क्या वाकई अनिल बलूनी के लिए गढ़वाल की चुनावी जंग मुश्किल हो गई है …
– गढ़वाल संसदीय सीट से प्रत्याशी अनिल बलूनी के पक्ष में जनसभा के लिए स्टार प्रचारकों का जमावड़ा, गोदियाल के समर्थन में उमड़ती भीड़ ने बढ़ाई भाजपा की चिंता
Pen Point, Dehradun : प्रदेश की पांचों लोकसभा चुनाव में इन दिनों सबसे चर्चा गढ़वाल संसदीय सीट की हो रही है। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी यहां भाजपा के प्रत्याशी हैं तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को चुनावी मैदान में उतारा है। अनिल बलूनी को सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर गढ़वाल संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन फिलहाल इस सीट पर मौजूदा हालात पूरी तरह से अनिल बलूनी के पक्ष में बनते नहीं दिख रहे है। आलम यह है कि अनिल बलूनी के लिए भाजपा के शीर्ष स्टार प्रचारक भी पसीना बहाते दिख रहे हैं वहीं गणेश गोदियाल के पक्ष में कांग्रेस का कोई भी स्टार प्रचारक तो नहीं पहुंचा है लेकिन उनके समर्थन में उमड़ते हुजूम ने अनिल बलूनी और भाजपा के पेशानी पर बल जरूर ला दिए हैं।
भाजपा ने जब गढ़वाल संसदीय सीट से मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर अनिल बलूनी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था तो उस दौरान गढ़वाल संसदीय सीट में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए जिससे लगने लगा था कि अनिल बलूनी के लिए गढ़वाल संसदीय सीट पर चुनावी जंग आसान होने लगी है। पहले 2019 में कांग्रेस के इस सीट से प्रत्याशी रहे मनीष खंडूडी ने कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थामा तो उसके बाद गढ़वाल संसदीय सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा सीटों में से इकलौते कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। शुरूआती रूझान कांग्रेस के पक्ष में भले ही न रहे हों लेकिन गणेश गोदियाल के नामांकन के दौरान उमड़ी भीड़ ने भाजपा को संकेत दे दिए थे कि गढ़वाल संसदीय सीट की लड़ाई उतनी आसान नहीं है जितनी वह समझ के चल रही थी। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल ने राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही अंकिता हत्याकांड समेत अन्य स्थानीय मुद्दों को केंद्र में लेकर अपना प्रचार कार्यक्रम शुरू किया तो उनके समर्थन में जुटने वाली भीड़ ने भाजपा के पेशानी पर बल ला दिए। लिहाजा, कभी एकतरफा समझी जाने वाली इस लड़ाई में अनिल बलूनी को जितवाने के लिए भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों के शीर्ष में शामिल नेता अनिल बलूनी के पक्ष में मतदान की अपील के साथ गढ़वाल संसदीय सीट में पहुंच चुके हैं या फिर आने वाले एक दो दिनों में पहुंचने वाले हैं।
रविवार यानि 14 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रीनगर में अनिल बलूनी के पक्ष में जनसभा करेंगे तो वहीं 16 अप्रैल यानि मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अनिल बलूनी के पक्ष में कोटद्वार में रोड शो करेंगे। वहीं, 11 अप्रैल को ऋषिकेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अनिल बलूनी के लिए वोट मांग चुके हैं। तो अनिल बलूनी के 26 मार्च को हुए नामांकन में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मौजूद रही।
भाजपा ने भी अपनी पूरी ताकत गढ़वाल संसदीय सीट पर झोंक दी है। यहां तक कि जब शुक्रवार को जब केंद्रीय रक्षा मंत्री गौचर में अनिल बलूनी के पक्ष में जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने इशारों ही इशारों में बता दिया कि अगर अनिल बलूनी जीतते हैं तो उन्हें सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि, यह पहली बार हुआ है कि अपने प्रत्याशी के समर्थन में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें जीतने पर बड़ी जिम्मेदारी देने का वादा देकर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की होगी। फिलहाल, भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे अनिल बलूनी राज्यसभा सांसद भी रहे हैं जिनका कार्यकाल हाल ही में खत्म हुआ था।
वहीं, लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद गणेश गोदियाल इतने मजबूत क्यों दिख रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार पीएस रावत बताते हैं कि गणेश गोदियाल ने गढ़वाल संसदीय सीट में उस वक्त मोर्चा संभाला था जब न तो चुनावी शोर था न ही चुनाव को लेकर कोई तैयारियां दिखाई दे रही थी। वहीं, अंकिता हत्याकांड के बाद जहां भाजपा नेता इस मामले में ज्यादातर वक्त खामोशी ओढ़े रहे वहीं गणेश गोदियाल इस मामले में सबसे मुखर बने रहे, हालांकि मुखरता मनीष खंडूडी ने भी काफी दिखाई लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने अंकिता हत्याकांड मामले में अब तक कोई बयान नहीं दिया है।
गणेश गोदियाल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से श्रीनगर विधानसभा से प्रत्याशी बनाए गए थे। 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के धन सिंह रावत से 8698 वोटों से हारने वाले गणेश गोदियाल का प्रदर्शन 2022 में सुधरा लेकिन वह जीत हासिल नहीं कर सके। 2022 के विधानसभा चुनाव में गणेश गोदियाल भाजपा के धन सिंह रावत से महज 587 वोटों से हार गए। इसके बावजूद भी वह भाजपा के लिए फिलहाल उत्तराखंड में सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। लिहाजा, इस तपती गर्मी में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी गढ़वाल संसदीय सीट पर खूब दौड़ धूप कर पसीना बहाना पड़ रहा है।