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फर्जी आईएएस: पूजा खेडेकर के बहाने याद आई रूबी चौधरी, कुछ और आएंगे लपेटे में?

Pen Point, Dehradun : फर्जी तरीके से आईएएस बनने वाली पूजा खेड़कर इन दिनों चर्चा में है। निजी वाहन पर लालबत्ती लगाने के बाद पूजा के बारे में कई खुलासे हुए जिससे प्रशासनिक सेवा की चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। फर्जीवाड़े के आरोप सही पाए जाने के बाद मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी ने उनकी ट्रेनिंग रद्द कर उन्हें तलब किया। आईएएस बनने की चाह में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले अकादमी में बिना आईएएस की परीक्षा पास किये ट्रेनिंग ले रही रूबी चौधरी का मामला भी चर्चित हुआ था। हालांकि इस मामले में जांच कहां तक पहुंची और किस पर जिम्मेदारी तय हुई आज तक पता नहीं चल सका है।

साल 2015 में रूबी चौधरी की घटना से एलबीएस अकादमी में हड़कंप मच गया था। खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रशिक्षु के रूप में पेश करते हुए यह रहस्यमय महिला सितंबर 2014 से मार्च 2015 तक लगभग छह महीने तक अकादमी में रही। रूबी चौधरी प्रशिक्षुओं के ग्रुप में शामिल थी, जिसकी तस्दीक 2014 के दौरे के दौरान भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ सिविल सेवा प्रशिक्षुओं की तस्वीर से होती है।

यह आज तक रहस्य ही है कि एलबीएस अकादमी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आईएएस प्रोबेशनर के रूप में एक महिला कैसे गैरकानूनी तरीके से प्रवेश कर गई। इसके अलावा वह वहां लंबे समय तक किसकी शह पर रही, यह रहस्य भी लगता है कभी नहीं सुलझेगा। इस मामले में देहरादून के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसांई ने एलबीएस अकादमी से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारियां भी हासिल किय। अकादमी की ओर से जवाब में बताया गया कि रूबी चौधरी कांड में किसी भी उच्च पद के कर्मचारी की कोई भूमिका नहीं है।

'Pen Point

भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ ग्रुप फोटो में दिखने वाले फर्जी आईएएस अधिकारी पर, एलबीएस अकादमी के सीपीआईओ सत्यबीर सिंह ने अपने आरटीआई जवाब में कहा, ष्भारत के राष्ट्रपति के साथ ग्रुुप फोटो में दिखने में किसी भी कर्मचारी ने रूबी की मदद नहीं की। अकादमी के जवाब से यह अर्थ निकाला जा सकता है कि मुज़फ़्फ़रनगर निवासी रूबी चौधरी उक्त कार्यक्रम स्थल तक उड़ान भरने और फोटो सत्र के लिए सीट लेने के लिए कुछ खास या फिर अलौकिक शक्तियों का इस्तेमाल किया।

जब यह घोटाला सामने आया, तो लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के शीर्ष अधिकारियों ने आंतरिक जांच कराने का दावा किया। फर्जी आईएएस अधिकारी की तरह आंतरिक जांच भी गायब हो गई है. जवाब में कहा गया है, अकादमी ने रूबी के मामले में कोई आंतरिक जांच नहीं की है। मामले की जांच एसआईटी, उत्तराखंड द्वारा की गई है।

रूबी प्रकरण सामने आने के दिन से ही यह माना जा रहा था कि अकादमी के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने महिला को उसके संदिग्ध प्रवास में मदद की थी। रूबी के माता-पिता उससे अकादमी परिसर में मिलते थे। लेकिन, बाद में इस पूरे प्रकरण को एक दुर्घटना के रूप में पेश किया जाने लगा।

अकादमी की वर्दी वाली पोशाक पहनकर, एक महिला भारत के राष्ट्रपति के साथ समूह तस्वीर में शामिल हो सकती है। वह छह महीने तक एलबीएस अकादमी के अंदर आराम से रह सकती है और अन्य प्रशिक्षुओं की तरह परिसर में घूम सकती है। लेकिन फिर भी इस उपद्रव के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

22/जून/2015 को एक आरटीआई के जवाब में एलबीएस अकादमी ने आंतरिक जांच पर दावा किया था, “जांच अभी भी चल रही है। देव सिंह (सुरक्षा गार्ड) को अपने सरकारी क्वार्टर को अवैध रूप से किराए पर देने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद अकादमी और सीपीआईओ तो वही हैं, लेकिन आंतरिक जांच गायब होने के बाद एक गरीब गार्ड को निलंबित कर बड़े बाबुओं ने अपनी खाल बचा ली।

इस तरह के मामले इशारा करते हैं कि फर्जी तरीके कई लोग आईएएस बन चुके होंगे, अगर ऐसे मामलों की गहन जांच हो तो कई खुलासे हो सकते हैं। ऐसा होना इसलिये भी जरूरी है कि भारत में उच्च नागरिक सेवा की परीक्षा पास कर आईएएस बनने वालों के पास अहम जिम्मेदारियां होती हैं।

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