क्रिकेट विश्वकप पर प्रदूषण की मार, लेकिन चर्चा नहीं हो रही
Pen Point, Dehradun : बीते 6 नवंबर को श्रीलंका और बांग्ला देश के बीच खेले गये क्रिकेट विश्वकप के मैच में टाइम्ड आउट की खूब चर्चा हुई। जिसमें बांगलादेश के साकिब अल हसन की अपील पर श्रीलंकाई बल्लेबाज ऐजेलो मैथ्यूज को बिना खेले ही पैवेलियन लौटना पड़ा। मीडिया में यह बात जोर शोर से उठाई गई। लेकिन इस मैच में एक बात ऐसी भी हुई जो भारत में क्रिकेट के भविष्य के लिये ठीक नही है। दरअसल, दिल्ली के अरूण जेटली क्रिकेट स्टेडियम में इस मैच के आयोजन को लेकर अंत तक असमंजस बना रहा। जिसकी वजह था दिल्ली का प्रदूषण। नवंबर के पहले दिन से ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गया था। बताया जा रहा है कि दोनों टीमों के खिलाड़ी इस बात को लेकर असहज भी दिखे। हालांकि प्रदूषण के स्तर को लेकर आईसीसी के अभी कोई ठोस नियम नहीं हैं, लेकिन भारतीय मैदानों में खराब वायु गुणवत्ता का सवाल पहले भी उठता रहा है।
अरूण जेटली स्टेडियम पहले फिरोजशाह कोटला के नाम से जाना जाता था। साल 2017 में इसी फिरोजशाह कोटला में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच चल रहा था। इस मैच के दौरान फील्डिंग करते हुए श्रीलंकाई खिलाड़ी मास्क पहन कर मैदान पर उतरे थे। तब इस टीम ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर काफी नाराजगी जाहिर की थी। पर्यावरण पत्रिका डाउन टु अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस विश्वकप मैच से पहले दिल्ली में श्रीलंका के खिलाड़ी अभ्यास के दौरान मास्क पहने हुए दिखे। वही ंबांग्लादेश के खिलाड़ियों ने कमरे से बाहर निकलने से परहेज किया।
आने वाली 15 नवंबर को विश्वकप क्रिकेट का पहला सेमीफाइनल मुंबई में खेला जाना है। वहां भी वायु की गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में मुंबई भी खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में शामिल है। ऐसे में अगर वायु गुणवत्ता ठीक नही ंरही तो इस सेमीफाइनल मैच को लेकर भी असमंजस बना हुआ है। गौरतलब है कि यह विश्वकप भारत में ऐसे समय में कराया जा रहा है जब अधिकांश शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी उपर चला जाता है। विश्वकप के सभी मैच देश के दस शहरों में खेले जा रहे हैं। इनमें से दो शहरों को छोड़कर सभी खराब वायु गुणवत्ता वाले शहर हैं। दिल्ली और मुंबई में तो स्टेडियम के आस पास का इलाका ही प्रदूषण के लिहाज से हॉट स्पॉट बना हुआ है।
विश्वकप भारत में हो रहे हैं तो आईसीसी वायु प्रदूषण से संबंधित घटनाक्रम पर गहरी नजर रख रही है। ध्यान रहे कि आईसीसी के खेल की परिस्थितियों से जुड़े अनुच्छेद 2.8 के अनुसार, “अगर किसी भी समय अंपायर इस बात पर सहमत होते हैं कि मैदान, मौसम या रोशनी या कोई अन्य परिस्थितियां खतरनाक या अनुचित हैं, तो वे तुरंत खेल को निलंबित कर देंगे या खेल शुरू करने की अनुमति नहीं देंगे।”
क्रिकेट के जानकारों के मुताबिक प्रदूषण के स्तर को लेकर आईसीसीसी के अपने कुछ नियम हैं लेकिन वो इतने प्रभावी नहीं हैं। दूसरी ओर क्रिकेट के आयोजन एक बहुत बड़ा बिजनेस सेटअप है। जिसमें भारी भरकम पैसा लगा होता है, वहीं भारत में इस खेल का जबर्दस्त क्रेज है, इन वजहों से प्रदूषण से जुड़ी चिंताओं का अनदेखा कर दिया जाता है। जबकि इसका असर खिलाड़ियों के प्रदर्शन के साथ ही दर्शकों की सेहत पर भी पड़ता है।