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चर्चा में: हजारों संपतियों का मालिक है उत्तराखंड वक्फ बोर्ड

 वक्फ बोर्ड विधेयक के सदन में पेश होने और जांच के लिए जेपीसी के पास भेजे जाने के चलते इस पूरे हफ्ते चर्चाओं में रहा वक्फ बोर्ड
Pen Point, Dehradun : इस हफ्ते देश में वक्फ बोर्ड को लेकर पेश विधेयक के बाद वक्फ और उसकी संपतियों को लेकर खूब चर्चाएं उठी। बीते गुरूवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया। वहीं, सरकार ने कहा कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सदन में हंगामे के बीच सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश कर दी। शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के लिए जेपीसी गठित कर दी गई। 40 से अधिक संशोधनों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही अन्य धर्मों के लोगों के लिए वक्फ बोर्ड में सदस्य होने का प्रावधान भी किया गया है।

'Pen Point
बीते दिनों जब सरकार ने घोषणा की थी कि वह संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश करेगी तो उत्तराखंड में भी इसकी खूब चर्चा हुई। लंबे समय से राज्य में वक्फ बोर्ड की संपतियों में लगातार बढ़ोत्तरी की चर्चाओं को खूब बल मिलता रहा है। राज्य में मुस्लिम आबादी बढ़ने और वक्फ बोर्ड की संपतियों में बढ़ोत्तरी को लेकर आए दिन धार्मिक व राजनीतिक संगठन भी विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। हालांकि, संपति के मामले में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड अन्य राज्यों की तरह ही काफी अमीर है। 2001 की जनगणना के मुताबिक राज्य की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 14 फीसद है जिसमें 90 फीसद आबादी देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद में है। पर्वतीय जनपदों में मुस्लिम आबादी कुल आबादी का एक फीसदी भी नहीं है। तो इन्हीं मैदानी जिलों में भी वक्फ बोर्ड की बेशुमार संपतियां भी है। वर्तमान में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की के पास कुल 6833 संपतियां है जिसमें दुकानें, मकान, मस्जिद, स्कूल, मदरसे, क्रबिस्तान, खाली भूमि, प्लॉट, कृषि भूमि समेत अन्य संपतियां शामिल है। हालांकि, 2020 में वक्फ बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों में बताया था कि बोर्ड के पास कुल 5303 संपतियां है, इस लिहाज से देखा जाए तो चार सालों में बोर्ड के पास डेढ़ हजार नई संपतियां जुड़ी है।
फिलहाल बोर्ड की बेवसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के पास 2136 दुकानें, 153 प्लॉट, 154 कृषि भूमि, 1711 आवासीय भवन, 113 मदरसे और 17 स्कूल हैं। हालांकि, 2020 में जारी आंकड़ों के मुताबिक बोर्ड के पास 1755 दुकानें, 133 प्लॉट, 110 कृषि भूमि, 1068 आवासीय भवन, 96 मदरसे और 10 स्कूल थे। आंकड़ों में ही देखे तो चार साल में बोर्ड की हर तरह की संपति में बढ़ोतरी देखी गई है। सर्वाधिक संपतियां देहरादून और हरिद्वार में है जो कि जाहिर सी बात है क्योंकि दोनों ही जिलों में राज्य के मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी बसती है। वर्तमान में राज्य भर में वक्फ बोर्ड की कुल 852 मस्जिदें हैं जिसमें से देहरादून में 199 मस्जिदें, हरिद्वार में 386 मस्जिदें और ऊधम सिंह नगर में 161 मस्जिदें हैं जबकि 2020 में प्रदेश भर में 705 मस्जिदें थी जिसमें से देहरादून में 153, हरिद्वार में 326 और ऊधम सिंह नगर में 143 मस्जिदें थी।
हालांकि, इन संपतियों का बाजार मूल्य क्या है इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन जिन स्थानों पर यह संपतियां स्थित है उन इलाकों में प्रचलित मूल्य के हिसाब से यह रकम हजारों करोड़ रूपए की मानी जा रही है। हालांकि, वक्फ बोर्ड को लेकर जमीन हथियाने या जबरन कब्जे को लेकर उत्तराखंड में फिलहाल के सालों में कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया है। लिहाजा, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड विवादों से भी दूर रहा है।

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