रदेश का नंबर निकाला और यूपी पुलिस से सम्पर्क साधा गया। इस पर विलरियागंज थाना पुलिस ने सम्बंधित व्यक्ति के बारे में पड़ताल कर उनसे सम्पर्क करने की बात कही। तब पता चला यह बुजुर्ग करीब एक साल पहले से गुमशुद चल रहे हैं। यूपी पुलिस ने बुजुर्ग के परजनों का मोबाइल नुबेर दिया और जब यशराज ने उनसे बात की तो, उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि उनके पिता जिन्दा हैं और इस वक्त कहाँ हैं, फिर उन्होंने उनका आधार कार्ड और तस्वीरें मंगवाई, तो उनके नंबर पर बुजुर्ग की तस्वीरें और आधार कार्ड सेंड किया। तब जा कर उन्हें विश्वास हुआ। इन लोगों ने खुद गुमखाल पहुँचने की बात कही। इस सब प्रक्रिया में दो तीन दिन लग गए। इतने वक्त तक आशीष रावत ने इस बुजुर्ग को अपने यहाँ रखा और पूरी मदद की। 24 अक्टूबर को बुजुर्ग के परिजन आजमगढ़ से 11 बजे सुबह चल पड़े और 25 अक्टूबर सुबह 9 बजे गुमखाल पहुंचे। गुमखाल से यह दूरी करीब 600 किमी आंकी गयी।
इस बीच बुधवार को यशराज के घर के कामों से व्यस्तता होने के चलते वे गुमखाल नहीं जा पाए। लेकिन पुलिस चौकी इंचार्ज जे उन्हें बताया कि वे लोग पहुंच चुके हैं और आप से मिलना चाहते हैं। लेकिन यशराज ने कहा कि मेरा मिलना इतना जरूरी नहीं है आप जरूरी औपचारकता पूरी कर के उन्हें उनके परिजनों के साथ भेज दीजिए। जब बुजुर्ग के परिवार के लोग गुमखाल पहुंचे थे, तो दोनों तरफ से माहौल बेहद मार्मिक हो गया। बुजुर्ग अपने परिवार के लोगों को देख कर खुद को रोने से रोक नहीं सका, उनके परिजनों ने भी रो-रो कर माहौल को बेहद भाउक बना दिया। इस दौरान पुलिस भी अपने चेहरे मानवीय भावों को नहीं रोक सकीं। और इस तरह
ये 72 वर्षीय बुजुर्ग अब अपने घर पहुचं चुके हैं। उनके रिश्तेदार उन्हें सकुशल मिलने पर देखने पहुँच रहे हैं। लालजी वर्मा के बेटे अमरनाथ वर्मा से इस पूरे मामले पर पेन पॉइंट से बात करते हुए बताया कि पिछले साल दिसम्बर में उनके पिता जी कुछ रिश्तेदारों के साथ कहीं गए थे, जहाँ वे राश्ते में उनसे बिछड़ गए। काफी ढूंढ खोज करने पर भी उनका कोई सुराग नहीं लगा, इसके बाद स्थानीय पुलिस थाने में उनके गुशुदगी की रिपोर्ट दर्ज गरवाई गयी। लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चल पाया।
उन्होंने कहा बीते एक साल में पूरा परिवार बेहद परेशान रहा और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करता रहा। आख्रिर कार ईश्वर ने उनकी सुनी और उत्तराखंड के दो युवाओं और पुलिस की मदद से आज उनके पिता सही सलामत उनके साथ अपने घर लौट आए हैं। उन्होंने इन दोनों युवाओं यशराज और आशीष सहित पौड़ी पुलिस का बहुत बहुत आभार जताया।