मंत्री गणेश जोशी के मामले में क्या धामी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ संदेश दे सकती है?
Pen Point, Dehradun : आय से अधिक संपत्ति के मामले में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी फंसते दिख रहे हैं। एडवोकेट विकेश नेगी की शिकायत पर विजिलेंस ने सरकार से जोशी के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है। अब सीएम धामी की कैबिनेट को तय करना है कि वह अपने मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति देती है या नहीं। उल्लेखनीय है कि विजिलेंस की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश सतर्कता मनीष मिश्रा ने सरकार को 8 अक्टूबर तक अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करने की समय सीमा दी है। केस की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।
यह पूरा मामला इस तरह है कि आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने आरटीआई के जरिए 2007 से 2022 तक की आय से जुटाई संपत्ति की जानकारी मांगी थी। जिसमें मंत्री गणेश जोशी की आय से अधिक संपत्ति का ब्यौरा मिला है, यह मामला कोर्ट में चल रहा है। विशेष न्यायालय न्यायाधीश सतर्कता मनीष मिश्रा ने बीते 2 सितम्बर को इस मामले की सुनवाई की। न्यायधीश ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नजीर मानते हुए कहा कि शिकायत के लिए तीन महीने की समय सीमा के बाद ही कोर्ट किसी राय पर पहुंचेगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि उत्तराखंड कैबिनेट इस संबंध में लिये निर्णय से अवगत कराने को भी कहा है।
खबर है कि कोर्ट के आदेश के अनुसार इस प्रकरण को लेकर एसपी विजिलेंस देहरादून ने न्यायालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है, जिसमें विशेष लोक अभियोजक (फौजदारी) द्वारा अपनी आख्या के साथ उत्तराखण्ड शासन के कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-8 का पत्र संलग्न है, जिसमें सचिव मंत्री परिषद (गोपन विभाग) उत्तराखण्ड शासन को इस मामले में शिकायत को प्रशासकीय विभाग मंत्री परिषद विभाग के स्तर पर परीक्षण एवं यथोचित कार्यवाही हेतु प्रेषित किये जाने का निर्णय लिये जाने की सूचना अपर सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-5 द्वारा दी गयी है।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरना दायर किये गए हलफनामे में दी गई जानकारी को लेकर लपेटे में आए हैं। जिसमें उन्होंने अपने पास लगभग नौ करोड़ रूपए की संपत्ति दर्शाई थी। विकेश नेगी ने इस हलफनामे को आधार बनाते हुए उनके आयकर रिटर्न से तुलना करते हुए मामले को उजागर किया था। उनकी दलील थी कि गणेश जोशी का राजनीति के अलावा कोई आय का अन्य साधन नहीं है। जबकि उनके आयकर रिटर्न के आधार पर विधायक और मंत्री के तौर पर उन्हें विगत 15 साल में महज 35 लाख का वेतन मिला तो यह नौ करोड़ कहां से आए?
कुल मिलाकर कृषि और उद्यान जैसे अहम मंत्रालय संभाले गणेश जोशी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं सरकार अपने पाले में आई गेंद से असहज नजर आ रही है। देखना होगा कि राज्य कैबिनेट अपने मंत्री के भ्रष्टाचार मामले पर साफगोई से फैसला लेगी या फिर मंत्री को बचाने के लिये कोई नया पैंतरा खेला जाएगा।