Climate change : हिमालय से बर्फ, ग्लेशियर और पानी गायब !
Pen Point, dehradun : मौसम में बदलाव का असर उच्च हिमालयी इलाकों में साफ तौर पर नजर आने लगा है। नवंबर बीतने को है लेकिन बर्फ का नामो निशान तक नहीं है। ऐसे कई हिमालयी चोटियों रूखी और मिट्टी पत्थर के टीलों में तब्दील हो चुकी हैं। पूरी दुनिया की तरह उत्तराखंड का हिमालयी इलाका भी जलवायु के ऐसे बदलावों से जूझ रहा है।
पूर्वी और पश्चिमी नन्दा देवी पर्वत श्रृंखला से लेकर जांस्कर रेंज गंगोत्री हिमालय तक की ऊंचाई वाले इलाकों और उच्च हिमालई क्षेत्रों से बर्फ नदारद है, इसलिए बर्फ बिना गढ़वाल हिमालय की इन हिम शिखरों का प्राकृतिक सौन्दर्य फीका नजर आ रहा है, आजकल जहां गढ़वाल हिमालय की पर्वत चोटियां खासकर जोशीमठ नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क के बफर जोन और कोर जोन सहित पूर्वी और पश्चिमी नन्दा देवी पीक, त्रिशूल रेंज, बागनी रेंज, जांस्कर घाटी, गंगोत्री हिमालय के पहाड़ सफेद बर्फ से लकदक नजर आते थे। इसके साथ ही तापमान भी न्यूनतम स्तर पर चला जाता था। लेकिन इस वर्ष इसके उलट कोरी ठंड के साथ साथ पूरे गढ़वाल हिमालय क्षेत्र की पर्वत श्रृंखलाएं बर्फबारी बिन सूखे पठार बने नजर आ रहे हैं। कहा जा सकता है कि इस बार हिमालय में हिम नजर ही नहीं आ रहा है।
उच्च हिमालई इलाकों के लोग भी बर्फबारी ना होने चिंतित हैं। बीते साल भी नवंबर में बारिश और बर्फ तो गिरी थी लेकिर उसके बाद फरवरी तक सूखे जैसे हालात रहे। खेती का फसल चक्र इस कारण से सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है। एक बार फिर पूरे उच्च गढ़वाल हिमालय में सूखे के हालात बने हुए है।
सबको इंतजार है तो एक पश्चिमी विक्षोव का जो सूखे पड़े गढ़वाल हिमालय में बर्फबारी और बारिश ला सके। ताकि पहाड़ में गड़बड़ाया पारिस्थितिकी तंत्र और ऋतु चक्र पुनः पटरी पर लौट सके, हिमालय में डेढ़ माह से उत्तराखंड के ऊपरी हिमालई क्षेत्र में बर्फबारी तो दूर की बात है, बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी है। लिहाजा बारिश नहीं होने से सीमांत के उन्नत शील किसानों और सेब बागवानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें बढ़ गई है.गढ़वाल छेत्र में मानसून सितम्बर आखिरी में विदा हो गया था,उसके बाद से पूरे प्रदेश में बारिश की एक बूंद नहीं गिरी है।
जानकारो का कहना है कि साल 2016 में ऐसी स्थिति बनी थी, जब नवंबर माह में भी बारिश नहीं हुई हो. इस साल अक्टूबर माह में 97 फीसदी बारिश कम दर्ज की गई है. वहीं, नवंबर माह में आज पूरी तरह सूखे की स्थिति बनी हुई है। बता दें की जितने भी पश्चिमी विक्षोभ आए वह बिन बरसे ही निकल गए. वहीं, आने वाले दिनों में भी बारिश के आसार नहीं बन रहे हैं। हालांकि 22 नवंबर को एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर और हिमाचल में हल्का सक्रिय जरूर हुआ.लेकिन उसका असर उत्तराखंड के हिमालय में कम ही देखने को मिला।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हालत इस कदर खराब है की चमोली जनपद के 15हजार फीट की ऊंचाई पर उच्च हिमालयी क्षेत्र हेमकुंड साहिब में भी सप्त श्रृंग चोटियों सहित पूरे इलाके से बर्फ नदारद है, यही हालत कागभूषण्ढी, सतोपंथ ताल,नन्दी कुण्ड, कुंवारी पास, चिनाप वैली, बागनी द्रोणागिरी वैली, सहित नीति माणा घाटी के ऊंचे धुरो,सरहदी छेत्र सुमना,लफतल,बाडाहोत्ती, देव ताल, घसतोली,जेसे उच्च हिमालई पठारी छेत्र भी बर्फ बारी बिना सूखे नजर आ रहे हैं, यही हाल, गढ़वाल हिमालय के श्वेत धवल हिम शिखरों का भी नजर आ रहा है, जो इन दिनों बर्फबारी के चलते चमकदार नजर आते थे वो पर्वत श्रृंखलाएं आजकल बिना बर्फ के सूखे विरान नजर आ रहे है, नन्दा देवी माउंटेन रेंज, से लेकर, द्रोणागिरी, कामेट, जांस्कर रेंज, त्रिशूल रेंज, गंगोत्री हिमालय की ऊंची चोटियों के आसपास के सभी इलाके बर्फ बिना खुरदरे सूखे नजर आ रहे है, अब इसे जलवायू परिवर्तन का असर माने या क्लाइमेट चेंज या असमान्य ऋतु परिवर्तन समय पर इन चोटियों पर बर्फबारी नही होने का खामियाजा तो हमे ही भुगतना पड़ेगा, बिन बारिश और बर्फबारी जहां किसानों की सांसे अटकी पड़ी है वहीं मौसम चक्र में इस तरह बदलाव आने वाले दिनों में काफी दिक्कतें खड़ी कर सकता है, ऐसे में अब सबको इंतजार है तो बारिश और बर्फबारी का