चढ़ते पारे में ठंडा पड़ा चुनावी परिणाम का उत्साह
– लोकसभा चुनाव के लिए राज्य की पांचों सीटों पर डेढ़ महीने पहले हुआ था मतदान, परिणाम को कुछ ही दिन शेष पर लोगों में उत्साह नदारद, प्रत्याशियों में बैचेनी
Pen Point, Dehradun : देश के अन्य शहरों की तरह ही प्रदेश की राजधानी देहरादून भी तप रही है, हर दिन पारा चढ़ रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार और राजनीतिक बहस ठंडी पड़ गई है। आलम यह है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने में कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन राज्य में लोकसभा चुनाव परिणाम और इसे लेकर बहस गायब है। लोगों में उत्साह नदारद है जिसने प्रत्याशियों में बैचेनी बढ़ा दी है।
प्रदेश की पांचों संसदीय सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान हुए थे। पहले चरण में हुए चुनाव के चलते प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां पूरी तरह से गायब रही। तो मतदान में प्रदेश के मतदाताओं ने भी खास रूचि नहीं दिखाई और राज्य निर्वाचन आयोग के 72 फीसदी मतदान करवाने के लक्ष्य के सापेक्ष प्रदेश में मतदान 53 फीसदी ही हो सका। इतने कम मतदान ने जहां पहले जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा प्रत्याशियों को भी हैरान कर दिया तो वहीं कांग्रेस समेत निर्दलीय प्रत्याशियों की उम्मीदों को भी पंख दे गया। प्रदेश की सभी पांच संसदीय सीटों को दो बार से लगातार भाजपा जीतती रही है। ऐसे मंे भाजपा को उम्मीद है कि इस बार भी पांचों सीटों पर उनकी जीत का सिलसिला बरकार रहेगा। लेकिन, टिहरी और अल्मोड़ा संसदीय सीट को छोड़ बाकी अन्य तीन संसदीय सीटों पर कांग्रेस को अपनी जीत की उम्मीद दिख रही है। गढ़वाल, हरिद्वार और नैनीताल संसदीय सीटों पर कांग्रेस चमत्कार की उम्मीद कर रही है।
टिहरी संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा की प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह और निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के बीच माना जा रहा है। यहां कांग्रेस की ओर से जोत सिंह गुनसोला प्रत्याशी हैं लेकिन कांग्रेस ने टिहरी संसदीय सीट के मुकाबले में पहले ही हथियार डाल दिए थे। ऐसे में पूरा मुकाबला भाजपा की 74 वर्षीय माला राज्यलक्ष्मी शाह और निर्दलीय प्रत्याशी 26 वर्षीय बॉबी पंवार के बीच हो चला।
इस लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा ध्यान जिस सीट ने खींचा वह थी गढ़वाल संसदीय सीट। भाजपा ने इस सीट पर पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा के केंद्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को मैदान में उतारा था तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक गणेश गोदियाल पर दांव खेला। शुरूआती दौर में मुकाबला भाजपा के पक्ष में एकतरफा लग रहा था। वहीं, इस संससदीय सीट पर इकलौते कांग्रेसी विधायक राजेंद्र भंडारी चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे मंे कांग्रेस के पास चुनाव प्रचार के लिए तक इस सीट पर एक भी सिटिंग विधायक उपलब्ध नहीं था। लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने पूरा माहौल ही पलट दिया। उन्हें क्षेत्र में व्यापक जनसमर्थन मिला और उनकी रैलियों में उमड़ती भीड़ ने भाजपा के भी हौस उड़ा दिए। यहां तक कि अनिल बलूनी के प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी मैदान में उतरना पड़ा। उसके बावजूद गणेश गोदियाल ने पूरे चुनाव अभियान में बढ़त बनाए रखी। माना जा रहा है कि अनिल बलूनी के लिए भाजपा की ओर से पूरा तंत्र झोंके जाने के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस को गणेश गोदियाल के बूते बढ़त मिली है।
हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा था, इससे पहले इस सीट पर निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा भी अपनी दावेदारी जता चुके थे जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था लेकिन अपने पुत्र विरेंद्र रावत को कड़ी मशक्कत के बाद यहां कांग्रेस का टिकट दिलवाने में सफल रहे थे। हालांकि, लगातार दो बार इस संसदीय सीट पर भाजपा विजय रही है लेकिन इस बार भाजपा ने मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काटकर त्रिवेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया था। हालांकि, बताया जा रहा है कि हरिद्वार संसदीय सीट के अंतर्गत जो विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं वहां बेहद कम मतदान होने और कांग्रेस के कब्जे वाली विधानसभा क्षेत्रों में भारी मतदान होने ने भाजपा व त्रिवेंद्र रावत की चिंताएं बढ़ा दी है। सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के त्रिवेंद्र रावत और कांग्रेस के विरेंद्र रावत के बीच ही बताया जा रहा है।
वहीं, अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा के अजय टम्टा अपनी जीत की हैट्रीक लगाने के लिए चुनावी मैदान में है जहां उनका मुकाबला पूर्व सांसद कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा से है। स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो सांसद के रूप में अजय टम्टा से स्थानीय लोगों की नाराजगी के बाद भी भाजपा और नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा यहां आगे दिख रही है। स्थानीय पत्रकार भी मानते हैं कि अल्मोड़ा संसदीय सीट पर मुकाबला पूरी तरह से एकतरफा रहा और यह सीट आसानी से भाजपा के झोली में जाती दिख रही है।
नैनीताल संसदीय सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को ही मैदान में उतरा जहां उनके खिलाफ कांग्रेस ने प्रकाश जोशी को मैदान में उतारा। कांग्रेस को इस सीट पर मुस्लिम और सिक्ख मतदाताओं से उम्मीद है। देश में चले किसान आंदोलन का असर उधम सिंह नगर में भी व्यापक रूप से देखने को मिला तो वहीं हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा के बाद मुस्लिमों पर की गई कार्रवाई के बाद इस संसदीय सीट का मुस्लिम मतदाता भी एकजुट हुआ। वहीं, हल्द्वानी से कांग्रेसी विधायक सुमित ह्दयेश के साथ ही खटीमा से कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी की लोकप्रियता से भी कांग्रेस को इस सीट पर चमत्कार की उम्मीद है जबकि भाजपा इस सीट पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। हालांकि, मतदान होने के बाद अजय भट्ट राजनीतिक गतिविधियों में बेहद कम सक्रिय दिखे।