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अनंतनाग के शहीदों के घर-गाँव में जुटा लोगों का हुजूम

PEN POINT : देश की हिफाजत के लिए जम्मूकश्मीर के अनंतनाग में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भड़ौजियां पहुंचा तो सैकड़ों की संख्या में अपने लाल की एक झलक देखने को पूरा इलाका वहां पहुँच गया।

जिले के एसपी डॉक्टर संदीप गर्ग और डीसी आशिका जैन सहित तमाम आला अधिकारी शहीद के गाँव पहुंचे। वहीं कर्नल मनप्रीत के मासूम बेटे ने सेना की वर्दी पहनकर अपने पिता को सेल्यूट किया। यह मार्मिक नजारा हर किसी की आँखों को बेहद नाम कर गया। परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था, तो वहीँ शहादत पर गर्व भी। इस दौरान हर आंख नम थी। शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह अमर रहे और भारत माता की जय के नारों से पूरा गांव गूंज रहा था। छोटे बड़े बुजुर्ग नौजवान महिलाएं सब रुंधे गले से एक सुर में मनप्रीत की बीरता और अमरता के नारे लगाए जा रहे थे। स्थानीय मीडिया और सोशल मेदे में ये तस्वीरें प्रदेश और देश के तमाम इलाकों तक सीधे पहुँच रही थी।

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ऐसा ही ग़मगीन और भारत माता के नारों से गुंजायमान नजारा दूसरी तरफ हरियाणा में भी देखने को मिला। यहाँ इसी घटना में मेजर आशीष भी शहीद हुए। उनके गाँव में इस खबर के मिलते ही गुरूवार से लोगों का तांता लगा रहा। पूरे राजकीय राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव बिंझौल के श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। पिता लालचंद व चचेरे भाई मेजर विकास ने उनको मुखाग्नि दी। वहीं, इस दौरान उनकी मां, तीनों बहनें, पत्नी और बेटी वामिका मौजूद रही।

इस दौरान उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ा रहा है। जिसके बाद सैन्य अधिकारी और परिवार वाले मेजर के पार्थिव शरीर को लेकर गांव बिंझौल पहुंचे। मेजर की अंतिम यात्रा को पानीपत शहर के बीच बाजार से निकाला गया ताकि शहरवासी मेजर आशीष अंतिम दर्शन कर सके। गांव के युवा मोटरसाइकिलों के जत्थे के साथ पार्थिव शरीर के आगे जुलूस के रूप में चले। इसके अलावा मुख्य गलियों में तिरंगा लगाए गए।

सेना के अधिकारियों, प्रशासन व पुलिस अधिकारियों ने उनको पुष्प चक्र भेंट किया। वहीं पत्नी ज्योति व बेटी वामिका समेत परिवार के लोगों ने उनको सैल्यूट किया।

मेजर आशीष अमर रहे व भारत माता के लगे जयकारे टीडीआई से लेकर गांव बिंझौल तक शहीद मेजर आशीष अमर रहे और भारत माता के जमकर नारे लगे। युवा मोटरसाइकिल पर तिरंगा लेकर आगे चले। गोहाना मोड़ जीटी रोड से सेना के विशेष वाहन के आगे काफिले के रूप में चले और श्मशान घाट तक मोटरसाइकिलों का काफिला रहा। गांव में प्रवेश से शमशान घाट तक फूलों की वर्षा की गई। ग्रामीण बच्चों महिलाओं व बुजुर्गों ने अपने लाल को अंतिम विदाई दी। हर कोई विदाई के लिए बाहर खड़ा था।

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मेजर आशीष की अतिंम विदाई में शामिल होने के लिए उनके गांव बिंझौल के श्मशान घाट लोगों की इतनी भीड़ लग गई कि कोई पेड़ पर चढ़ गया तो कोई श्मशान घाट में बने कमरे की छत पर। इस दौरान लोगों के हाथों में तिरंगे दिखाई वहीं लोगों ने जोर-जोर से भारत माता जय के नारे लगाए। इस दौरान लोगों को देश का जवान खोने का गम था वहीं उन्हें अपने लाल पर गर्व भी था कि वह देश के लिए शहीद हुआ है।

कई जगहों पर शहीद के शव पर फूलों की वर्षा की गई। परिजनों के चेहरे पर जहां बेटे को खोने का गम है, देश के लिए शहीद होने पर गर्व का एहसास भी नजर आया। वहीं, पिता लालचंद, मां कमला, पत्नी ज्योति और तीनों बहनों अंजू, सुमन और ममता का रो-रोकर बुरा हाल है।
मेजर आशीष की शहादत की जानकारी लगने पर कोई भी अपने आंसू रोक नहीं पाया।

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