गरमाते मुद्दों ने की कांग्रेस की बैटरी चार्ज
PEN POINT, PAURI : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से उत्साहित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तमाम नेता ऊर्जावान नज़र आ रहे हैं। इस यात्रा के बाद देशभर के साथ ही उत्तराखंड में भी पार्टी के नेताओं ने आम आदमी की नब्ज को टटोलते हुए लोगों की जरूरत और मुसीबतों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। कांग्रेसी उस हर-एक मुद्दे को उठाने के लिए सड़क पर उतरने लगे हैं, जिसकी जरूरत जनता बहुत लंबे समय से महसूस कर रही थी। पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा के आखिरी दिनों में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू किया। इस अभियान को लेकर अब देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ता अपने सभी स्थानीय मुद्दों के साथ जनता के बीच पहुंचने लगे हैं।
उत्तराखंड में भी पार्टी ने इसकी शुरुआत गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से कर दी है। इस बीच बुधवार की रात और गुरुवार की सुबह से प्रदेश के हजारों बेरोगार युवा उग्र रूप से आंदोलित हैं। सरकार और पुलिस की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से उपजे हालातों ने राज्य में अचानक एक नया माहौल खड़ा कर दिया है। चारों तरफ से राज्य सरकार अपराध युक्त और युवा विरोधी छवि में कैद होती जा रही है। वर्तमान सियासी हालातों में धामी सरकार विलेन के तौर पर दिख रही है। राज्यभर के युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। लगातार सालों से महंगी होती भर्ती परीक्षा की तैयारियों में मां बाप की खून-पसीने की कमाई को योंही जाया होते देख ये आंदोलित बेरोजगार युवा घुटन, नाउम्मीदी और अजीव कस-म-कस में जीने को मजबूर हो चले हैं।
सरकार मीडिया के जरिए अपने सरकारी और राजनीतिक मंचों से भर्ती परीक्षाएं कराने और हजारों नौजवानों को सरकारी नौकरियां खोलने और देने के सब्जबाग दिखा कर अपनी मस्त चाल में आगे बढ़ रही थी। लेकिन वास्तविक हालात अब बेरोगारों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। उनके सपने बढ़ती उम्र के साथ स्वाहा हो रहे हैं। ईमानदारी से पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी करने वाले इन नौजवानों को राजनीति का गिरता स्तर अपना शिकार बना रहा है। ऊपर से सरकार इन्हें अपनी न्यायोचित मांगों के लिए पुलिसिया दमन के दम पर दबाना चाहती है।
साफ है कि इस पूरे प्रकरण में सरकार का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल रहा, जो बेरोजगार युवाओं के अंदर धीरे धीरे पनप रहे आक्रोश की तपिश को महसूस करने में नाकाम साबित हुआ। आखिर समय रहते सरकार और सीएम के खुद नकल विरोधी कानून को लाए बिना भर्ती परीक्षाओं के तारीखों का ऐलान करने की जरूरत क्या थी ? जब कि अब इतना हंगामा बरपाने के बाद सीएम खुद इस कानून के मसौदे का जल्दबाजी में अध्यादेश के तौर पर अनुमोदन कर चुके हैं।
बेरोजगार युवाओं के आंदोलन के दौरान उनपर हुए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज के विरोध में पूरा उत्तराखंड आक्रोशित है। युवाओं के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ अन्य तमाम राजनीतिक दल मुखर होकर सड़कों पर उतर चूके हैं। इस पूरे हंगामें को हल्का करने के लिए आधी से ज्यादा कैबिनेट सरकार को जनप्रिय और युवा हितैशी साबित करने में जुट गई है।
वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत पौड़ी में लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के नेतृत्व में अंकिता हत्याकांड, बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अन्य तमाम जनहित के मुद्दों पर रैली निकाली। इस दौरान खंडूड़ी ने देहरादून में बेरोजगारों पर हुए निर्मम लाठीचार्ज की तुलना ब्रिटिश दौर में हुए जालियांवाला बाग कांड से की। उन्होंने कहा बड़ी क्रूरता से हमारे बच्चों को मारा जा रहा है। क्या गलती थी इनकी ? यह दूसरा जलियाँवाला बाग़ कांड है।
उन्होंने कहा कि क्या फ़रक है ? वो अंग्रेज थे, उन्होंने गोलियां बरसाई, तो धामी सरकार लाठियां बरसा रही है। अंग्रेज पराए थे, विदेशी थे, लेकिन ये हमारे लोग हैं, इन्हीं नौजवानों ने ये सरकार चुनी है। सरकार अब इन्हीं को निशाना बना रही है। ये बेहद शर्मनाक है। खंडूड़ी ने साफतौर पर सरकार की कार्यप्रणाली को नाकारा और धिक्कार कहने से तक गुरेज नहीं किया।