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हाईकोर्ट शिफ्टिंग मामले में गढ़वाल-कुमाऊं आमने सामने

Pen Point, Dehradun : बीते बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में ऋषिकेश स्थित आई.डी.पी.एल की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। याचिका में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी ऑनलाइन मामले में जुड़ी हुई थी। सुनवाई के बाद आर्डर लिखाते समय चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने को रद करते हुए हाईकोर्ट के लिए ऋषिकेश में आई.डी.पी.एल की 850 एकड़ भूमि को उपयुक्त बताया। हाईकोर्ट को ऋषिकेश में शिफ्ट करने के मौखिक आदेश के बाद जहां हाईकोर्ट समेत कुमाऊं मंडल के अधिवक्ताओं के बीच खलबली मच गई तो वहीं गढ़वाल मंडल के अधिवक्ता इस फैसले के समर्थन में खड़े हो गए। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने ऋषिकेश वाले फैसले को वापिस लेते हुए राज्य सरकार से महीने भर में हाईकोर्ट शिफ्टिंग के लिए नया स्थान खोजने और सुझाव के लिए पोर्टल तैयार करने के निर्देश दिए। लेकिन, नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्टिंग के फैसले के बाद अब गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के बीच तलावरें खींच गई है। कुमाऊं मंडल से जुड़े विधायक जहां हाईकोर्ट को कुमाऊं में ही कहीं शिफ्टिंग की मांग कर रहे हैं तो वहीं गढ़वाल मंडल के विधायकों ने भी अपने अपने क्षेत्र में हाईकोर्ट शिफ्टिंग की मांग शुरू कर दी है। वहीं, दोनों मंडलों के वकील भी आमने सामने आ गए हैं।
लंबे समय से हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने का मामला बीते दिनों सुलझता दिख रहा था लेकिन इसी हफ्ते हाईकोर्ट में कुछ ऐसा हुआ कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करने का मामला फिलहाल लटकता तो दिख रहा है साथ ही इस मामले में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के विधायक, अधिवक्ता आमने सामने आ गए हैं। बीते बुधवार को जब हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे तो उस दौरान मौखिक आदेश में मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट शिफ्ट करने के लिए प्रस्तावित हल्द्वानी के गौला पार को अनुपयुक्त बताते हुए कोर्ट को ऋषिकेश में शिफ्ट करने के आदेश दिए। इस फैसले के बाद कुमाऊं मंडल के अधिवक्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया तो गढ़वाल मंडल के बार संगठनों ने देहरादून में एकत्र होकर इस फैसले का समर्थन किया। हालांकि, बाद में कोर्ट ने विवाद बढ़ता देख अधिवक्ताओं को उपयुक्त स्थान के लिए राय देने और राज्य सरकार को महीने भर में नई जगह ढूंढने और लोगों के सुझाव के लिए पोर्टल बनाने के निर्देश दिए।
पर्यटन शहर नैनीताल में लंबे समय से हाईकोर्ट को अन्य जगह शिफ्ट करने की मांग होती रही है। पर्यटकों के दबाव को झेल रहे नैनीताल को हाईकोर्ट के अन्यत्र शिफ्ट करने से कुछ राहत मिल सकती है तो लोगों की मुसीबतें भी कम हो सकती है। 2019 में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन को पत्र देकर कोर्ट को यहां से हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग की। हाइकोर्ट ने 26 जून 2019 को अपनी वेबसाइट पर शिफ्टिंग के स्थानों को लेकर सुझाव आमंत्रित किए। अधिवक्ता इस पर आपस में बंट गए और कोर्ट को नैनीताल में ही रहने देने से लेकर हल्द्वानी, रामनगर, रूड़की, हरिद्वार, रुद्रपुर देहरादून, अल्मोड़ा और गैरसैंण में स्थापित करने के सुझाव आए। बाद में हल्द्वानी के निकट वन विभाग की चिड़ियाघर के लिए प्रस्तावित वन भूमि में हाईकोर्ट स्थापित करने की सहमति हाईकोर्ट ने दी। 16 नवंबर 2022 को राज्य सरकार की कैबिनेट ने कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। 24 मार्च 2023 को केंद्र सरकार से भी सै़द्धांतिक सहमति मिल गई। इसके बाद इसी साल जनवरी महीने में राज्य सरकार ने गौलापार के आस पास की जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगाते हुए इसे फ्रीज जोन घोषित कर दिया। लेकिन, जनवरी में ही केंद्रीय वन मंत्रालय की हाई इम्पावर्ड कमेटी ने वन स्वीकृति का प्रस्ताव खारिज कर दिया। एन मौके पर वन प्रस्ताव खारिज हो जाने के बाद राज्य सरकार ने बेल बसानी की भूमि का प्रस्ताव तैयार किया लेकिन यह हाईकोर्ट के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई। लिहाजा, इसी महीने यानि मई में सरकार ने गौलापार का प्रस्ताव नए सिरे से भेजने का फैसला लिया लेकिन बीते बुधवार को हाईकोर्ट ने ही यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। अब हाईकोर्ट ने पहले ऋषिकेश शिफ्ट करने का फैसला सुनाया तो विरोध होने पर बाद में अन्य जगहों लेकर सुझाव मांगे और इसे एक महीने में पूरा करने के निर्देश भी दिए।
लेकिन इसके बाद अब नए सिरे से विवाद शुरू हो गए हैं। गढ़वाल मंडल के विधायक जहां अपने अपने जिलों में हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की मांग करने लगे हैं तो वहीं हल्द्वानी, नैनीताल, बागेश्वर समेत कुमाऊं के अन्य विधायकों ने हाईकोर्ट को कुमाऊं में ही शिफ्ट करने की मांग की है। नैनीताल विधायक सरिता आर्या ने कहा कि राज्य गठन के बाद गढ़वाल मंडल के हिस्से राजधानी आई तो कुमाऊं के हिस्से हाईकोर्ट जिसके चलते दोनों मंडलों में संतुलन बना रहा लेकिन अब जब कोर्ट को गढ़वाल में शिफ्ट करने की मांग हो रही है तो यह कुमाऊं को खाली करने जैसा है। यही राय कुमाऊं मंडल के अन्य विधायकों की है। तो वहीं टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हाईकोर्ट टिहरी में शिफ्ट करने की मांग की है। तो वहीं गढ़वाल मंडल के अधिवक्ता जहां लंबे समय से कोर्ट की एक बैंच गढ़वाल मंडल में स्थापित करने की मांग कर रहे थे अब हाईकोर्ट की शिफ्टिंग की ऋषिकेश और उसके निकटवर्ती इलाकों में करने की मांग करने लगे हैं।

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