कर्ज से जूझ रही उत्तराखंड सरकार कैसे पूरा करेगी नियो मेट्रो का ख्वाब
Pen Point, Dehradun : बजट के बराबर कर्ज के बोझ तले दबी उत्तराखंड सरकार अब नियो मेट्रो का ख्वाब अपने दम पर पूरा करेगी। करीब 72 हजार करोड़ रूपए के कर्ज तले दबी सरकार केंद्र सरकार की ओर से नियो मेट्रो के प्रस्ताव को नकारने के बाद अपने दम पर करीब डेढ़ हजार करोड़ से ज्यादा की रकम जुटाकर देहरादून में नियो मेट्रो का निर्माण करने की योजना बना रही है।
उत्तराखंड सरकार बीते कई सालों से देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में नियो मेट्रो के संचालन की योजना को धरातल पर उतारने की कोशिश कर रही है। अगर नियो मेट्रो संचालन की योजना धरातल पर उतरी तो उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां नियो मेट्रो का संचालन शुरू हो सकेगा। लेकिन, अब इस योजना में बड़ा अवरोध धन जुटाना है। अब तक राज्य सरकार ने इस योजना के निर्माण के लिए केंद्र सरकार पर टकटकी लगाई हुई थी लेकिन केंद्र सरकार में नियो मेट्रो के प्रस्ताव को भेजे हुए डेढ़ साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर हरी झंडी नहीं दी है। हालांकि, माना यह जा रहा है कि केंद्र सरकार प्रदेश सरकार को इस योजना के लिए धनराशि देने को इंकार कर चुका है। लिहाजा, अब राज्य सरकार ने तीन शहरों की बजाए सिर्फ देहरादून में नियो मेट्रो का निर्माण करवाने का फैसला लिया है और इसके लिए पूरी धनराशि राज्य सरकार खुद जुटाने जा रही है। हालांकि, सरकार के पास इस योजना के लिए डेढ़ हजार करोड़ रूपए से अधिक की भारी भरकम रकम जुटाना भी कम चुनौती नही होगी। हालांकि, यह रकम सिर्फ नियो मेट्रो के निर्माण पर होने वाली अनुमानित रकम है। जबकि, इस निर्माण के तहत जिस भूमि, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, आवासीय भवनों का अधिग्रहण किया जाना है उसके लिए प्रदेश सरकार को करीब एक हजार करोड़ रूपए से ज्यादा रकम और जुटानी पड़ेगी। इस लिहाज से देखा जाए तो नियो मेट्रो का सपना पूरा करने के लिए सरकार को तीन से चार हजार करोड़ रूपए तक की व्यवस्था करनी होगी तो इसमें अकेले बजट में ही 12 सौ से 15 सौ करोड़ रूपए की व्यवस्था करनी होगी तथा बाकी 60 फीसद रकम कर्ज से जोड़नी होगी।
देहरादून समेत हरिद्वार और ऋषिकेश में सड़कों पर बढ़ते दबाव और जाम की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार बीते सालों से इन तीनों शहरों में नियो मेट्रो के संचालन की योजना बना रही है। 2017 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य के तीन शहरों में मेट्रोल संचालन की घोषणा की थी। इसके बाद भाजपा सत्ता में आई तो त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी गाहे बगाहे प्रदेश में मेट्रो के संचालन की संभावनाओं पर बात की। इसके लिए बकायदा उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपरेशन का भी गठन किया गया। करीब डेढ़ साल पहले देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में नियो मेट्रो चलाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया लेकिन केंद्र सरकार ने इन प्रस्तावों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसी साल जनवरी में इस परियोजना का ड्रोन सर्वे भी किया गया। माना जा रहा था कि अब जल्द ही यह परियोजना धरातल पर उतरेगी और सड़कों पर लगने वाले लंबे लंबे जाम से स्थानीय लोगों को जल्द राहत मिल सकेगी। लेकिन, इस योजना को फिर भी केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिली। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कई बार केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर इस योजना के लिए धनराशि जारी करने की मांग की लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई खास उत्साह नहीं दिखाया। डेढ़ साल से यह प्रस्ताव केंद्र सरकार में धूल फांक रहा है। लिहाजा अब राज्य सरकार ने खुद ही योजना को अपने संसाधनों से तैयार करने की योजना बनाई है। पहले चरण में नियो मेट्रो का निर्माण सिर्फ देहरादून शहर में ही किया जाएगा। लेकिन, दो रूट के लिए बनाई जा रही तकरीबन 23 किमी लंबे नियो मेट्रो रूट का निर्माण और संचालन के लिए करीब 1500 करोड़ रूपए जुटाने होंगे और अब सरकार पूरी रकम खुद ही जुटाना चाह रही है। इसमें 40 फीसदी यानि 600 करोड़ की व्यवस्था बजट के माध्यम से करेगी बाकी 900 करोड़ का ऋण अपनी जिम्मेदारी पर लेगी। ऐसे में आर्थिक चुनौतियों और कमाई के सीमित स्रोतों से कर्ज के जरिए प्रदेश की गाड़ी चला रही सरकार के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। फिलहाल पहले चरण में नियो मेट्रो सिर्फ देहरादून में चलाने की योजना है। दिल्ली से देहरादून की दूरी कम होने और शहर के विस्तार के कारण दून की सड़कों पर लंबा जाम सरकार और आम जनता के लिए मुसीबत बन चुका है। विकेंड पर उमड़ने वाली पर्यटकों की भीड़ जाम की समस्या को विकराल बना देती है। पुलिस को आम दिनों में पीक आवर में जाम से निपटने को खूब मशक्कत करनी पड़ती है ऐसे में राज्य सरकार की योजना है कि सर्वाधिक जाम वाले क्षेत्रों में सड़कों पर वाहनों के दबाव को कम करने के लिए नियो मेट्रो चलाई जाई। तकरीबन 24 मीटर लंबी नियो मेट्रो में एक बार में 250 लोग यात्रा कर सकते हैं। इस लिहाज से छोटे शहरों में यह योजना काफी सफल मानी जाती है। लेकिन, इसके निर्माण में भारी भरकम निवेश ने कई शहरों में इस योजना के क्रियान्वयन की राह रोके हुए है।
फिलहाल देहरादून में आईएसबीटी से गांधी पार्क तक 10 स्टेशनों वाली 8.5 किमी लंबी और एफआरआई से रायपुर तक 15 स्टेशनों 13.9 किमी लंबा रूट नियो मेट्रो के प्रस्तावित है। केंद्र सरकार के एक अनुमान की माने तो नियो मेट्रो में हर किमी के निर्माण के लिए 71 करोड़ रूपए का औसत खर्च आता है।