जयंती विशेष : वो हिंदू शायर जिसने लिखा था पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय गीत
Pen Point Dehradun : भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान दोनों ओर भारी उथल-पुथल का माहौल था। इंसानियत को शर्मसार करने वाली सांप्रदायिक हिंसा चरम पर थी। इसके बावजूद पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने यह संदेश देना चाहा कि पाकिस्तान एक बहुलवादी और समावेशी राष्ट्र होगा। इसी सोच के तहत उन्होंने एक हिंदू कवि, जगन्नाथ आज़ाद, से पाकिस्तान का पहला राष्ट्रीय गीत लिखने का आग्रह किया।
आज़ाद एक मशहूर भारतीय कवि और लेखक थे, जिनका जन्म 5 दिसंबर 1918 को झांग (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। वह उर्दू और हिंदी साहित्य के विद्वान थे और खासतौर पर अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं।
पाकिस्तान के कौमी तराने को लेकर उनकी भूमिका बेहद खास और ऐतिहासिक रही। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने आज़ाद को देश का पहला राष्ट्रगान लिखने की जिम्मेदारी दी।
जगन्नाथ आज़ाद ने कौमी तराना क्यों लिखा?
साल 2004 में अपने निधन से कुछ दिन पहले ही उन्होंने यह राज खोला था। जिसमें उन्होंने बताया कि जिन्न के आग्रह पर किन हालात में उन्होंने यह गीत लिखा था। यह वह समय था जब अधिकांश हिंदू पाकिस्तान से पलायन कर भारत आ चुके थे। जमननाथ आजाद पाकिस्तान में ही रहे। उस साक्षात्कार में ही उन्होंने जिन्ना के आग्रह और कौमी तराने के बारे में बताया। जगन्नाथ आज़ाद ने इस काम को बड़ी सहजता और संजीदगी से स्वीकार किया। उन्होंने पांच दिनों के भीतर एक तराना लिखा, जो इंसानियत, भाईचारे और समावेशिता के संदेश पर आधारित था।
कौमी तराने का संदेश
इस गीत की पहली कुछ लाइनें इस तरह हैं- ‘ऐ सरजमीं ए पाक, जर्रे तेरे हैं आज सितारों से तबनक, रोशन है कहकशां से आज कहीं तेरी ख़ाक’
आजाद का लिखा ये कौमी तराना मानवता, एकता और विविधता के विचारों को दर्शाने वाला था। इसका उद्देश्य नए देश पाकिस्तान में हर समुदाय को यह विश्वास दिलाना था कि यह सभी के लिए समान अधिकारों वाला देश होगा। उनका लिखा कौमी तराना यह दिखाता है कि जिन्ना का शुरुआती दृष्टिकोण एक समावेशी और धर्मनिरपेक्ष पाकिस्तान का था। हालांकि, समय के साथ राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों ने इस विचार को बदल दिया। जगन्नाथ आज़ाद का यह योगदान न केवल साहित्यिक दृष्टि से बल्कि विभाजन के इतिहास को समझने के लिहाज से भी अहम है।
बाद में बदल दिया गया कौमी तराना
हालांकि यह तराना पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान बना, लेकिन इसे कुछ महीनों बाद बदल दिया गया। 1948 में, जब पाकिस्तान का आधिकारिक राष्ट्रगान तैयार किया गया, तो यह चग़ला द्वारा रचित संगीत पर आधारित था और हाफिज़ जलंधरी द्वारा लिखित शब्दों को अपनाया गया।
विभाजन के बाद
विभाजन के बाद, वह भारत चले आए और यहां साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे। उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।