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वनाग्नि को रोकने में मिशन मोड में सरकार, वन और उद्योग विभाग के पेंच कसे

Pen Point, Dehradun : राज्‍य के जंगलों के लिये बारूद साबित हो रही चीड़ की पत्तियों यानी पिरूल को लेकर सरकार गंभीर हो चली है। फैसला किया गया है कि पिरूल को एकत्र करने की कवायद को एक मिशन का रूप दिया जाए। जिसमें वन विभाग और उद्योग विभाग की अहम भूमिका रहेगी। वन विभाग को जहां स्‍थानीय समुदाय की मदद से पिरूल एकत्र करने का लक्ष्‍य दिया गया है वहीं उद्योग विभाग इसके व्‍यावसायिक उपयोग पर काम करेगा।

इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन महकमे को जरूरी निर्देश दिये हैं। राज्‍य सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि कुशल वन अग्नि प्रबंधन की दृष्टि से चीड़ संग्रहण को महत्वपूर्ण मानते हुए मुख्यमंत्री ने प्रत्येक चीड़ आच्छादित वन प्रभाग में चीड़ संग्रहण के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन ने क्षेत्रीय प्रभागीय वनाधिकारी, अल्मोडा, चम्पावत, गढ़वाल, बागेश्वर, मसूरी, लैंसडौन, नैनीताल, सिविल अल्मोडा, उत्तरकाशी,  टिहरी व  टोंस को निर्देशित किया है। ,पिथौरागढ़, अपर यमुना बड़कोट,  नरेंद्रनगर, हलद्वानी, रुद्रप्रयाग, चकराता, बद्रीनाथ, रामनगर और सिविल सोयम कालसी वन प्रभाग को पिरूल के संग्रहण को मिशन मोड में लागू करना है।

निर्देशों के अनुसार प्रत्येक चीड़ आच्छादित क्षेत्रीय रेंज में एक ब्रिकेट/पैलेट इकाई की स्थापना सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि एकत्रित पिरूल का उपयोग प्लांट में ब्रिकेट/पैलेट बनाने में किया जा सके और संबंधित उद्यमी उसे बेच सकें। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वन क्षेत्रों से पिरूल हटने से वनाग्नि की घटनाओं में कमी आयेगी तथा स्थानीय संग्रहणकर्ताओं को आय प्राप्त होगी, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उपरोक्त लक्ष्यों की पूर्ति हेतु रेंजवार पिरूल संग्रहण लक्ष्य 5000 हेक्टेयर में कम से कम एक ईट/फूस इकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के सभी अधिकारी जिला स्तर पर उद्योग एवं ग्रामीण विकास विभाग के संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर उद्यमियों का चयन करेंगे। इसके बाद उन्हें राज्य सरकार और वन विभाग की ओर से दी जा रही सुविधाओं से अवगत करायेंगे। दोनों विभागों के अधिकारी ऐसी यूनिट्स की स्थापना भी सुनिश्चित करेंगे। जारी निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रभागीय वनाधिकारी अपने प्रभाग के अंतर्गत ईट/फूस इकाईयों की स्थापना संबंधी कार्यवाही 3 माह के भीतर (सितंबर 2024 तक) पूर्ण कर अनुपालन आख्या उपलब्ध करायेंगे। इसके अलावा वन अधिकारियों इस कार्यवाही की प्रत्येक 15 दिन में संबंधित मुख्य वन संरक्षक व वन संरक्षक समीक्षा करेंगे।

गौरतलब है कि इस बार राज्‍य में वनाग्नि की घटनाओं से बड़े पैमाने पर वन संपदा और जन धन का नुकसान हुआ है। बारिश ना होने के कारण चीड़ के जंगलों में भड़की आग बेकाबू हो गई। आग बुझाते हुए वन कर्मियों और अन्‍य लोगों के मौत की खबरें भी सामने आई। हालत यह हो गई कि वन विभाग और सरकार का पूरा तंत्र वनाग्नि के सामने लाचार नजर आने लगा। मानसून की दस्‍तक के साथ जंगलों की आग से कुछ राहत मिली है। देखना है कि सरकार के इस मिशन को वन और उद्योग विभाग कितना कामयाब बना पाते हैं।

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