दस्तरखान की जुगलबंदी से ’जंगबंदी’ की राह खोलने की कोशिशें !!!
केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा यात्रा के दौरान पहली बार एक ही टेबल पर एक साथ दिखे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, लंबे समय से एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे जुबानी जंग
Pen Point, Dehradun : मंगलवार को राजनीति में रूचि रखने वाले लोगों का ध्यान सोशल मीडिया पर एक फोटो ने अपनी तरफ खूब खींचा। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट किया। मौका था कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा का और स्थान था रूद्रप्रयाग। कांग्रेस की यह यात्रा यहां कुछ देर ठहरी तो नेताओं के लिए दस्तरखान सजाया गया। टेबल पर नाश्ता रखा था लेकिन इन सबसे ज्यादा ध्यान खींचा दस्तरखान पर बैठे चेहरों ने। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद राजनीति में एक दूसरे कट्टर दुश्मन हो चुके चेहरे लंबे समय बाद एक ही मेज पर बैठे देखे गए। कांग्रेस के लिए हाल के सालों में यह दुलर्भ क्षण था। पिछले पांच सालों से एक दूसरे पर कटाक्ष करने से न चूकने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को एक ही टेबल पर देख कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हैरानी होने के साथ ही एक सुखद अहसास भी जरूर हुआ होगा। असल में टेबल पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ ही पूर्व काबिना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत भी बैठे हुए थे। हालांकि, इनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी मौजूद थे। लेकिन, इन तीन चेहरों ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा और उस पर हरीश रावत की ओर से यह फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के यह मायने भी निकाले जा रहे हैं कि हरीश रावत भी लंबे समय से चली आ रही इस राजनीतिक तल्खी को खत्म करना चाहते हैं।
बदरीनाथ व मंगलौर विधानसभा उप चुनाव में जीत दर्ज कर इन दिनों प्रदेश में कांग्रेस के हौसले बुलंद है। कांग्रेस संगठन में लंबे समय बाद हलचल देखी जा रही है। दो उपचुनावों में मिली जीत का ही नतीजा है कि अब तक एक दूसरे पर जुबानी हमले करने वाले कांग्रेसी नेता एक बार फिर साथ साथ दिख रहे हैं। 2022 में विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव व उपचुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संगठन के लिए काम करने के बजाए एक दूसरे पर जुबानी हमले करते रहे लेकिन अब लंबे समय बाद वह मौका आया जब सारे नेता एक साथ मनमसोसकर ही सही जुटने लगे है। इन दिनों कांग्रेस केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा पर है। केदारनाथ धाम के दिल्ली में कथित निर्माण और केदारनाथ धाम में सोने के पीतल में बदल जाने के आरोप के साथ कांग्रेस ने बीते दिनों ऋषिकेश से इस यात्रा का आगाज किया। केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा इसलिए भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि हाल ही में केदारनाथ से भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद इस सीट पर आने वाले महीनों में उपचुनाव होना है। ऐसे में कांग्रेस की निगाहें केदारनाथ धाम के जरिए केदारनाथ विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में जीत कर 2027 की राह आसान करनी है।
हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए रणजीत रावत उनके सबसे भरोसेमंद लोगों में शामिल थे। कहां भी यह जाता था कि मुख्यमंत्री भले ही हरीश रावत हो लेकिन असल ताकत रणजीत रावत के हाथों में है। लेकिन, 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद रणजीत रावत ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने हरीश रावत के कई ऐसे राज मीडिया के सामने खोल दिए जिनके शायद वह इकलौते राजदार थे। वह तल्खी 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बनी रही तो 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसका असर दिखता रहा। हरीश रावत ने तो रणजीत रावत के खिलाफ खुले तौर पर कुछ नहीं बोला लेकिन माना जाता है कि उनकी राजनीतिक करियर को खत्म करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि, हरक सिंह रावत विधायकों के उस दल में शामिल थे जिन्होंने हरीश रावत सरकार को गिराने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। 2017 में भाजपा से विधायक चुने गए हरक सिंह रावत कैबिनेट मंत्री भी बने लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में वापसी की लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। इसके साथ ही हरीश रावत और डॉ. हरक सिंह रावत के बीच जुबानी जंग चलती रही। हरीश रावत जहां व्यंग्यात्मक लहजे में हरक सिंह रावत पर जुबानी तीर छोड़ते तो हरक सिंह रावत भी सीधे तीखे जुबानी हमले से नहीं चूकते। यहां तक कि बीते दिनों जब हरीश रावत पूर्व मुख्यमंत्री व मौजूदा हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बुलावे पर उनके आवास पर आम पार्टी में शामिल हुए तो हरक सिंह रावत ने हरीश रावत की आलोचना की थी बदले में हरीश रावत ने भी हरक सिंह रावत पर तीखे शब्दों से वार किया था। बीते दिनों तक चल रही इस जुबानी जंग के बीच लग रहा था कि कांग्रेस पिछली हारों से सीखने को तैयार होती नहीं दिख रही है। लेकिन, बीते दिनों जब कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा शुरू हुई तो कांग्रेस के बड़े नेता फिर एक साथ जुटते दिखे। मनमुटावों का बोझ लिए लंबे समय बाद कंाग्रेस संगठन एक साथ खड़ा दिख रहा था। अब हरीश रावत ने जो फोटो फेसबुक पर डाली है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस यात्रा के जरिए शायद कांग्रेस के पहले पंक्ति के नेताओं के बीच के राजनैतिक मतभेद खत्म हो सके और दो उपचुनावों की जीत से उम्मीदों के पंख लगाए कांग्रेस को प्रदेश में नया जीवनदान मिल सके।