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जादुई किनगोड़ के विदोहन पर हाईकोर्ट हुआ सख्त

– तमाम औषधीय गुणों से भरपूर किलमोड़/किनगोड़ के विदोहन पर वन विभाग और उद्यान विभाग को हाईकोर्ट ने किया तलब, उत्तरकाशी में ही 80 हजार कुंतल से ज्यादा हुआ विदोहन
Pen Point, Dehradun : मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने वन विभाग और उद्यान विभाग को जवाब तलब किया। 30 जुलाई को होने वाली सुनवाई में अब दोनों विभागों को जवाब देना होगा कि प्रदेश में हाल ही में किल्मोड़ा का रेकार्ड विदोहन क्यों हुआ। हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिर्फ उत्तरकाशी जिले से ही हाल में 80 हजार क्विंटल किल्मोड़ा के जड़ों का विदोहन हुआ है। अनुमान से माना जाए तो जनपद के बड़े हिस्से से कई औषधीय गुणों से भरपूर किल्मोड़ा का पूरी तरह से सफाया कर दिया गया।
एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर किलमोड़ा जिसे दारूहल्दी के नाम से भी जाना है इस झाड़ीनुमा पेड़ के यही गुण अब इसके दुश्मन बन गए हैं। हाल के सालों में अनियंत्रित विदोहन से इस गुणों से भरपूर पेड़ के वजूद पर भी खतरा मंडरा रहा है। समुद्रतल से 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले किनगौड़ का वानस्पतिक नाम बरबरीस एरिसटाटा है। बरबरीन नामक रसायन की मौजूदगी के चलते इसका रंग पीला होता है। एंटी डायबेटिक गुण के चलते यह पौधा बाकि औषधीय पादपों से थोड़ा अलग है। शुगर से पीड़ित रोगियों के लिए यह रामबाण औषधी है। किनगौड़ की जड़ों को पानी में भिगोकर रोज सुबह पीने से शुगर के रोग से बेहतर ढंग से लड़ा जा सकता है। साथ ही यह पानी पीलिया रोग से लड़ने में भी काफी मदद करता है। इसके अलावा किलमोड़ा या किनगौड़ के पौधे पर मानसून के दौरान लगने वाले लाल काले दाने भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। फलों का सेवन मूत्र संबंधी बीमारियों से निजात दिलाता है। इसके फलों में मौजूद विटामीन सी त्वचा रोगों के लिए भी फायदेमंद है। वहीं इसके तने का पीला रंग चमड़े के रंग को भी रंगने के काम में लाई जाती है। पूरे देश में इसकी 50 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है जिसमें से तकरीबन 30 प्रजातियां तो इसकी अकेले उत्तराखंड में ही पाई जाती है। किल्मोड़ा, किनगोड़, दारूहल्दी के नाम से जाना जाने वाले इस झाड़ीनुमा पेड़ के दोहन पर अब हाईकोर्ट भी सख्त हो गया है। मंगलवार को हाईकोर्ट में देहरादून निवासी विनिता नेगी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में बताया गया कि हाल ही में औषधीय गुणों से भरपूर किलमोड़ा का अत्यधिक विदोहन किया जा रहा है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि हाल के दिनों में ही अकेले उत्तरकाशी जनपद में ही 80 हजार कुंतल किलमोड़ा का विदोहन किया गया। उत्तरकाशी की असी गंगा घाटी, सरनौल घाटी समेत कई इलाकों में इसका इतना ज्यादा विदोहन किया गया है कि पूरे इलाके में अब किलमोड़ा या किनगोड़ पूरी तरह से खत्म हो गया है। प्रदेश में किलमोड़ के विदोहन की अनुमति उद्यान विभाग देता है जबकि इसकी जांच और नियमों के अनुपालन की सुनिश्चिता वन विभाग तय करता है जबकि गोपेश्वर स्थित जड़ी बूटी शोध संस्थान इसका विदोहन करवाता है।
लेकिन, बड़े पैमाने पर हो रहे विदोहन के चलते इस गुणों से भरपूर झाड़ी के वजूद पर ही खतरा मंडराने लगा है।

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