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Bluetooth डिवाइस से नकल: देहरादून में 17 अभ्यर्थी गिरफ्तार, केस दर्ज

Pen Point, 19 May 2025 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा आयोजित नवोदय विद्यालय समिति/लैब अटेंडेंट प्रतियोगी परीक्षा में हाई-टेक नकल का पर्दाफाश करते हुए देहरादून पुलिस ने रविवार को 17 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारियां पटेल नगर और डालनवाला स्थित परीक्षा केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक ब्लूटूथ डिवाइस के जरिये अनुचित साधनों के उपयोग की सूचना मिलने के बाद की गईं।

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अजय सिंह ने बताया कि सभी आरोपियों के पास से कुल 17 ब्लूटूथ डिवाइस बरामद किए गए, जिन्हें उन्होंने अपने जूतों, अंडरगारमेंट्स और अन्य निजी सामान में कुशलता से छिपाया था। पुलिस को पहले से ही इस रैकेट की गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर केंद्रों पर निगरानी रखी गई और फिर यह कार्रवाई की गई।

हाई-टेक गैजेट और प्रशिक्षित सहयोगी

पूछताछ में सामने आया है कि कई अभ्यर्थी परीक्षा हॉल के बाहर मौजूद “सॉल्वर” से ऑडियो के ज़रिए सवालों के जवाब ले रहे थे। इन सॉल्वरों को परीक्षा के पैटर्न और सिलेबस की गहरी जानकारी थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि गैजेट्स को किराये पर उपलब्ध कराया गया था, जिसकी कीमत 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक थी।

कानून का शिकंजा: नई धाराएं, कड़ा दंड

गिरफ्तार अभ्यर्थियों के खिलाफ सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 की धारा 3, 4, 10 और 11 के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) और 61(2) भी लगाई गई हैं। ये कानून उत्तराखंड के नकल विरोधी कानून की तर्ज पर बनाए गए हैं, जिनमें परीक्षा में धांधली करने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

एसओजी की एंट्री, नेटवर्क की तलाश

स्थानीय पुलिस के साथ-साथ अब विशेष अभियान समूह (SOG) भी जांच में जुट गई है। पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नकल गैजेट्स की आपूर्ति कहां से की जा रही थी और इस पूरे रैकेट को संचालित कौन कर रहा था।

एसएसपी अजय सिंह ने कहा, “हम सिर्फ परीक्षार्थियों तक सीमित नहीं रहेंगे। गैजेट्स उपलब्ध कराने वाले, बाहर से उत्तर देने वाले, और पूरे नेटवर्क से जुड़े हर व्यक्ति की पहचान कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”

नकल के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन अब इन मामलों को “अकादमिक अपराध” के तौर पर देख रही है। अधिकारियों का मानना है कि यदि इन मामलों में उदाहरण पेश नहीं किया गया, तो यह प्रवृत्ति गहराती जाएगी।

सूत्रों के अनुसार, राज्य स्तर पर एक नकल विरोधी टास्क फोर्स बनाने की भी योजना है, जो प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटेलिजेंस, तकनीकी निगरानी और छापेमारी के जरिए ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई करेगी।

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