चुनावी रंग-ढंग: ताकि रिकवरी वाला कर्जदार से बदतमीजी ना कर सके
Pen Point, Dehradun : लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल और प्रत्याशी जनता के बीच पहुंच रहे हैं। गांव, कस्बों और शहरों की गलियों के चक्कर काटे जा रहे हैं। हर प्रत्याशी किसी ना किसी आधार पर अपने लिये वोट मांग रहे हैं। सत्ताधारी दल के प्रत्याशी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। जबकि विपक्षी दल और अन्य प्रत्याशी सरकार की नाकामियों पर हमलावर हैं। वहीं कुछ ऐसे प्रत्याशी भी हैं जिनकी मांगें अलग किस्म की हैं। टिहरी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी सुदेश तोमर ऐसे ही एक प्रत्याशी हैं। तोमर लोगों को कर्ज मुक्त करवाना चाहते हैं। उनका मानना है कि समाज में किसी भी आदमी पर कर्ज नहीं चढ़ना चाहिए। इसी कर्ज मुक्ति अभियान की सोच के साथ वो चुनाव मैदान में हैं।
देहरादून जिले के कालसी निवासी सुदेश तोमर ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में साफ तौर पर स बात को लिखा है कि ..जनता की कर्जा मुक्ति तक हम रूकने वाले नहीं हैं..इस पत्र में उन्होंने बिंदुवार यह भी समझाया है सांसद बनने के पीछे उनका मकसद क्या है-
-जनता की कर्जा मुक्ति की आवाज को देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचाने के लिये
-आम जनता को रिकवरी वालों की बदतमीजी से बचाने के लिये
-महिलाओं को समूह लोन से आजादी दिलाने के लिये
-व्यापारियों को कर्ज के कारण आत्महत्या से बचाने के लिये
-गरीबों की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिये
जाहिर है कि इन सभी बातों से हर कर्जदार जूझता है। लिहाजा सुदेश तोमर ने अपने चुनाव लड़ने का प्रमुख आधार कर्ज मुक्ति को ही बनाया है। अपने इसी मकसद को लेकर वो लोकसभा क्षेत्र में लोगों के बीच जा रहे हैं। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता है कि कर्ज से सताए लोगों का उन्हें कितना समर्थन मिल रहा है, लेकिन इतना तय है कि बड़ी तादाद में उनकी बातों का मन ही मन समर्थन करने वाले लोग मौजूद हैं।