‘न वर्तमान’ ‘न पूर्व’ विधायकों के बिना कैसे होगी गुनसोला की नाव पार
– टिहरी संसदीय सीट की गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला विधानसभा में कांग्रेस के पास एक भी पूर्व विधायक प्रचार को नहीं, पूरे संसदीय क्षेत्र में सिर्फ दो ही विधायक कांग्रेस के
Pen Point, Dehradun : बीते महीनों में जब भाजपा कांग्रेस के नेताओं को धड़ाधड़ देहरादून और उत्तरकाशी में सदस्यता दिलवा रही थी तो किसी को अहसास भी नहीं हुआ था कि भाजपा का दामन थामने वाले कांग्रेसी नेताओं के जाने से लोक सभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस के पास चुनाव प्रचार के लिए एक अदद मजबूत जनाधार वाला नेता भी नहीं बच पाएगा। टिहरी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत उत्तरकाशी जनपद की तीन विधानसभा सीटों की स्थिति फिलहाल यह है कि पार्टी के पास अपने प्रत्याशी के प्रचार के लिए एक अदद पूर्व विधायक तक मौजूद नहीं है। जबकि, राज्य गठन के बाद इन तीन सीटों पर पांच कांग्रेसी विधायक रह चुके हैं। आज फिलहाल कांग्रेस के पास एक भी पूर्व विधायक प्रचार के लिए भी मौजूद नहीं है।
लोक सभा चुनाव के लिए प्रत्याशी इन दिनों मतदाताओं तक पहुंचने के लिए खूब दौड़ धूप कर रहे हैं तो साथ ही पार्टी के बड़े नेता भी खूब पसीना बहा रहे हैं। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्टार प्रचारकों की आमद भी चुनावी मैदान में होगी। लेकिन इसके अलावा विधानसभा स्तर पर मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे नेता अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए जनमत जुटाने को जुटे हुए हैं। टिहरी संसदीय सीट पर भाजपा की ओर से माला राज्यलक्ष्मी शाह अपनी लगातार चौथी जीत के लिए चुनावी मैदान में है तो कांग्रेस ने दो बार मसूरी विधानसभा से विधायक रहे जोत सिंह गुनसोला पर दांव लगाया है। टिहरी संसदीय क्षेत्र के तहत उत्तरकाशी जनपद की गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला विधानसभाएं, टिहरी जनपद की टिहरी, धनोल्टी, प्रतापनगर, घनसाली और देहरादून जनपद की मसूरी, राजपुर, विकासनगर, सहसपुर, चकराता, रायपुर, कैंट विधानसभाएं आती है। बात उत्तरकाशी की करें तो यहां भाजपा की प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह के पास प्रचार के लिए विधायकों और पूर्व विधायकों की लंबी टीम है। टिहरी संसदीय सीट के तहत आने वाले 14 विधानसभाओं में से 11 सीटों पर भाजपा काबिज है जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय विधायक है। इस लिहाज से मौजूदा विधायकों का मजबूत तंत्र भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में है। तो वहीं कांग्रेस इस मामले में कमजोर है। लेकिन, उत्तरकाशी जनपद में तो कांग्रेस की हालत और भी खराब है। उत्तरकाशी जनपद की तीन विधानसभाओं में कांग्रेस के पास प्रचार के लिए मौजूदा विधायक तो दूर पूर्व विधायक तक उपलब्ध नहीं है। उत्तरकाशी जनपद की गंगोत्री व पुरोला विधानसभा से भाजपा विधायक हैं तो यमुनोत्री से निर्दलीय विधायक। उत्तरकाशी जनपद की तीनों विधानसभाओं में कुल 2 लाख 41 से अधिक मतदाता हैं। लेकिन, फिलहाल कांग्रेस के पास जनपद की तीनों विधानसभाओं में प्रचार के लिए न तो कोई मौजूदा विधायक है न ही पूर्व विधायक। हालांकि, जनपद की तीनों विधानसभाओं में राज्य गठन के बाद कांग्रेस के पांच पूर्व विधायक रह चुके हैं लेकिन वर्तमान में सभी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। राज्य गठन के बाद अब तक उत्तरकाशी जनपद की पुरोला विधानसभा सीट से राजेश जुवांठा, राजकुमार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए तो मालचंद ने विधायक रहते हुए भाजपा से कांग्रेस का रूख किया और 2022 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा लेकिन नए नए भाजपा में गए दुर्गेश्वर लाल से चुनाव हार गए।
यमुनोत्री विधानसभा में भी 2007 विधानसभा चुनाव में केदार सिंह रावत कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने, 2012 का चुनाव हार गए तो 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए और विधायक चुने गए।
वहीं, गंगोत्री विधानसभा से 2002 और 2012 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़कर विजयपाल सजवाण विधायक चुने गए। 2012 में विजय बहुगुणा के नेतृत्व में हुई बगावत में भी शामिल थे लेकिन एन वक्त पर कांग्रेस सरकार को बचाने के पक्ष में खड़े हो गए। 2017 में भाजपा के गोपाल रावत और 2022 में कभी अपने सहयोगी और कांग्रेसी नेता बाद में भाजपा में शामिल होने वाले सुरेश चौहान से चुनाव हार गए। इसी मार्च में विजयपाल सिंह सजवाण ने भी कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का साथ चुना।
ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के सामने उत्तरकाशी की तीनों विधानसभाओं में बड़े जनाधार वाले नेता के जरिए वोट जुटाने वाली सुविधा उपलब्ध नहीं है लिहाजा उन्हें अगले तीन हफ्तों तक खुद ही जनपद में मतदाताओं तक पहुंच बनानी होगी। हालांकि, इस मामले में उत्तरकाशी की तीनों विधानसभाओं में भाजपा की माला राज्यलक्ष्मी शाह को कम मशक्कत करनी पड़ेगी।