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पौड़ी के फरसाड़ी में बादल फटा, मानसून से पहले पहाड़ पर आफत

Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में मानसून से पहले बादल फटने का सिलसिला थम नहीं रहा है। बीते बुधवार की शाम पौड़ी जिले के सुखद और फरसाड़ी गांव में बादल फटने से काफी नुकसान हुआ। आसमान से अचानक आई इस आफत के बाद कई घरों और गौशालाओं में पानी भर गया। वहीं स्टेट हाईवे का एक बड़ा हिस्से में कटाव हो गया है, जिससे इस सड़क पर फिलहाल आवाजाही ठप्प है। बादल फटने की जो तस्वीरें सामने आई हैं उससे लोगों के खौफ को समझा जा सकता है। घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन की ओर से बचाव अभियान शुरू कर लोगों को मदद पहुंचाई जा रही है। अतिवृष्टि के चलते किसानों की खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है और कई जगहों पर खेतों का भी कटाव हुआ है।

इसके अलावा उत्तराखंड में बुधवार रात को कुछ हिस्सों में बादल जमकर बरसे। इससे जहां जंगलों की आग कुछ हद तक शांत हुई है, वहीं अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ में बादल फटने और बाढ़ जैसे हालात से तबाही का मंजर है। हालांकि सुकून की बात ये है कि कहीं से जनहानि की कोई ख़बर नहीं है।
लेकिन मौसम का यह मिजाज विशेषज्ञों के लिये भी पहेली बनता जा रहा है। एक तरह से उत्तराखंड में जंगलों की आग के बाद यह नई आफत लोगों को परेशान कर रही है। इससे पहले 9 मई की शाम को अल्मोड़ा जिले सोमेश्वर के चनौदा में बादल फट गया था। जिससे सड़कों पर मलबे का सैलाब आ गया और कई दुकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचा। कई घरों में पानी घुसने के साथ ही सोमेश्वर-कौसानी मार्ग पूरी तरह बंद हो गया था।

9 और 10 मई को पिथौरागढ़ में भी ओलावृष्टि से किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा। वहीं बागेश्वर जिले में भी भारी बारिश से नाले उफान पर आए और जगह जगह जलभराव की स्थिति देखने को मिली। कुछ ऐसा ही हाल कपकोट में भी रहा यहां भी मोटर मार्ग में जगह जगह बरसाती नाले उफान में आने से यातायात थम गया।
9 मई को ही उत्तरकाशी जिले के पुरोला में भी भारी बारिश ने तबाही मचाई। यहां कुमोला नाले में आए भारी उफान से खेत खलिहानों को नुकसान हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह उफान बादल फटने से ही आया।
जंगलों की आग के बाद उत्तराखंड पर यह नई तरह की आफत है। अचानक तेज बारिश के साथ नदी नालों में उफान और बादल फटने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। जिससे स्थानीय लोगों के साथ ही विशेषज्ञ की भी हैरान हैं। आम तौर पर प्री मानसून की बारिश में इतनी अतिवृष्टि नहीं होती लेकिन इस बार मौसम नया गुल खिला रहा है।

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