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उत्तराखंड के मदरसों में फंडिंग पर जांच, सीएम के निर्देश के बाद एक्शन में पुलिस

Pen, Point Dehradun: उत्तराखंड में संचालित मदरसों को लेकर बाहरी फंडिंग के इनपुट्स मिलने के बाद अब प्रदेश पुलिस सतर्क हो गई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के बाद उत्तराखंड पुलिस ने इस मुद्दे की गहन जांच शुरू कर दी है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी जिलों में जिला अधिकारियों की अध्यक्षता में विशेष कमेटियां गठित की गई हैं. इन कमेटियों को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपनी होगी.

आईजी लॉ एंड ऑर्डर नीलेश आनंद भरणे ने कहा, “मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश में चल रहे मदरसों की जांच को लेकर कार्रवाई तेज कर दी गई है. सभी जिलों के जिला अधिकारियों की अध्यक्षता में गठित कमेटियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपें. जांच के दौरान पुलिस यह भी सुनिश्चित करेगी कि मदरसों में पढ़ने वाले बाहरी राज्यों के छात्रों का सत्यापन किया जाए.“

नीलेश आनंद भरणे ने आगे कहा कि राज्य में करीब 400 से अधिक रजिस्टर्ड मदरसे हैं, लेकिन कई मदरसे ऐसे भी हैं, जो अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं. इन मदरसों के संचालन के स्रोतों और उनकी फंडिंग की बारीकी से जांच की जाएगी. पुलिस इस मामले में किसी भी प्रकार की अनियमितता मिलने पर सख्त कार्रवाई करेगी. पुलिस के मुताबिक, शुरुआती इनपुट्स से पता चला है कि कुछ मदरसे बाहरी स्रोतों से फंडिंग प्राप्त कर रहे हैं. यह फंडिंग किन स्रोतों से आ रही है और इसका उपयोग कहां किया जा रहा है, यह जानने के लिए पुलिस ने विस्तृत जांच शुरू की है. मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है, खासकर उन छात्रों के बारे में जो बाहरी राज्यों से आकर उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाई कर रहे हैं.

उत्तराखंड में कई मदरसे ऐसे हैं, जो बिना सरकारी मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं. ऐसे मदरसों की पहचान कर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. पुलिस की जांच में इन मदरसों के संचालकों, उनके फंडिंग स्रोतों और छात्रों की जानकारी को प्राथमिकता दी जाएगी. नीलेश आनंद भरणे ने इस मुद्दे पर जनता से भी सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी पुलिस को दी जाए, ताकि समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जाएगी.

उत्तराखंड के मदरसों का प्रदेश के सामाजिक और शैक्षिक विकास में एक अहम योगदान रहा है. लेकिन बाहरी फंडिंग के इनपुट्स ने इन संस्थानों की पारदर्शिता और उद्देश्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सरकार और पुलिस प्रशासन का मानना है कि इस जांच का उद्देश्य केवल अनियमितताओं को रोकना है, न कि किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाना.

जांच पूरी होने के बाद कमेटियों द्वारा तैयार रिपोर्ट को मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों को सौंपी जाएगी. इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. फिलहाल, पुलिस और प्रशासन इस मुद्दे पर सतर्क हैं और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर कठोर कदम उठाने के लिए तैयार हैं. यह कार्रवाई न केवल मदरसों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, बल्कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी अहम है.

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